आर्थिक मंदी और कोरोना

ताज़ा खबरों के अनुसार यह बात सामने आई है कि आर्थिक मंदी शिखर पर है। चाहे आर्थिक मंदी विश्वव्यापी है परन्तु भारत में इस विषय पर गंभीर चिन्तन की आवश्यकता है। पिछली तिमाही के अनुसार खपतकार ने पहले से 56 प्रतिशत कम खर्च किया है। यह आंकड़ा आर्थिकता के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे पता चलता है कि हमारी अर्थव्यवस्था को भी कोरोना हो गया है। एक और आंकड़े 2017-2018 को जांचा जाए तो गत 45 वर्षों में बेरोज़गारी की दर सबसे अधिक रही। आर्थिक मंदी को ग्रहण कोरोना से पहले ही लग गया था। चाहे सरकारी प्रयास आर्थिक मंदी को हटाने के लिए जारी हैं, परन्तु बढ़ रही आबादी और बेरोज़गारी ने उसके पांव बांध दिये हैं। 

-सुखपाल सिंह गिल