बचना संभव है मधुमेह से

कोई आधुनिक बीमारी नहीं है किंतु आधुनिक युग या जीवन की भाग दौड़, मानसिक तनाव, खान पान की बिगड़ी हुई आदतों आदि कारणों से आधुनिक युग में इसका प्रसार इतनी तीव्रता से हो रहा है कि आज के संदर्भ में इसका न होना एक विकृति कहा जा सकता है।
मधुमेह अत्यन्त प्राचीन रोग है फिर भी इस के मूल कारण आज भी अज्ञात हैं। इस रोग का संबंध रक्त की सामान्य अवस्था में उसमें उपस्थित शक्कर की मात्रा से है। रक्त शर्कर के असंतुलित होने पर इस रोग की उत्पत्ति होती है। जब रक्त में शक्कर की मात्रा बढ़ जाती है तो यह मूत्रा परीक्षण में दिखाई देने लगती है। 
मधुमेह के लिए मुख्य रूप से इंसुलिन की कमी या अपेक्षाकृत हल्की किस्म के इंसुलिन के स्राव को उत्तरदायी माना जाता है। अन्य ग्रंथियों से स्रावित रसों की अधिकता से भी यह रोग प्रकट हो सकता है किंतु मुख्य रूप से इंसुलिन की कमी ही इस रोग की जन्मदात्रा है। इंसुलिन अग्नाशय (पेंक्रियाज) नामक ग्रंथि से निकलने वाला स्राव है। यह कुछ हद तक भोजन को पचाने का कार्य करता है पर मुख्य रूप से शक्कर की मात्रा को ही नियंत्रित करता है। इस रस की असक्त्रियता या अल्प सक्रियता से शक्कर की सामान्य मात्रा रक्त में नहीं रह पाती।
मधुमेह का प्रकट होना या न होना अन्य बातों पर निर्भर है।
 स्थूल शरीर को इंसुलिन की अत्यधिक मात्रा में आवश्यकता होती है। आरंभ में अग्नाशय में अधिक इंसुलिन का निर्माण भी होता है किंतु कालान्तर में धीरे-धीरे स्राव के बनने की गति कम हो जाती है और उसकी किस्म में भी गिरावट आ जाती है। 
उपयुक्त लक्षणों में से किसी का भी हल्का-सा आभास प्राप्त हो तो तुरन्त ही मूत्रा एवं रक्त की जांच करा लेनी चाहिए। मधुमेह अनेक रोगों का जन्मदाता है जैसे मोतियाबिंद, गुर्दों की खराबी, शारीरिक कमजोरी आदि।
मधुमेह से बचने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। 
 * मोटापे से बचने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि मोटापा ही इस रोग का घर माना जाता है।
* मानसिक तनाव एवं भावनात्मक आघातों से बचने का प्रयास करना चाहिए।
* संक्रमण होने पर तुरन्त शक्कर का उपयोग बंद कर डॉक्टर की सलाह पर मूलत: इंसुलिन का इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
* प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए व सुबह, शाम सैर करनी चाहिए। इससे शरीर की मांसपेशियों को शक्कर की मात्रा प्राप्त होती है तथा शक्कर नियंत्रित मात्रा में रहती है।
 शारीरिक श्रम से जी नहीं चुराना चाहिए। यही कारण है कि जवान मनुष्यों की अपेक्षा प्रौढ़ एवं वृद्ध मनुष्यों में यह रोग अधिक मात्रा में होता है क्योंकि वे शारीरिक श्रम नहीं करते। यदि वे करते भी हैं तो बहुत कम मात्रा में।
मधुमेह एक कठिन रोग अवश्य है किंतु इस पर नियंत्रण करना असंभव नहीं है। वैसे कोई भी काम कठिन नहीं है। अगर ठान लें तो संयमित जीवन, समुचित व्यायाम संतुलित आहार प्रणाली एवं डॉक्टर की सलाह के अनुसार औषधियों का सेवन कर इस रोग की हानियों से बचा जा सकता है।

(स्वास्थ्य दर्पण)