बिहार में तेज़ हुईं राजनीतिक गतिविधियां

जैसे-जैसे बिहार विधानसभा के चुनाव नज़दीक आ रहे हैं, राजनीतिक पार्टियां चुनावों हेतु अपनी योजना और रणनीति बनाने में व्यस्त हो गई है। राज्य में विपक्षी पार्टियां एकजुट नहीं लगतीं, क्योंकि उपेन्द्र कुशवाहा, जतिन राम मांझी और मुकेश साहनी ने तेजस्वी यादव के प्रति अपनी अप्रसन्नता व्यक्त की है और आर.जे.डी. लीडरशिप पर दबाव डाल कर महागठबंधन नेता और मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के लिए कांग्रेस के नेताओं के साथ मुलाकात भी की है। जतिन राम मांझी ने मुख्यमंत्री नितीश कुमार से मुलाकात करके विधानसभा चुनावों संबंधी विचार-चर्चा की है। इसके साथ ही कांग्रेस विधानसभा चुनावों के लिए 100 सीटों की मांग कर रही है और अधिकतर वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव के महागठबंधन का नेता बनने के खिलाफ हैं। दूसरी तरफ नितीश बाबू भाजपा को अधिक सीटें देने के पक्ष में नहीं हैं, जो अब आधी सीटों की मांग कर रही है। पिछले लोकसभा चुनावों में जे.डी. (यू.) और भाजपा ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और अब नितीश कुमार इस काम हेतु छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन करने के लिए मांझी से भी बातचीत  की थी ताकि भाजपा पर दबाव डाला जा सके।
ममता के मंत्री
ममता बैनर्जी भाजपा के साथ झगड़े में व्यस्त है, जबकि उनके मंत्री उनके खिलाफ काम कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में इम्फान तूफान के कारण मची भारी तबाही के बाद सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस में लड़ाई शुरू हो गई है। वरिष्ठ मंत्री साधन पांडे ने पार्टी की ओर से चलाई जा रही कोलकाता म्यूनिसिपल कार्पोरेशन और तूफान के बाद की स्थिति से निपटने के लिए योजना न बनाने का आरोप लगाया है और फरीद हकीम को नसीहत दी है कि बचाव कार्यों के लिए पूर्व मेयर सोवन चैटर्जी के साथ विचार-विमर्श करें। फरीद हकीम ममता बैनर्जी के बहुत करीबी हैं और सोवन चैटर्जी भाजपा में हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति साधन पांडे के आगामी कदम का इंतजार कर रहा है, क्योंकि वह सुबराता मुखर्जी के बहुत नज़दीकी हैं। इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस के नेता और कोलकाता के मेयर फरीद हकीम ने साधन पांडे पर पलटवार करते हुए कहा है कि ए.सी. कमरों में बैठ कर भाषण देना बहुत आसान है।
बिहार कांग्रेस में विवाद
कांग्रेस की लीडरशिप विगत से कुछ नहीं सीख रही। बिहार में नई लीडरशिप खड़ी करने की कांग्रेस की वचनबद्धता हमेशा ही संदेहास्पद रही है। कांग्रेस की बिहार इकाई को उस समय झटका लगा जब इस वर्ष बिहार लैजिस्लेटिव कौंसिल में कांग्रेस के लिए खाली एक सीट पर तारिक अनवर का नामांकन भर दिया गया। हाल ही में कांग्रेस का दामन थामने से पूर्व अनवर नैशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के साथ थे। 
वह दो बार राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं। इसके अलावा वह  कटिहार लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रहे हैं। हालांकि बिहार में रजिस्टर्ड वोटर न होने के कारण उनका नामांकन रद्द हो गया था। परिणाम स्वरूप कांग्रेस ने बिहार लैजिस्लेटिव कौंसिल चुनावों  के लिए अंतिम क्षण अपना उम्मीदवार बदला और अनवर के स्थान पर बिहार कांग्रेस के वर्किंग प्रधान समीर प्रधान सिंह का नामांकन भरा। 6 जुलाई को 9 सीटों हेतु होने वाले इन चुनावों के लिए राज्य में महागठबंधन के अधीन कांग्रेस के पास केवल एक प्रत्याशी है।  इस एक सीट के लिए ही कांग्रेस के पास 3 हज़ार से अधिक आवेदन आये हैं।
मध्य प्रदेश कांग्रेस की स्थिति
मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के घटनाक्रम के बाद कांग्रेस नेता फूल सिंह बाराइया, जो राज्यसभा चुनाव हार गए हैं, निराश हैं और सिंधिया वाले रास्ते पर जा सकते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह द्वारा राज्यसभा चुनाव जीतने के बाद बाराइया नाखुश हैं, क्योंकि कांग्रेस की ओर से दिग्जिवय के स्थान पर उनको प्राथमिकता नहीं दी गई, जिस कारण वह हार गए। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार फूल सिंह बाराइया उप-चुनाव के दौरान अपने समर्थकों सहित पार्टी छोड़ सकते हैं। इसलिए पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ चिंतित हैं और फूल सिंह बाराइया को पार्टी से बाहर जाने हेतु रोकने का प्रयास कर रहे हैं। दूसरी तरफ भाजपा का कहना है कि यह कांग्रेस का दलित विरोधी कदम है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि कांग्रेस ने अपनी जागीरदारी सोच को एक बार फिर दिखा दिया है। (आई.पी.ए.)