फतेहपुर सीकरी के दीवाने खास का महत्त्व

फतेहपुर सीकरी के इस दीवाने खास की विशेषता यह है कि यह बाहर से देखने पर पूरी तरह एकमंज़िल लगता है जबकि यह अंदर से दोमंजिला है। इसकी पहली मंजिल पर बीचोंबीच बने स्थान पर कभी बादशाह बैठा करता था और खंभों के रास्तों से जुड़ी दीवार से सटी परिधि पर बादशाह के नवरत्न बैठकर उससे खास मंत्रणाएं करते थे।तुर्की सुल्ताना का महल, अनूप तालाब और ढबाबगाह : दीवाने खास के ठीक सामने बड़े से दालान में एक तालाब और उसके पीछे एक खूबसूरत महल दिखाई देता है। यह स्थान सीकरी का सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान है। तालाब के एक छोर पर शुरू में ही अकबर की तुर्की बेगम के नाम से जुड़ा ‘तुर्की बेगम’ का महल है जिसके निर्माण से एक प्रकार का लाल बलुआ पत्थर प्रयुक्त हुआ है। इस पर नक्काशी और डिज़ाईन इस प्रकार की गई है जिससे यह दूर से देखने पर लकड़ी का महल नज़र आता है। तुर्की सुल्ताना के महल और ख्वाबगाह के दालान में बना अनूप तालाब एक खूबसूरत सरोवर है जिसके बीचोंबीच एक बड़ा चबूतरा है। कहा जाता है कि कभी इसी चबूतरे पर बैठकर महान संगीतज्ञ तानसेन ने अपने इतिहास प्रसिद्ध रागों को बादशाह को सुनाया था। तानसेन ऐसी दिलकश आवाज़ का बेताज बादशाह जिसे सुनते ही लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। उसकी आवाज में वो जादू था जो समय को बांध लेता था। कहते हैं जब वह गाता था तो इंसान ही नहीं परिंदे भी उसके संगीत रस में खो जाते थे। अनूप तालाब के पीछे ख्वाबगाह संभवत: बादशाह का मुख्य आवास था। इसे ठंडा रखने के लिए नालियों के द्वारा पानी की व्यवस्था की जाती थी। आगरा और फतेहपुर सीकरी का यह सफर पर्यटकों को सालों-साल प्रेम और शासन के सुमेल की गाथा से सराबोर करता रहेगा।

-ट्ंिवकलदीप कौर सैणी