पानी की सड़कों वाला अद्भुत शहर-वैनस

सच! मुझे इससे पहले ट्रैफिक कभी भी इतना रोमांचक नहीं प्रतीत हुआ था। वैनस में एक ढलती शाम को नहर के गहन हरे पानी में थपथपाते हुए चप्पुओं की धीमी-सी आवाज़, किनारे पर लगी टिमटिमाती हुई बत्तियां, ‘गंडोला’ में चल रहे धीमे से मधुर संगीत के स्वर एवं उस पर लगे फूलों की महक का सम्मिश्रण। फिर जब इस सुरमयी शाम ने रात की चादर ओढ़ी एवं चांद की रोशनी ने पानी को चांदी जैसे रंग में रंग दिया तो एक जादू-सा छा गया, जो मन पर एक अमिट छाप छोड़ गया। वैनस शहर मानवीय सूझबूझ एवं प्रतिभा का प्रत्यक्ष गवाह है। इटली के पूर्वी हिस्से में एक लगून (खारे पानी की झील) पर स्थित यह ‘पानी के ऊपर तैरता शहर’ मानव मस्तिष्क की कला एवं इंजीनियरिंग का कारनामा है।  कहा जाता है कि इस शहर को रोमन शरणार्थियों ने बसाया था, परन्तु कुछ इतिहासकारों का मत है कि यह शहर लगभग 15 हज़ार वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया। इसकी नीतिगत स्थिति ने इसे पूरे यूरोप एवं अरब देशों के बीच समुद्री व्यापार के कारण बहुत धनी एवं शक्तिशाली राज्य बना दिया। यह समृद्धि इसके विशाल एवं सुंदर स्मारकों में झलकती है। यह दिलकश शहर 118 छोटे-छोटे द्वीपों पर बसा हुआ है।  ये द्वीप आपस में खारे पानी की एक झील (लगून) से जुड़े हुए हैं। लकड़ी की इन शहतीरियों का पानी के बीच ढेर लगा कर उसके ऊपर विशाल इमारतें बनाई गई हैं। हज़ारों वर्षों से ये लकड़ियां समुद्र के पानी के भीतर होने के बावजूद गली नहीं, अपितु आक्सीजन के न होने के कारण तथा समुद्र के खारे पानी के कारण पत्थर जैसी बन गई हैं। ये सभी द्वीप लगभग 400 पुलों के साथ आपस में जुड़े हुए हैं जिसके दृष्टिगत इस शहर को ‘सिटी ऑफ ब्रिजिज’ (पुलों का शहर) भी कहा जाता है। यह 21वीं शताब्दी का विश्व का एकमात्र ऐसा शहर है जिसमें पानी पर चलने वाले वाहन के अतिरिक्त कोई भी अन्य वाहन नहीं चलाया जाता। इस शहर की प्रमुख सड़क तीन किलोमीटर लम्बी एक कैनाल (जल मार्ग) है जिसे ‘ग्रैंड कैनाल’ कहा जाता है। यह शहर का सर्वाधिक भीड़-भाड़ वाला पानी का मार्ग है। शहर के शेष भागों में जाने के लिए इस में से लगभग 177 भिन्न-भिन्न कैनाल निकाली गई हैं। इन सभी कैनाल की गहराई लगभग 10 से 15 फुट है। इनमें नावें दिन-रात चलती रहती हैं। इसलिए इनके इर्द-गिर्द रोशनियां लगाई गई हैं। पुलिस की नावें इन कैनाल में आवागमन की उचित योजनाबंदी पर नज़र रखती हैं। ‘वैपोरिटी’ वैनस में बसों को कहा जाता है जो यहां के लोगों, यात्रियों एवं पर्यटकों को शहर के प्रत्येक कोने तक पहुंचाती हैं। यह शब्द तब से प्रचलित है जब से इन्हें वाष्प इंजन से चलाया जाता था। इसके अतिरिक्त हूटर बजाती एम्बूलैंस, आग बुझाने वाले यंत्रों के साथ लैस फायर ब्रिगेड की नावें ‘मोटोस्कैफी’ (टैक्सियां), मछुआरों की नावें, कूड़ा उठाने वाली नावें, मोटर बोट, चप्पू के साथ चलने वाली नावें तथा पैडल बोट्स इस शहर में इस प्रकार घूमती हैं जैसे अपने शहर जालन्धर में सड़कों पर घूमती हुई बसें, ट्रक, कारें, स्कूटर, मोटरसाइकिल एवं रिक्शा आदि।  परन्तु दुनिया भर में वैनस अपने ‘गंडोला’ को लेकर प्रसिद्ध है। ये संकुचित, पतली, काले रंग के हंस जैसी एक नवीन किस्म की नावें हैं। इन्हें 1500 ईस्वी से काले रंग में रंगा गया है, जब शहर में अधिक प्रदर्शन न करने का नियम बना दिया गया था। आज वैनस में 350 गंडोला एवं इन्हें चलाने वाले लगभग 400 गंडोला चालक (गंडोलियर) हैं। ये सब एक ही प्रकार के कपड़े धारीदार टी-शर्टें, काली पैंटें, छज्जे जैसी टोपियां पहनते हैं। गंडोला चालक चप्पुओं के स्थान पर लम्बे डंडे के साथ इन्हें चलाते हैं। ये कई फुट लम्बे डंडे के साथ कैनाल के तल पर पकड़ बना कर गंडोला को आगे धकेलते हैं। बारात को चर्च तक ले जाने के लिए गंडोला को लाल एवं गुलाबी रंग के फूलों के साथ सजाया जाता है। श्मशानघाट तक जाने वाले गंडोला की सफेद फूलों के साथ सजावट की जाती है।

   (शेष अगले रविवारीय अंक में)