अधिक उत्पादन के लिए गेहूं की पिछेती किस्मों की ही बिजाई करें

धान के अवशेष की संभाल कुछ किसानों ने एस.एम.एस. कम्बाईनों के साथ की और कुछेक ने आग लगा कर निपटान किया। इस तरह बहुत-से किसानों ने समय पर गेहूं की बिजाई कर ली। इस दौरान बारिश भी हुई, जिस कारण कुछ किसान देरी से बिजाई करने को लिए मजबूर हुए। आम किसानों ने एच.डी.-3086 और एच.डी. 2967 किस्मों की काश्त की। कुछेक ने उन्नत पीबीडब्ल्यू 343, डब्ल्यू एच 1105 किस्मों की भी बिजाई की। ऐसे किसान जिनको नई किस्में डीबीडब्ल्यू  187 और डीबीडब्ल्यू 222 के बीज प्राप्त हो सके, उन्होंने इन किस्मों की काश्त को प्राथमिकता दी। ये दोनों किस्में आईसीएआर-आईआईडब्ल्यू बीआर द्वारा विकसित की गई हैं और इनके संभावित उत्पादन क्रमवार 96.6 क्ंिवटल और 82.1 क्ंिवटल प्रति हैक्टेयर हैं तथा औसत उत्पादकता 61.28 क्विंटल तथा 61.3 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। पीएयू तथा आईसीएआर-आईएआरआई से सम्मानित अग्रणी किसान बलबीर सिंह जड़िया, धर्मकोट (अमलोह) जैसे किसान, जिन्होंने गत वर्ष यह किस्में लगाई थीं, का कहना है कि इनमें से डीबीडब्ल्यू 187 सर्वोत्तम है। 
चाहे 90 प्रतिशत से भी अधिक रकबे पर गेहूं की काश्त की जा चुकी है परन्तु कुछ किसान अभी भी फसल की बिजाई किये जा रहे हैं। आलू के काश्तकार आलुओं की फसल फटाफट निकाल कर गेहूं की बिजाई कर रहे हैं। कृषि विशेषज्ञ कहते हैं कि इन किसानों को गेहूं की पिछेती किस्में ही लगानी चाहिएं क्योंकि दिसम्बर में पिछेती किस्में दूसरी किस्मों से अधिक उत्पादन देती हैं। दिसम्बर में लगाने के लिए सिफारिश की गई किस्मों में डीबीडब्ल्यू 173, एचडी-3059 और पीबीडब्ल्यू 752 जैसी किस्में शामिल हैं। डीबीडब्ल्यू 173 किस्म पकने को 122 दिन लेती है और इसका संभावित उत्पादन 57 किलो और औसत उत्पादन 47.2 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। एचडी-3059 (पूसा पिछेती) किस्म 121 दिन लेकर औसतन 42.5 क्ंिवटल प्रति एकड़ तक उत्पादन देती है। पीबीडब्ल्यू 752 किस्म पकने को 130 दिन लेती है और औसतन 19 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन देती है। बिजाई की जाने वाली पिछेती पुरानी पीबीडब्ल्यू 590, डब्ल्यू एच-1021, पीबीडब्ल्यू 373 और पीबीडब्ल्यू 651 किस्मों की अब सिफारिश नहीं की जाती। किसान इन किस्मों की काश्त न करें। ज़ीरो टिल तकनीक से बिजाई के लिए एचडी-3117 किस्म अनुकूल है परन्तु इस की बिजाई तुरंत कर देनी चाहिए।  गेहूं की पिछती बिजाई में उगने की शक्ति बढ़ाने की आवश्यकता है। इसलिए बीज  को 46 घंटे तक भिगो कर सूखा लेना चाहिए और फिर ड्रिल से बिजाई कर देनी चाहिए।  दीमक के हमले वाली ज़मीनों में बिजाई करने हेतु बीज को पहले क्लोरोपाईरोफास दवाई से संशोधित कर सूखा लेना चाहिए। बीज 4 सैंटीमीटर गहरा लगाना चाहिए। अधिक उत्पादन लेने हेतु दो तरफा बिजाई करनी चाहिए। खाद और बीज की सिफारिश की आधी मात्रा एक तरफ बिजाई के लिए और दूसरी आधी मात्रा दूसरी तरफ बिजाई के लिए डालनी चाहिए। खादों का उपयोग मिट्टी की जांच के आधार पर करना चाहिए। यदि मिट्टी की जांच न की गई हो तो मध्यम उपजाऊ भूमि के लिए यूरिया 110 किलो, सुपरफास्फेट 155 किलो और म्यूरेट आफ पोटाश-20 किलो प्रति एकड़ डालना चाहिए। अब के बाद बिजाई की गई गेहूं को उचित समय पर लगाई गई गेहूं से 25 प्रतिशत नाइट्रोजन की मात्रा कम कर देनी चाहिए। पूरी फासफोरस और एक तिहाई यूरिया बिजाई के समय डाल देना चाहिए। 
इस माह गेहूं की फसल को पीली कुंगी के हमले का डर है। जिन गेहूं की किस्मों को कुंगी आने की संभावना है, उन किसानों को प्रतिदिन सर्वेक्षण करना चाहिए। जिन खेतों में पीली कुंगी के लक्ष्ण दिखाई दैं, तुरंत विशेषज्ञों द्वारा सिफारिश की गईर्ं दवाईयों का छिड़काव कर देना चाहिए ताकि कुंगी के बढ़ने पर रोक लग सके। कुंगी की बीमरी पहले नीम पहाड़ी क्षेत्रों में आती है फिर इसके दूसरे क्षेत्रों में फैलने की संभावना होती है।  वर्तमान ठंड गेहूं की फसल के लिए बड़ी अच्छी और लाभदायक है। इस वर्ष छोटे और सीमांत किसानों को केन्द्र द्वारा अन्न सुरक्षा कार्यक्रम के तहत राज्य सरकार को दी जा रही सबसिडी की राशि में से बीज पर भी रियायत प्राप्त नहीं हो सकी।