कैसे डूबा पीएमसी बैंक ?

देश के को-आप्रेटिव बैंकों में एक बड़े नाम पीएमसी बैंक पर रिजर्व बैंक ने कई प्रतिबंध लगा दिए हैं और उसे अपनी निगरानी में ले लिया है। रिजर्व बैंक ने आदेश दिया है कि सभी खाताधारक अगले 6 महीने तक अपने खाते से केवल 10000 रुपये की राशि ही निकाल सकेंगे। पहले यह राशि एक हजार रुपये रखी गई थी। बाद में इसे बढ़ाकर 10000 रुपए कर दिया गया है। बैंक के चेयरमैन को हटा दिया गया और उसकी जगह रिजर्व बैंक ने अपना चेयरमैन भेजा है जो बैंक के सारे खातों की जांच करके बैंक को सुचारू रूप से चलाने और पटरी पर लाने का प्रयास करेगा। रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक के फिक्स डिपाजिट स्वीकार करने और कर्ज देने पर भी रोक लगा दी है। इस बैंक की स्थापना 1984 में मुंबई में हुई थी और दिल्ली, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात में भी इसकी शाखाएं हैं पर अधिकतर शाखाएं महाराष्ट्र में हैं। यह एक प्रमुख को-आप्रेटिव बैंक रहा है और सालाना 17 हजार करोड़ रुपये का कारोबार करता है। मार्च 2019 में समाप्त हुए फाइनेंशनल ईयर में बैंक ने लगभग 99 करोड़ रुपये का लाभ कमाया है। बैंक का अब तक की कारगुज़ारी भी अच्छी रही।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रिजर्व बैंक को इसलिए कार्रवाई करनी पड़ी क्योंकि बैंक ने हाउसिंग डिवेलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लि. नाम की कंपनी को 2500 करोड़ का कर्ज दे दिया है लेकिन कंपनी में समस्या चल रही है जिसके कारण कंपनी ने दिवालिया होने की प्रक्रि या प्रारंभ कर दी। आरबीआई को लगा कि 2500 करोड़ रुपए की राशि डूबने से बैंक की हालत पूरी तरह बिगड़ जाएगी क्योंकि बैंक का मुनाफा और सरप्लस मिलाकर 1000 करोड़ रुपये से भी कम है। इस बीच बैंक के प्रबंध निर्देशक जॉय थॉमस ने कहा कि 6 महीने के भीतर सब अनियमितताएं दूर कर बैंक फिर से काम करने लगेगा। बैंक की हालत इस समय ऐसी है कि कोई बड़ा बैंक उसको अधिग्रहण करने से बचना चाहेगा। यदि बैंक नहीं चल पाया तो जिन ग्राहकों की 1 लाख रुपए से अधिक राशि है उनको बहुत नुकसान होगा क्योंकि सबसे ज्यादा प्रभाव उन पर ही पड़ेगा। कहा जा रहा है कि बैंक ने कुछ जरूरी जानकारी रिजर्व बैंक से छुपाई पर रिजर्व बैंक की जिम्मेवारी भी कम नहीं है कि आखिर कैसे पीएमसी बैंक के अधिकारी रिजर्व बैंक से कुछ जानकारियां छिपाने में कामयाब हो गए। ऐसा लगता है कि रिजर्व बैंक को इन बैंकों के कामकाज पर और अधिक फंदा कसने की आवश्यकता है नहीं तो आम जनता का बैंकिंग सिस्टम से विश्वास हट जाएगा।

(युवराज)