बहुत गंभीर हैं डॉ. ली मेंग यान के आरोप 

चीनी वायरोलॉजिस्ट डॉ. ली मेंग यान ने कोरोना वायरस के संबंध में चीन पर बहुत गंभीर आरोप लगाये हैं। अगर अमरीका का मकसद सिर्फ  चीन के विरूद्ध हंगामा खड़ा करना नहीं है तो डॉ. ली मेंग यान के आरोपों की जांच के लिए तुरंत एक साझा वैश्विक जांच दल बनना चाहिए और इन आरोपों की सच्चाई का पता लगाना चाहिए क्योंकि यह महज चीन और अमरीका के बीच का प्रतिष्ठा द्वंद्व नहीं है कि दोनों देश एक दूसरे पर आरोप और प्रत्यारोप करते रहें और दुनिया अपने अपने हिसाब से अपना अपना पक्ष तय करे। यह महज दो देशों की ऊंची नाक का सवाल भी नहीं है। यह पूरी दुनिया के अस्तित्व का सवाल है और किसी भी ताकत को पूरी दुनिया के साथ खिलवाड़ करने की छूट नहीं दी जा सकती। जहां तक भरोसे की बात है, तो न अमरीका भरोसेमंद है और न ही चीन। इसलिए न तो हमें अमरीका की इस चीख चिल्लाहट को बिना किसी शक-शुबह के स्वीकार कर लेना चाहिए कि चीन ने पूरी दुनिया को संकट में डाल दिया, और न ही चीन द्वारा इन आरोपों को खारिज किये जाने को ही मान लिया जाना चाहिए। चीन और अमरीका दोनों ही दुनिया की दो सबसे बड़ी ताकतें हैं और दोनों ही बहुत सारी वजहों से आंख मूंदकर भरोसे के लायक नहीं हैं। इसलिए बेहतर यह होगा कि पूरी दुनिया से कई प्रतिष्ठित विशेषज्ञों का एक साझा वैश्विक जांच दल बनाया जाए, जिसमें चीन के भी वैज्ञानिक शामिल किये जाएं और अमरीका के भी। इसके बाद महिला वायरोलॉजिस्ट डॉ. ली मेंग यान के इस खुलासे की गहराई से जांच हो कि कोरोना वुहान की लैब में बनाया गया है, मीट मार्केट तो बहाने के लिए रची गई कहानी है। गौरतलब है कि हांगकांग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से जुड़ी इस चीनी वायरोलॉजिस्ट ने हांगकांग से भागकर अमरीका में शरण लेने के बाद यह खुलासा किया है। इसलिए यह मानने में भी कतई झिझक नहीं होनी चाहिए कि सारा प्रपंच अमरीका द्वारा रचा गया भी हो सकता है। बहरहाल डॉ. ली मेंग यान ने यह पूछे जाने पर कि आखिर उनके पास इस रहस्योद्घाटन के बारे में वैज्ञानिक प्रमाण क्या हैं, डॉ. ली मेंग यान ने कहा कि उनके पास चीनी सेंटर फार डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के स्थानीय डॉक्टरों से खुफिया तरीके से की गई बातचीत के सबूत हैं। मालूम हो कि कोरोना वायरस को लेकर अमरीका और उसके समर्थक कई पश्चिमी देश लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं कि कोरोना वायरस कोई कुदरती वायरस नहीं है, यह चीन द्वारा षड्यंत्रपूर्ण ढंग से दुनिया को तहस-नहस करने के लिए लैब में विकसित किया गया वायरस है। डॉ. ली मेंग यान ने हाल में एक टेलीविजन चैनल को दिये गये अपने लम्बे इंटरव्यू में इन तमाम आरोपों को लगाते हुए कहा है कि जब कोरोना वायरस का पता चला तो विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ  से भी कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी। उन्होंने सीधे सीधे चीनी अधिकारियों को संभावित खतरों के बारे में सूचित किया परन्तु चीनी अधिकारियों ने एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया। डॉ. ली मेंग यान का मानना है कि चीन की इस प्रतिक्रिया कि वजह यही है कि यह वायरस प्रकृति से पैदा हुआ नहीं है बल्कि वुहान के एक लैब में बनाया गया है। यह लैब चीनी सरकार के नियंत्रण में है। जब उनसे यह पूछा गया तो फिर चीन की मीट मार्केट का क्या किस्सा है? डॉ. ली मेंग यान का मानना था कि मीट मार्केट तो महज एक स्मोक स्क्रीन है यानी सच्चाई को ढंकने का ज़रिया भर। डॉ. यान ने जोर देकर स्वीकार किया कि उन्होंने कई स्थानीय डॉक्टरों और कुछ खुफिया अधिकारियों के माध्यम से इस संबंध में ठोस जानकारियां हासिल की हैं कि यह वायरस मीट मार्केट में नहीं जन्मा। यही नहीं, उनके मुताबिक चीनी अधिकारियों को पहले दिन से पता था कि कोरोना का संचरण मानव से मानव में हो रहा है क्योंकि यह सार्स कोव-2 तरह का यानी उच्च उत्परिवर्ती किस्म का वायरस है जिसे यदि नियंत्रित नहीं किया जाता तो यह महामारी बन जाता है।डॉ. ली मेंग यान का मानना है कि जब उन्होंने सार्वजनिक रूप से यह बात कही कि वह इस खतरे के बारे में दुनिया को बताएंती तो चीनी अधिकारियों ने उन्हें डराया, धमकाया और कहा कि वह अपना मुंह नहीं खोलेंगी। इसकी वजह से उन्हें चीन छोड़कर अमरीका आना पड़ा। चीनी वायरोलॉजिस्ट की दलीलें इसलिए भी विश्वसनीय लगती हैं क्योंकि कोविड-19 वायरस का जीनोम अनुक्रम किसी दूसरे वायरस जैसा नहीं है बल्कि वह मानव फिंगर प्रिंट के माफिक है। इसके आधार पर ही यह साबित होता है कि कोरोना मानव निर्मित वायरस है। माना जाता है कि यदि चीन ने शुरू में ही इसके बारे में साफ -साफ  सब कुछ बता दिया होता तो यह अब तक इतना खतरनाक न हुआ होता। 

                 -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर