पानी की सड़कों वाला अद्भुत शहर-वैनस

इस शहर को 1987 में यूनेस्को वर्ल्ड कल्चरल हैरीटेज का खिताब दिया गया था। आज यहां लगभग 55 हज़ार निवासी हैं तथा वे भी अधिकतर वरिष्ठ जन हैं। विगत 50 वर्षों से वैनस की जनसंख्या आधे से भी कम हुई है। इसका बड़ा कारण यह है कि पुराने घरों का रख-रखाव बहुत महंगा एवं कठिन हो गया है। विशेष तौर पर इसलिए क्योंकि यह शहर प्रत्येक वर्ष एक से दो मिलीमीटर समुद्र में धंसता जा रहा है। समुद्र की सतह पर बना यह अद्भुत शहर इसकी लहरों में डूबता जा रहा है। फिर भी यह प्रकृति के साथ निरन्तर लड़ रहा है, परन्तु इस समय ऐसा प्रतीत होता है कि प्रकृति ही जीत रही है। मनुष्य ने अपने मस्तिष्क के बल पर प्रकृति के साथ लड़ने के लिए अनेक आविष्कार किए हैं। इस शहर के इर्द-गिर्द स्टील के खोखले गेटों का बैरियर बनाया गया है। जैसे ही बाढ़ आने की चेतावनी मिलती है, स्टील के इन खोखले गेटों में से हवा निकाल दी जाती है जिससे ये अवरोधक बन कर शहर की रक्षा करते हैं। जैसे ही समुद्र का पानी पीछे हटता है,
स्टील के इन खोखले गेटों में पुन: पानी भर जाता है तथा ये पानी के भार के साथ समुद्र की सतह पर गिर जाते हैं। वैनस के कई नाम हैं..... कैनाल सिटी, फ्लोटिंग सिटी, सिटी ऑफ ब्रिजिज, सिटी आफ चिमनीज़ (यहां भिन्न-भिन्न प्रकार की लगभग 7000 चिमनियां हैं), सिटी
आफ बैलटॉवज़र्  (यहां लगभग 170 बैलटॉवज़र् हैं)। पुरातन समय  में इन पर स्थापित घंटी चर्च की प्रार्थना सभा शुरू होने पर बजायी जाती थी। शहर में कहीं भी आग लगने पर अथवा किसी भी आशंकित खतरे को भांपते हुए जनता को सतर्क करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता था। सेंट मार्कस बैलटॉवर वैनस में सबसे ऊंचा है। इसके ऊपर निर्मित सुनहरी रंग के फरिश्ते के पंख हर समय हवा में लहराते रहते हैं। यह बैलटॉवर वैनस के प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र में स्थित है, जोकि सेंट मार्कस स्कवेयर के नाम से जाना जाता है। यहां प्रत्येक वर्ष लगभग 20 मिलियन (लगभग 2 करोड़) पर्यटक आते हैं। वैनस के सर्वाधिक प्रसिद्ध चार द्वीप टोसैलो, मोरानो, बुरानो और सैन माइकल हैं। वैनस में किसी व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसे सैन माइकल द्वीप में द़फनाया जाता है। बुरानो नामक द्वीप वैनस से नाव में लगभग 40 मिनट की दूरी पर स्थित है। कुछ वर्ष पूर्व यह मछुआरों का एक गांव था परन्तु आजकल यह अपने गहन रंगों के मकानों एवं हस्त-निर्मित लैस को लेकर प्रसिद्ध है। इस द्वीप पर निर्मित रंग-बिरंगे मकानों के संबंध में एक प्रचलित गाथा यह है कि जब मछुआरे अपने घरों को लौटते तो धुंध में अपने घरों को पहचान नहीं सकते थे। इस कारण इस द्वीप पर सभी मकानों को अलग-अलग गहन रंगों के साथ आज भी पेंट किया जाता है। उल्लेखनीय बात यह है कि किसी भी एक मकान का रंग दूसरे मकान के रंग से मेल नहीं खाता तथा दशकों से एक मकान को एक ही रंग में रंगा जा रहा है। मकानों का यह बाहरी रंग बदलने के लिए सरकार से लिखित स्वीकृति लेनी पड़ती है। पूरे द्वीप में किसी भी मकान पर नम्बर अथवा गली नम्बर नहीं है। यहां के निवासी एवं डाकिये मकान के रंग से ही यहां के निवासी की पहचान करते हैं।  मोरानो द्वीप वैनस से 1.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कहा जाता है कि 13वीं शताब्दी में हाथ से कांच का सामान बनाने वाले कारीगरों के भट्ठे इस द्वीप
पर लगाये गये थे तथा आज भी मोरानो में बनाया गया कांच का सामान विश्व भर में प्रसिद्ध है। इस कला के रहस्य दशकों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी गोपनीय ही रखे जाते हैं। हाथ से सामान बनाये जाने की यह कला आज भी वैसे ही विद्यमान है जिस कारण इसे एक विलक्ष्ण कला भी माना जाता है।  वैनस को मुखौटों का शहर भी कहा जाता है क्योंकि इसका मुखौटों का त्यौहार (मास्क फैस्टीवल) विश्व भर में प्रसिद्ध है। इसे ‘कार्नीवल ऑफ वैनस’ भी कहा जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1162 में हुई थी जब वैनस के लोगों ने रोमन साम्राज्य पर विजय प्राप्त की थी। उस समय वैनस की जनता के लिए यह एक हास्य, उपहास, मौज-मस्ती, आज़ादी के जश्न का चिन्ह बन गया था। ये मुखौटे मिट्टी, पेपर मैशी, मोम, क्ले से बनाये जाते हैं तथा इन्हें रंगीन पेंट, रंग-बिरंगे रिबनों, धागों और पंखों के साथ सजाया जाता है। इस उत्सव को देखने के लिए विश्व भर से प्रत्येक वर्ष बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं। यह शहर पानी की संकुचित गलियों एवं मार्गों के अतिरिक्त पुलों और नहरों का एक आश्चर्यजनक चक्र-व्यूह है। इसके इस अद्भुत दृश्य के तिलिस्मी आकर्षण से आज तक कोई भी अचम्भित हुए बिना नहीं रह सका। (समाप्त)