आर्थराइटिस  ये दर्द बड़ा बेदर्द है

आर्थराइट्सि या संधिवात अथवा गठिया शब्द का सामान्य अर्थ है जोड़ाें का दर्द और सूजन। आइटिस का मतलब है सूजन अथवा जोड़ाें में दर्द। आर्थराइटिस से जोड़ाें के अलावा इनसे जुड़े शरीर के अन्य भागाें जैसे हड्डियाें, स्नायुवों, मांसपेशियों, शिराओं तथा कोशिकाआें आदि को भी प्रभावित करता है। इन रोगाें में शरीर के किसी भी अंग या प्रणाली को, यहां तक कि फेफड़ाें, हृदय, रक्त धमनियों और त्वचा तक को चपेट में लेकर जिन्दगी की रफ्तार को रोक सकता है। 
उम्र बढ़ने पर प्राय: लोगों को गठिया की शिकायत हो जाती है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण हमारे शरीर में यूरिक एसिड की अधिकता होना माना गया है। जब बॉडी में यूरिक एसिड बढ़ जाता है तो वह शरीर के जोड़ों में छोटे-छोटे क्रि स्टल के रुप में जमा होने लगता है। इसी कारण जोड़ाें में दर्द, ऐंठन व सूजन हो जाती है।  आर्थराइट्सि को जोड़ों का दर्द से जुड़ा होने के कारण दो भागों में बांटा जा सकता है, तात्कालिक एवं चिरकालिक। तात्कालिक दर्द तेज किन्तु अस्थाई होता है जबकि चिरकालिक में सप्ताह, महीनों या उम्रभर होने वाला दर्द होता है। 
आर्थराइटिस एक क्र ोनिक रोग है। इस रोग के निर्धारण के लिए वर्तमान व पुराने लक्षणों की पूरी जानकारी, शारीरिक परीक्षण, एक्सरे व खून की जॉच की आवश्यकता होती है। एक ही समय में एक से अधिक प्रकार के आर्थराइटिस के कुछ सामान्य प्रकार भी हैं जो शरीर को विकार युक्त बनाते हैं। आर्थराइटिस जैसी बीमारी से बचने के लिए कुछ कारगर उपाय भी हैं जिससे शरीर में यूरिक एसिड कम से कम बने। ठंड में या शीत हवा सें घुटनों व जोड़ों में पीड़ा बढ़ जाती है व रोगी असहनीय पीड़ा से जूझता है। घुटनों व जोड़ाें के दर्द में निजात पाने के लिए गर्म व ठंडी सिंकाई, दर्द की स्थिति में गर्म पानी से नहाने, हीटिंग पैड को बॉंधने व खून का दौरा सामान्य करने के लिए मसाज भी किया जा सकता है। पौष्टिक व शुद्ध भोजन करें, साथ ही सात से आठ घंटे विश्राम अवश्य करें। 
बथुआ के ताजा पत्तों का रस खाली पेट पीने से दर्द में आराम मिलता है। एलोविरा के पत्ते को काटकर उसके लसलीले रस को दर्द वाली जगह पर लगाएं। जहां तक हो सके हरे पत्तेदार सब्जियां उपयोग में ले। ज्यादा दर्द होने पर अरंडी के तेल की मालिश करें। (स्वास्थ्य दर्पण)