सैनेटाइज़र के नाम पर पंजाब में चोर बाज़ारी ज़ोरों पर

जालन्धर, 5 अप्रैल  ( मेजर सिंह ): मार्च के पहले सप्ताह कोरोना वायरस फैलने की दहशत ने पंजाब के सरकारी स्वास्थ्य प्रबंध का खोखलापन शुरूआती तौर में सामने लिया दिया था। अच्छे ढंग से नियमों में क्वालिटी वाले बने सैनेटाज़र व मास्क तो लोगों में मची हड़कंप के कारण एक दो दिन में खत्म हो गए परंतु स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों व सरकार में मच रही इस हड़कंप से होने वाली चोर बाज़ारी की ओर न तो कोई ध्यान दिया और न ही विकल्प प्रबंध करने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। ‘आग लगी तो मश्कों का क्या भाव’ वाली बात हुई कि रातों-रात नए से नए लेबल वाले सैनेटाइज़र बाज़ार में आ गए और भय में आए लोगों ने न भाव पूछा न खत्म होने की तारीख की ओर ध्यान दिया और न गुणवत्ता का ही कोई ध्यान किया। धड़ाधड़ जो मिला लोग खरीदत रहे। विभिन्न स्थानों से एकत्रित सूचना के अनुसार 100 मिली लीटर वाली शीशी 100 से 150 रुपए तक और 200 या इसके कुछ अधिक वाली शीशी 350 से 500 रुपए तक बिकती रही। स्वास्थ्य विभाग या सरकार के किसी अन्य  विभाग ने आज तक रातों-रात उभर कर सैनेटाइज़र बेचने वालों में किसी की भी जांच नहीं की। स्वास्थ्य विभाग से जुड़े एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि सैनेटाइज़र तैयार कर बेचने वालों का दावा तो अलकोहल बेस के साथ तैयार करने का है परंतु इसकी परख का कोई पैमाना ही नहीं। सवाल यह भी उठता है कि यदि सैनेटाइज़र का प्रयोग पहले अस्पतालों या कुछ बड़े लोगों के कार्यालयों व घरों तक ही सीमित था परंतु कोरोना ने इसकी मांग उच्च स्तर पर बढ़ा दी है। पहले तैयार करने वाली कम्पनियों के पास न तो अधिक भंडार ही था और न ही वह उत्पादन ही बढ़ा सकी परंतु लोगों में बढ़ी मांग को पूरा करने के लिए नकली व घटिया ढंग से तैयार सैनेटाइज़र बाज़ार में आए हैं। इस कारोबार से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया कि 10 मार्च के बाद किसी भी दवाइयों की दुकान पर कम्पनियों के सैनेटाइज़र नहीं मिल रहे हैं। बल्कि रातों-रात उभरी कम्पनियों के लेवल लगाकर बेचे जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि 60-70 रुपए वाली स्पिरिट की एक लीटर की बोतल पर 50 रुपए के 200 मिली लीटर के ऐलोवेरा को मिलाकर 100-100 मिली लीटर की 12 शीशियां बन जाती है जो 100 या 150 रुपए के भाव 1200 से 1800 रुपए तक बेची जा रही है। 120 रुपए लगाकर इतना बड़ा मुनाफा कमाने व नकली तथा घटिया सामान बेचकर लोगों की ज़िंदगियों के साथ खेला जा रहा है। बताया जाता है कि यह घटिया व नकली सैनेटाइज़र हर शहर में बनाए जा रहे हैं। साबुन के बड़े भंडार है, इसकी न तो कोई कमी हुई न ही कोई काला बाज़ारी। बहुत से लोगों का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग के कुछ स्वार्थ लोग इस धंधे से जुड़े हुए हैं।