अकाली दल-भाजपा गठबंधन को लेकर असमंजस बरकरार

राम सिंह बराड़
चंडीगढ़, 17 सितम्बर :  हरियाणा विधानसभा चुनाव दौरान भाजपा और अकाली दल के बीच संभावित गठबंधन को लेकर अभी तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है। गठबंधन के तहत अकाली दल के लिए भाजपा कितनी और कौन-कौन सी सीटें छोड़ेगी, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है। अभी तक यह भी साफ नहीं हो पाया कि अकाली दल के प्रत्याशी अपने चुनाव निशान तकड़ी पर चुनाव लड़ेंगे या भाजपा के चुनाव निशान पर मैदान पर उतरेंगे, इस बारे भी स्थिति साफ नहीं है। हरियाणा अकाली दल के नेताओं ने मंगलवार को पार्टी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल, हरियाणा मामलों के प्रभारी बलविंद्र सिंह भूंदड़, पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदू-माजरा सहित पार्टी के प्रमुख नेताओं से अकाली दल कार्यालय में मुलाकात कर इस बारे में जल्द स्थिति साफ करने और भाजपा नेतृत्व से बात करने का आग्रह किया। हरियाणा अकाली दल नेताओं का मानना है कि प्रदेश में 20-21 सिख बाहुल विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां पर अकाली दल का काफी प्रभाव है। हरियाणा में पिछले कुछ सालों से अकाली दल अपने चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ता रहा है और पिछले 10 सालों से हरियाणा की कालांवाली सीट से पहले चरनजीत सिंह रोड़ी और इस समय बलकौर सिंह कालांवाली अकाली दल के विधायक हैं। 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव अकाली दल ने इनैलो के साथ गठबंधन के तहत लड़े थे। उस समय अकाली दल ने कालांवाली और अंबाला शहर सीटों पर चुनाव लड़ा और दोनों बार कालांवाली सीट जीती थी। 
पिछले लोकसभा चुनाव के समय अकाली दल ने हरियाणा में भाजपा को खुला समर्थन दिया था और भाजपा ने प्रदेश की सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस बार अकाली कार्यकर्त्ता भाजपा से सम्मानजनक समझौता होने और समझौते के तहत अकाली दल के लिए सम्मानजनक सीटें छोड़े जाने की उम्मीद लगाए हुए थे। हरियाणा के अकाली नेता जिन सीटों पर चुनाव लड़ने के इच्छुक बताए जा रहे हैं उनमें कालांवाली, सिरसा, पिहोवा, डबवाली, नारायणगढ़, रत्तिया, शाहबाद, असंध जैसी सिखों के प्रभाव वाली सीटें शामिल हैं। हरियाणा अकाली दल के नेताओं को उम्मीद है कि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पंजाब में होने जा रहे 4 उपचुनावों के साथ-साथ हरियाणा के चुनावों के बारे में भी जल्द ही भाजपा नेतृत्व से मिलकर गठबंधन बारे स्थिति साफ करने और अकाली दल के हिस्से में आने वाली सीटों के बारे में अभी तक बना हुआ असमंजस दूर किए जाने का आग्रह करेंगे। दूसरी तरफ भाजपा नेतृत्व विधायक बलकौर सिंह के लिए कालांवाली सीट छोड़ने के लिए तैयार बताया जा रहा है और भाजपा नेतृत्व यह चाहता है कि जिस तरह इनैलो से गठबंधन के तहत अकाली दल दो सीटें लिया करता था उसी तरह भाजपा से भी गठबंधन के तहत कालांवाली सहित दो सीटों पर अकाली दल रजामंद हो जाए और कालांवाली के अलावा एक अन्य सीट अकाली दल के लिए छोड़ दी जाए। साथ ही भाजपा यह भी चाहती है कि अकाली दल अपने दो उम्मीदवार भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने के लिए राजी हो जाए। अभी तक इस बारे स्थिति साफ नहीं हो पाई है। अकाली दल-भाजपा के बीच हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए होने वाले संभावित गठबंधन को लेकर अभी तक सभी नज़रें इस ओर लगी हुई हैं और उम्मीद है कि जल्द ही गठबंधन को लेकर बना हुआ संशय दूर हो जाएगा।