तुरुप का पत्ता भी शायद बचा न पाये ट्रम्प की सत्ता

अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प व्हाइट हाऊस में लगातार दूसरी बार बने रहने के अपने प्रयास में हर मोर्चे पर पराजित हुए हैं। वह पॉपुलर वोट में हारे, वह इलेक्टोरल वोट में हारे, वह राज्यों की अदालतों से लेकर सुप्रीम कोर्ट (जिसमें उनकी विचारधारा के न्यायाधीश बहुमत में हैं) में अपने 50 से अधिक मुकद्दमों में हारे और वह इलेक्टोरल वोट्स की पुष्टि प्रक्रिया में भी हारे लेकिन अभी तक उन्होंने अपनी हार स्वीकार नहीं की है। ट्रम्प बिना किसी ठोस सबूत के अब भी अपने इस बेतुके व आधारहीन नैरेटिव पर अड़े हुए हैं कि ‘जबरदस्त चुनावी फ्राड से उनकी जीत उनसे छीन ली गई’। अपनी बात को मनवाने के लिए उन्होंने अपने श्वेत समर्थकों को हिंसा व दंगा करने तक उकसाने का प्रयास किया है। ईरान के विरुद्ध जंग छेड़ने तक के संकेत दिए हैं ताकि अमरीका में एमरजेंसी जैसी स्थिति बने और वह अपने पद पर कायम रहें। इसी प्रयास में उन्होंने राष्ट्रपति-निर्वाचित जो बाइडन की टीम को प्रशासनिक कार्य समझने व गोपनीय फाइलों (विशेषकर रक्षा संबंधी) तक पहुंचने से रोका है।
राष्ट्रपति बने रहने के अपने आखिरी दांव के रूप में, अब ट्रम्प की कोशिश यह है कि 6 जनवरी, 2021 को होने वाली सीनेट व हाउस ऑफ  रिप्रेज़ेन्टेटिव्स की संयुक्त बैठक में उप-राष्ट्रपति माइक पेंस ‘विवादित’ राज्यों के इलेक्टर्स के सर्टिफिकेशन को अनदेखा कर दें ताकि ट्रम्प को व्हाइट हाउस में दूसरा अवसर मिल सके। पेंस ने संकेत दिए हैं कि वह ट्रम्प के उन वफादार रिपब्लिकन सीनेटर्स का समर्थन करते हैं, जो चुनावी नतीजे पलटने की कोशिश में हैं क्योंकि वह ‘वोट धांधली व अनियमितताओं पर लाखों अमरीकियों की चिंताओं को शेयर’ करते हैं। इससे पेंस और उप-राष्ट्रपति पद का अमरीका की राजनीति में अचानक महत्व बढ़ गया है।
गौरतलब है कि अमरीका के संस्थापकों ने उप-राष्ट्रपति पद को इस तरह से डिजाइन किया था कि वह सजावटी मुखौटे से अधिक कुछ भी नहीं था। इसलिए इस पद पर आसीन होने वाले शुरुआती लोग अक्सर इसे छोड़कर चले जाते थे। अमरीका के दूसरे उप-राष्ट्रपति थॉमस जेफर्सन ने तो इस पद के बारे में यहां तक कहा कि ‘मानव आविष्कार का यह सबसे अमहत्वपूर्ण पद है’। एक अन्य प्रसंग राष्ट्रपति थियोडोर रूज़वेल्ट से संबंधित है। वह व्हाइट हाउस के झाड़फानूस की टिंक-टिंक से परेशान थे और उसे हटवाना चाहते थे। बटलर ने उनसे मालूम किया कि वह झाड़फानूस को कहां रखे? जवाब में रूज़वेल्ट ने कहा, झाड़फानूस को उप-राष्ट्रपति के पास ले जाओ। लेकिन ट्रम्प की बेतुकी ज़िद के कारण उप-राष्ट्रपति पेंस कम से कम 6 जनवरी (सदन के संयुक्त अधिवेशन) तक चर्चाओं के केंद्र में आ गये हैं। सवाल यह है कि क्या पेंस ट्रम्प के लिए इस तरह से तख्ता पलट सकेंगे कि उनकी कार्यवाही को कानूनी कवच मिल सके? पेंस के लिए ऐसा करना लगभग असंभव प्रतीत होता है। ट्रम्प की ज़िद को कई अदालतों ने कूड़ेदान में फेंक दिया है और इस संदर्भ में नवीनतम यह है कि 2 जनवरी, 2021 को भी अपील्स कोर्ट ने ट्रम्प की एक याचिका को खारिज किया है। कानूनी विशेषज्ञों और राजनीतिक पंडितों का कहना यह है कि अगर उप-राष्ट्रपति तख्ता यानी चुनावी नतीजे पलटने का अधिकार रखते होते तो 6 जनवरी, 2017 को उप-राष्ट्रपति जो बाइडन ने ट्रम्प की जगह हिलेरी क्ंिलटन को राष्ट्रपति बना दिया होता, खासकर इसलिए कि पॉपुलर वोट में तो उन्होंने ही जीत दर्ज की थी और उस समय भी ट्रम्प ने चुनाव में धांधली के आरोप लगाये थे।
यही नहीं, 6 जनवरी, 2001 को उप-राष्ट्रपति अलगोर स्वयं को 2000 चुनाव का विजेता घोषित कर सकते थे, जिसे जॉर्ज बुश ने सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के साथ जीता था, जोकि खासा विवादित भी हुआ था। वर्तमान विवाद का एक अन्य महत्वपूर्ण विरोधाभास यह है कि ट्रम्प के समर्थन में लगभग 150 सांसद हैं, जिनमें वे 12 रिपब्लिकन सीनेटर्स भी हैं जिन्हें अब ‘डर्टी डजन’ कहा जा रहा है। ये सब राष्ट्रपति चुनाव में धांधली के आरोप लगा रहे हैं, लेकिन यह उन्हीं चुनाव क्षेत्रों से जीतकर आये हैं जिनके बारे में उनके आरोप हैं कि अश्वेतों, अल्पसंख्यकों, उदारवादियों व फेमिनिस्ट की साजिश से ट्रम्प की व्हाइट प्राइमेसी में हार हुई और बाइडन-हैरिस की टीम ऑफिस में आयी। 
जाहिर है ये सभी विरोधाभास 6 जनवरी को कांग्रेस के संयुक्त अधिवेशन, जिसकी अध्यक्षता पेंस करेंगे, में अपने जलवे दिखायेंगे। कांग्रेस का संयुक्त अधिवेशन अब तक मात्र औपचारिक हुआ करता था, लेकिन इस बार हंगामी हो सकता है। ट्रम्प के कारण कांग्रेस में जो विभाजन की राजनीति होगी, उसके रिपब्लिकन पार्टी ही नहीं बल्कि अमरीका के लिए भी गंभीर परिणाम निकल सकते हैं। यह चिंताजनक है, संभवत: पूरे विश्व के लिए। इस सियासी उठा-पटक में फंसे हुए हैं पेंस, जो अपने आपको ‘ईसाई, कंजर्वेटिव व रिपब्लिकन’ कहते हैं। दरअसल, अन्य रिपब्लिकनों की तरह पेंस भी अपनी भविष्य की राजनीति को देखते हुए ट्रम्प के प्रति वफादारी व पार्टी के प्रति जिम्मेदारी और तथ्यों व संख्या (जो बाइडन को अगला राष्ट्रपति घोषित करने के लिए मज़बूर करती है) के बीच में फंसे हुए हैं। रिपब्लिकन पार्टी में भी राजनीतिक वातावरण बेहद उबाल पर है।  इस सब के बावजूद अनुमान यही है कि पेंस कानूनी दायरे के बाहर नहीं जा सकेंगे। अत: ट्रम्प का आखिरी दांव भी पिटेगा और जो बाइडेन 20 जनवरी, 2021 को अमरीका के 46वें राष्ट्रपति होंगे।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर