सेहत के लिए घातक है ज़हरीला दूध 

दूध नहीं आप पी रहे हैं मौत का गिलास। सेहत बनाने वाले दूध से कौन कर रहा है छेड़छाड़? हर तीन में दो भारतीय व्यक्ति ज़हरीला दूध पी रहे हैं? जो दूध बाज़ार में बिकता है, उसे मिलावट के द्वारा कौन बना रहा है ज़हर? हमें बचपन से सिखाया जाता है कि दूध एक सम्पूर्ण आहार है लेकिन अब वही दूध मौत का आहार बनता जा रहा है। दुनिया में जिसे जहां मौका मिलता है, लूट कर रहा है और करोड़पति बन रहा है। लेकिन बच्चों के सबसे महत्वपूर्ण आहार दूध के साथ तो खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। लेकिन नैतिकता हो अगर तभी तो दूध के लुटेरे बच्चों की ज़िंदगी की अहमियत को समझेंगे। पूरे देश में जितना दूध निकलता है प्रतिदिन सरकारी मापदण्ड में उसमें से 68 प्रतिशत दूध फेल होता है। मतलब 68 प्रतिशत दूध सेहत से भरा नहीं है, बल्कि वह बच्चों के हाथों, दांतों आदि को गला रहा है धीरे-धीरे। सेहतमंद इन्सान को भी यह दूध बीमार कर देता है, अपंग तक कर देता है। भारत में सिन्थेटिक और ज़हरीला दूध ज्यादा बिक रहा है, क्योंकि दूध माफियाओं को बच्चों की सेहत, बीमार इन्सानों की सेहत आदि दिखाई नहीं देती है। हमारे देश में 3 में से 2 व्यक्ति, बच्चे आदि सिन्थेटिक दूध पी रहे हैं। दूध में नकली रिफाइन्ड, यूरिया, नकली ग्लूकोज़ आदि मिलाया जाता है। विश्व में भारत सबसे बड़ा दूध का उत्पादक देश है। त्यौहारों में ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए नकली दूध के कारोबार में बढ़ौत्तरी हो रही है। जो दूध पैकेट में मिलता है, उसमें मिलावट करने के लिए इंजैक्शन द्वारा मिलावट करते हैं दूध माफिया। सफेद दूध की जो कालाबाज़ारी देश में चल रही है, वह सेहत के लिए बहुत घातक है। दूध माफिया का काला बाज़ार सरकार, कोर्ट, प्रशासन को दिखाई नहीं देता है। दूध शुद्ध है या नहीं इसे परखने के लिए कई तरीके हैं, लेकिन हर परिवार पहले दूध की जांच करे, फिर उसका इस्तेमाल करे, यह सम्भव नहीं लगता है। वैसे तो हमारे देश में लगभग 23 करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें दूध नहीं  नसीब होता है गरीबी के कारण, परन्तु जिन बच्चों को दूध मिल रहा है वह दूध तो शुद्ध होना चाहिए।