हुसैनीवाला 1961 के फैसले व करतारपुर कॉरिडोर की जमीन का तबादला करे सरकार - बाबा सरबजोत बेदी 

ऊना,19 अक्तूबर - (हरपाल सिंह कोटला) - सिख श्रधालुओं की लम्बे समय से खुले दर्शन दीदार करने की अरदासों के फलस्वरूप श्री करतारपुर कॉरिडोर खुलने जा रहा है। जहां श्री करतारपुर कॉरिडोर के खुलने से सिख श्रधालुओं के मन में खुशी है वहीं दर्शन करने के लिए लगाई गई पासपोर्ट की शर्त से गरीब सिख के मन को ठेस भी पहुंची है। जिस गरीब सिख भाई लालो के कंधों पर गुरू नानक साहिब ने सिख धर्म का फलसफा कायम किया था अगर वह गरीब सिख ही दर्शन करने न जा सका तो हमारा यह 550वां प्रकाश पूर्व मनाना  सार्थक नहीं होगा। यह बात गुरमति प्रचारक संत सभा के प्रधान और गुरू नानक साहिब जी की 17 पीढ़ी के वंशज बाबा सरबजोत सिंह जी बेदी ने केंद्र सरकार के आए इस फैसले के बाद श्रद्धालुओं में निराशा को देखते की हंगामी बैठक के बाद पत्रकारों के साथ विचार सांझे करते हुए कही। उन्होंने मांग की कि जिस प्रकार 1961 में हुसैनीवाला बार्डर पर शहीद भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव जी की समाधि को सरकार द्वारा जमीन देकर  भारत में शामिल किया था, ठीक उस प्रकार ही पाकिस्तान को भारत के साथ लगती जमीन देकर श्री करतारपुर कॉरिडोर को भारत में शामिल करना चाहिए, ताकि आने वाले समय में श्रद्धालु श्री करतारपुर कॉरिडोर के खुले दर्शन दीदार कर सकें।