फाज़िल्का के 13 सीमावर्ती गांव बाढ़ की चपेट में

फाज़िल्का, 27 अगस्त (प्रदीप कुमार) : भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ से गुजरते सतलुज दरिया के पानी ने फाज़िल्का के 13 सीमावर्ती गांवों को अपनी चपेट में लिया हुआ है और हज़ारों एकड़ फसल व कई ढ़ाणियां इससे प्रभावित हैं, जिससे सीमावर्ती ग्रामीणाें की परेशानी है। पानी की चपेट में आए गांवों की ढ़ाणियों के लोग प्रशासन व सरकार से खफा हैं और कोसते नज़र आ रहे हैं। फाज़िल्का के गांव गुद्दड़ भैणी (घुरका), वल्लेशाह हिठाड़, महातम नगर, दोना नानका, चक्क रूहेला, तेजा रूहेला, रेतेवाली भैणी, झंगड़ भैणी, राम सिंह भैणी, गट्टी नंबर एक, मुहार जमशेर, मुहार खीवा, गुलाम रसूल गांव सतलुज में आई बाढ़ की चपेट में हैं। गांव दोना नानका की पानी से घिरी एक ढ़ाणी में अपने बच्चों के साथ घर में बैठी कृष्णा बाई बताती हैं कि उनके हालात काफी खराब हैं, उनकी ढ़ाणी को बाढ़ के पानी ने चारों तरफ से घेर लिया है और पानी उनके घरों को छू गया है। उनके परिवार का न तो किसी नेता और न ही प्रशासनिक के किसी अधिकारी ने हाल जाना। 5 साल पहले उसके पति का निधन हो गया था, जिसके बाद उसके जीवन में परेशानियों का पहाड़ टूट पड़ा। बाढ़ के पानी से बचने के लिए अपने घर के चारों तरफ मिट्टी से बांध बनाकर बचाया हुआ है। पानी से उसकी करीब 3 एकड़ धान की फसल खराब हो चुकी है। जिस कारण उसकी परेशानियां और भी बढ़ गई हैं, क्योंकि उस पर पहले ही बैंक का तीन लाख का कज़र् है। जिसको लेकर बैंक ने उसे नोटिस निकाल रखें हैं और उसके खिलाफ केस दायर किया हुआ है। उसने कहा कि बैंक अधिकारी उसकी भूमि का कुर्क करने की बातें कर रहे हैं। गांव दोना नानका के करतार सिंह, बलवंत सिंह, मलकीत सिंह, सुखविन्द्र सिंह, लखविन्द्र सिंह, संत सिंह, कृष्ण सिंह, कुलवंत सिंह ने बताया कि बाढ़ ने इस क्षेत्र के दस गांवों को अपनी चपेट में लिया है। हज़ारों एकड़ फसल इस पानी ने तबाह कर दी है। उन्होंने खुद प्रयास करके अपने घरों को बचाया है। इन गांवों में हालात बहुत खराब हैं। भारत-पाक में तनाव हो या बाढ़ हो, उन्हें हर बार परेशानियों का सामना करना पड़ता है और अपने घर छोड़कर गांवों से बाहर निकलना पड़ता है। 
उन्होंने बताया कि इन गांवों के मज़दूर अब बेरोज़गार हो गए हैं। परेशानी के दौर से गुजर रहे इन ग्रामीणों का कहना है कि उनकी मदद के लिए कोई नहीं पहुंचा, जबकि चुनावों के दौरान उनके पास हर व्यक्ति पहुंचता है, लेकिन मुश्किल के समय को उनकी सुध नहीं लेता। वहीं कावां वाली पत्तन पुल पर बैठे ड्रेनेज विभाग के अधिकारी टहल सिंह का कहना है कि ड्रेनेज विभाग दिन-रात दरिया के पानी पर निगाह रखे हुए है। 
गत दिवस के मुकाबले दरिया के पानी में कुछ कमीं आई है। इस क्षेत्र के दस गांवों के निचले इलाकों में पानी दाखिल हुआ है, जबकि गांवों को कोई नुकसान नहीं हुआ है। उन्हाेंने कहा कि इस क्षेत्र में जो पानी है, वो सिर्फ सतलुज दरिया का है, न कि पाकिस्तान के किसी दरिया का पानी है।