प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माता टौणी देवी

 हिमाचल को प्राचीन काल से ही देव भूमि के नाम से संबोधित किया गया है। यदि हम ये कहें कि हिमाचल देवी देवताओं का निवास स्थान है तो यह बिल्कुल भी गलत नही होगा। हमारे कई धर्म ग्रन्थों में भी हिमाचल का विवरण मिलता है। महाभारत, पद्मपुराण जैसे धर्म ग्रन्थों में हमें हिमाचल का विवरण मिलता है। इस सब से हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि हिमाचल प्राचीन काल से ही देवी देवताओं का प्रिय स्थान रहा है और हमें गर्व होना चाहिए कि हमने ऐसे स्थान पर जन्म लिया है। माता टौणी देवी का मंदिर हमीरपुर ज़िला मेें है।  टौणी देवी मंदिर हमीरपुर-अवाहदेवी राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। लगभग 300 वर्ष पूर्व जब दिल्ली पर मुगलों का आधिपत्य हो गया तो उन्होंने राजपूतों पर अत्याचार करना प्रारंभ कर दिया और राजपूतों को जनेऊ उतार कर धर्म परिवर्तन करवाने लगे। चौहान वंश के 12 भाइयों ने इस पहाड़ी दुर्गम क्षेत्र में शरण ली ताकि अपने धर्म व परिजनों की रक्षा कर सकें। उनके साथ उनकी बहन भी थी जिसे सुनाई नहीं देता था। परिवार के मुखिया ने बाकर कुनाह व पुंग खड्ड के केंद्र पर भवन की योजना बनाई  मगर जिस स्थान पर आधारशिला रखी गई, वहां पर खून की धारा निकलने पर सब अचंभित हो गए। इस पर कुल पुरोहित से मशिवरा लिया गया और उन्होंने इसके लिए घर की कुंवारी कन्या को दोषी बताया। कन्या ने इस स्थान पर घोर तपस्या की और आषाढ़ मास के 10 प्रविष्टे को अंतर्ध्यान हो गई । उसी की याद में उसके भाइयों ने यहां छोटे से मंदिर की स्थापना की जो कि आज भव्य रूप धारण कर चुका है। माता की याद में यहां हर वर्ष मेले का आयोजन होता है। नवरात्र में भी श्रद्धालु दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं। माता टौणी देवी को सुनाई नहीं देता था इसलिए जब भी कोई मन्नत मांगता है तो वहां रखे पत्थरों को आपस में टकराता है और उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।
चौहान वंश की कुलदेवी
माता के दरबार में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राज्यस्थान, जम्मू कश्मीर व उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों से भी चौहान वंश के लोग दर्शन करने आते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि टौणी देवी का मंदिर 300 वर्ष पुराना है और यह चौहान वंश की कुल देवी है। यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु माथा टेकने के लिए आते हैं। यहां पर आने से हर आदमी की मनोकामना पूर्ण होती है। यहां पर कई वर्ष से कमेटी काम कर रही है। श्रद्धालुओं को रहने के लिए हर प्रकार की सुविधा उपलब्ध है।
वास्तुकला
हमीरपुर-अवाहदेवी राष्ट्रीय राजमार्ग-70 के साथ टौणी देवी मंदिर की सीढ़ियां हैं। पहली मंजिल में टौणी देवी माता, दूसरी तरफ  साई बाबा, बाबा बालक नाथ व शनिदेव मंदिर है। दूसरी मंजिल में भगवान शिव व हनुमान की बड़ी मूर्तियां प्रतिष्ठापित हैं। इसके पीछे बड़ा सराय हाल है। इसके साथ भव्य व सुंदर पार्क है। यहां श्रद्धालु कुछ देर के लिए आराम करते हैं। मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रात को ठहरने की भी उचित व्यवस्था है।
ऐसे पहुंचें मंदिर
टौणी देवी मंदिर हमीरपुर-अवाहदेवी राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है। शिमला की तरफ से आने वाले श्रद्धालु हमीरपुर से होते हुए टौणी देवी पहुंच सकते हैं। पंजाब से आने वाले श्रद्धालु ऊना से हमीरपुर के बाद टौणी देवी पहुंच सकते हैं। इसके अलावा जम्मू से आने वाले श्रद्धालु कांगड़ा-हमीरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग से आ सकते हैं।

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