त्रिदोष-नाशक है सौंफ

आयुर्वेद चिकित्सा में सौंफ को त्रिदोषनाशक, कफनाशक, पाचक, बुद्धिवर्द्धक व नेत्रज्योतिवर्द्धक कहा गया है। सौंफ की तासीर ठण्डी होती है। सौंफ वात रोग, उदरशूल, दाह, अर्श, नेत्र रोग, वमन, कफ रोग आदि को दूर करती है।
-प्रतिदिन सौंफ औेर मिश्री चबा-चबाकर नियमित रूप से खाने से खून और रंग दोनों साफ होते हैं।
* बेल का गूदा और सौंफ सुबह-शाम खाने से अजीर्ण मिटता है तथा अतिसार में लाभ होता है।
* दो चम्मच पिसी सोंफ, गुड़ में  मिलाकर एक सप्ताह तक रोज खाने से नाभि का अपनी जगह से खिसकना रूक जाता है।
* यदि बार-बार मुंह में छाले हों तो एक गिलास पानी में  सौंफ पानी आधा रहने तक उबालें। इसमें जरा सी भुनी फिटकरी मिलाकर दिन में दो-तीन बार गरारे करें।
* रात्रि को सोते समय गुनगुने पानी के साथ पिसी सौंफ का सेवन करने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
* भोजन के बाद प्रतिदिन सौंफ खाने से मुंह की दुर्गन्ध दूर होती है तथा पाचन क्रि या ठीक रहती है।
* भुनी व कच्ची सौंफ समभाग मिलाकर दो चम्मच चूर्ण मठ्ठे के साथ लेने से अतिसार में लाभ होता है।
* सौंफ और मिश्री समभाग पीसकर एक चम्मच चूर्ण सुबह-शाम पानी के साथ दो माह तक सेवन करने से नेत्र ज्योति में वृद्धि होती है।
* स्मरण शक्ति यदि कमज़ोर हो तो सौंफ कूटकर उसकी मींगी निकाल कर सुबह-शाम एक चम्मच मींगी पानी या गर्म दूध के साथ सेवन करने से स्मरण शक्ति तेज होती है।
* जरा-सी सौंफ पानी में उबालकर तथा मिश्री मिलाकर दिन में दो तीन बार सेवन करने से खट्टी डकारें आनी बंद हो जाती है।
* पेट दर्द होने पर भुनी हुई सौंफ चबाने से शीघ्र आराम मिलता है।
* सौंफ तथा मिश्री पीसकर एक चम्मच चूर्ण दिन में दो बार पानी के साथ सेवन करने से खूनी पेचिश में लाभ होता है।
* जी घबराने या उल्टी होने पर सौंफ और पोदीना पानी में उबालें। पानी आधा रह जाने पर पिएं। दिन में तीन बार सेवन करने से लाभ होता है।

(स्वास्थ्य दर्पण)