मवेशियों में तेजी से फैल रहा लम्पी स्किन वायरस

नई दिल्ली, 14 अगस्त मध्य प्रदेश में छत्तीसगढ़ के रास्ते मवेशियों में होने वाली संक्रामक बीमारी तेजी से फैल रही है। वायरसजनित इस बीमारी का नाम लम्पी स्किन डिजीज दिया गया है। करीब एक साल पहले ओडिशा में मवेशियों में यह बीमारी फैली थी। विज्ञानियों ने इस वायरस को कैंपी पाक्स परिवार का नया वायरस बताया है।मध्य प्रदेश के महाकोशल और विंध्य संभाग में करीब 109 गांवों में मवेशियों के इस बीमारी से ग्रसित होने की पुष्टि हुई है। इस रोग में मवेशी की त्वचा पर गांठें बनती हैं और जोड़ों में सूजन आ जाती है। त्वचा पर बनी गांठ घाव का रूप ले लेती है। संक्रमित मवेशियों का तापमान बढ़ता है और उनकी मौत हो जाती है। पशु विज्ञानियों का दावा है कि यह मवेशियों से मवेशियों में फैलने वाला वायरस है। इससे मनुष्यों को खतरा नहीं है। हालांकि जिन मवेशियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है, उनकी जान बच जाती है।

मध्य प्रदेश के पशु पालन विभाग के पशु विज्ञानी डॉ. पीके सोलंकी यहां का सर्वे कर लौटे हैं। जिनमें यह वायरस है, उनके शरीर में छोटी-बड़ी कई गांठें मिली हैं जो पककर फूट रही हैं। शरीर का तापमान 104 से 105 डिग्री तक मिला है। अब यह आशंका जताई जा रही है कि यह रोग उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब जैसे प्रदेशों फैल सकता है। मवेशियों के बीच शारीरिक दूरी बनाने के निर्देश पशु विज्ञानियों ने इस वायरस की पहली बार पहचान अगस्त 2019 में ओडिशा में की थी।डॉ. सोलंकी के मुताबिक यह बीमारी विषाणु जनक वायरस से फैल रही है। यह कैप्री पोक्स की फैमिली का वायरस है। जो संक्रमित मवेशी से दूसरे मवेशी में फैलता है, इसलिए पशुपालकों को हिदायत दी है कि वे मवेशियों में शारीरिक दूरी बनाएं और उन्हें समूह में चराने न ले जाएं। वायरस की दवा नहीं, लक्षण से इलाज इस वायरस की अभी तक कोई दवा नहीं है, इसलिए लक्षणों के आधार पर दवा दी जा रही है। संक्रमित मवेशियों को एंटीबायोटिक, दर्द निवारक व विटामिन की दवा देकर इलाज कर रहे हैं।