ट्रूडो की कनाडा में वापसी

जालन्धर, 23 अक्तूबर  (मेजर सिंह ): कनाडा की फैडरल सरकार के लिए पड़ी वोटों के नतीजों में जस्टिन ट्रूडो के पुन: प्रधानमंत्री बनने के फतवे से पंजाबी बागोबाग हैं परंतु पंजाब की चिंता बढ़ गई है। भारत में बसते व कनाडा रहते भारी संख्या में पंजाबी ट्रूडो की जीत के लिए मन्नतें मांगते आ रहे थे। उन्हें आशंका थी कि यदि टोरी पार्टी का शासन आ गया तो कनाडा में प्रवास के अवसर कम हो सकते हैं और प्रवास बारे नीतियों में बदलाव कर अमरीका की तरह सख्ती बरती जाएगी। ट्रूडो सरकार ने प्रवास बारे काफी खुले दिल वाली नीति अपनाई हुई थी और इसी कारण पिछले 4 वर्ष के कार्यकाल में साढ़े तीन-चार लाख के करीब पंजाबी विद्यार्थी वहां पहुंच गए और अब उनमें से अधिकतर ने वर्क परमिट भी ले रखे हैं और वैसे हर विद्यार्थी को हर सप्ताह में 20 घंटे काम करने की इजाज़त है। अब चर्चा यह है कि ट्रूडो की अल्पसंख्यक सरकार का सहारा पंजाबी सिख नौजवान जगमीत सिंह की अगुवाई वाली पार्टी एनडीपी बनेगी। जगमीत सिंह पहले ही प्रवास बारे ट्रूडो से भी अधिक खुले दिल वाली नीतियां अपनाने के समर्थक हैं। ऐसे हालत में कनाडा में पुन: ट्रूडो सरकार बनने से आइलैटस कर रहे लाखों नौजवानों व भारत व कनाडा में इमीग्रेशन के वकीलों व कम्पनियों के चेहरे खिल गए हैं। विदेश जाने के इच्छुक नौजवानों की आंखों में सपना पूरा होने के गहरी छवि उभारने लगे हैं और वकीलों व कम्पनियों को लूटने के लिए ग्राहकों की संख्या बढ़ने के आसार बन गए हैं। कनाडा सरकार इसलिए खुश है कि उसे हर वर्ष पंजाब से डालरों की बारिश हो रही है और साथ ही कमाऊ पूत मेहनत के लिए ढूंढ रहे हैं। पंजाबी नौजवानों व अभिभावकों को विदेशियों के देश जाकर अपना भविष्य सुरक्षित हुआ नज़र आ रहा है परंतु पंजाबियों की जन्मभूमि पंजाब उदास है और ट्रूडो सरकार पुन: लौटने से उसकी चिंता और बढ़ गई है। पंजाब से पिछले वर्ष सवा लाख के करीब नौजवान पढ़ाई के लिए विदेश गए थे और वह फीसों, हवाई टिकटों व अन्य खर्च के लिए 50 हज़ार करोड़ रुपए के करीब पंजाब से लेकर गए हैं। इस समय पंजाब से हर वर्ष लगभग अढ़ाई लाख नौजवान आइलैट्स की परीक्षा में बैठते हैं। प्रति नौजवान 13 हज़ार रुपए परीक्षा की फीस के हिसाब से 30 करोड़ रुपए से अधिक तो यह परीक्षा लेने वाली विदेशी कम्पनियां ही ले जाती हैं। ट्रूडो सरकार के वापिस लौटने से बढ़े जोश व उम्मीद के कारण यदि डेढ़ लाख नौजवान पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं तो जवानी के साथ एक वर्ष में ही 50 हज़ार करोड़ रुपए भी पंजाब के खाते से चले जाते हैं। पंजाब की कुल वार्षिक राजस्व राशि भी इतनी नहीं जितनी राशि वर्ष में बाहर चली जाती है। धन व जवानी का विदेश की ओर रुख करना पंजाब को दिन-प्रतिदिन खोखला कर रहा है। विदेश जाकर बसे लोगाें का भी पंजाब का बुरा हाल देख लगाव कम हो रहा है। नए जा रहे नौजवानों में से कोई वापिस नहीं लौटेगा। पंजाब में पढ़ाई व स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बद्दतर होती जा रही है। रोज़गार के अवसर पर सिंकुड़ रहे हैं। माहौल में तनाव व सामाजिक बिखराव बढ़ रहा है। बड़ी संख्या में नई पीढ़ी को पंजाब में रहने व यहां काम करने में  न कोई रुचि है और न ही कोई लगाव। यहां काम करने से कन्नी कतराते व मेहनत करने से टूट गए बताए जाते नौजवान कनाडा में कैसे घूमते हैं, यह वहां जाकर देखा जा सकता है। वहां पहुंचे नौजवान पढ़ाई भी करते हैं और साथ ही 12-12, 14-14 घंटे काम कर डालर  भी कमाते हैं। पिछले 4-5 वर्षों में यह भी उदाहरण नहीं मिलती कि वहां गए नौजवान काम न करने लगे होने व कमाई न कर रहे हों। जब पंजाब बर्बादी के मार्ग पर बढ़ रहा है और अंदर से खोखला होता जा रहा है तो हमारी सरकार नौजवानों को सम्भालने के लिए कोई प्रयास नहीं कर रही।