ओपेरा और पारम्परिक संगीत के लिए प्रसिद्ध मिलान

मिलान उत्तरी इटली का सबसे बड़ा महानगर है जिसकी जनसंख्या भी सर्वाधिक है। स्थानीय भाषा में इसे मिलानो कहा जाता है। इस शहर की स्थापना इनसबरेस द्वारा की गई थी। इस नगर को ई.पू. 222 में रोमन द्वारा कब्जे में ले लिया गया। रोमन साम्राज्य के अधीन यह शहर काफी समृद्ध हुआ। बाद में मिलान पर विस्कान्टी, स्फ़ोजऱ्ा, और 1500 में स्पेनिश 1700 में आस्ट्रिया का शासन रहा। 1796 में नेपोलियन प्रथम ने  मिलान पर विजय प्राप्त की तथा उसने 1805 में उसे अपने साम्राज्य इटली की राजधानी बनाया। एक लम्बे समय से  मिलान यूरोप का एक प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र भी रहा है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मिलान बुरी तरह प्रभावित हुआ। 1943 में जर्मनी के कब्जे में आने के बाद, मिलान इटली के प्रतिरोध का मुख्य केंद्र बन गया। इसके बावजूद मिलान ने युद्धोत्तर आर्थिक विकास देखा जिसने हज़ारों आप्रवासियों को आकर्षित किया।आज भी मिलान अंतर्राष्ट्रीय फैशन नगरी के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है तो यूरोपीय संघ के व्यापार और वित्त के सबसे महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक भी है। शायद इसी कारण इसे दुनिया का 11वां सबसे महंगा शहर माना जाता है। वैसे मिलान को विश्व के 28वें सबसे समर्थ और प्रभावशाली शहर के रूप में भी वर्गीकृत किया गया है। इस शहर की बहुत समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा और विरासत रही है। यहाँ के भोजन जिसमें पिज्जा, पेनेटोन क्रि समस केक और रिसोट्टो अला मिलानीज़ जैसे असंख्य लोकप्रिय व्यंजन शामिल हैं, दुनिया भर में पसंद किए जाते हैं।  यह शहर ओपेरा और पारंपरिक संगीत के लिए प्रसिद्ध है, तो मिलान कई महत्वपूर्ण संग्रहालय, विश्वविद्यालय, अकादमी, राजमहल, चर्चपुराना किला, और पुस्तकालय के लिए भी प्रसिद्ध है। यह नगर यूरोप के सर्वाधिक लोकप्रिय पर्यटन नगरों में से एक है। जिन लोगों का विश्वास है कि बिना खाये-पीये किसी यात्रा का मजा नहीं है तो उनके लिए इतालवी व्यंजन पिज्जा, पास्ता, स्पेगेटी, रिसोतो और अनेक प्रकार के ड्रिंक्स की अनगिनत किस्में मौजूद हैं।बाजार से कुछ दूरी पर खूबसूरत चर्च दिखाई दे रहा था। चौराहा पार करते ही सामने विशाल चर्च था। अपने सौंदर्य और वास्तुकला में अद्वितीय यह इमारत देखने वालों की भारी भीड़ थी। एक अद्भुत बात यह थी कि कुछ अफ्रीकी यहाँ आने वाले के हाथ में कलावा बांधकर उनसे कुछ ले रहे थे। मेरी दृष्टि में मिलान नई दिल्ली के काफी करीब है। यहाँ की इमारताें को देखकर तथा बाजार में घूमते हुए कनाट प्लेस सी अनुभूति होती है। बाजार में हैंड बिल बाँटते लड़के- लड़कियां दिखाई देते हैं ठीक उसी तरह जैसे दिल्ली हो। आशा के अनुरूप वह युवती बहुत प्रसन्न हुई और अपने उत्पाद के बारे में विस्तार से बताने लगी। भाषा इटालवी होने के कारण उसकी ज्यादातर बातें हमारी समझ से बाहर ही रही लेकिन उसे संतोष रहा होगा कि हमने उसकी बातें बहुत धैर्यपूर्वक सुनी। लगभग हर दुकान पर ‘सेल’ का बोर्ड टंगा है। यहाँ के अधिकांश दुकानदार दो खरीदने पर तीसरा फ्री का प्रलोभन देने में भारत से पीछे नहीं हैं। फैशन नगरी होने के कारण कपड़े विशेष रूप से महंगे हैं। एक कमीज कुछ पसंद आई भी तो उसकी कीमत भारतीय मुद्रा में सोलह हजार सुनकर खरीदने का इरादा त्याग दिया। भारत की तरह बड़े-बड़े मॉल भी हैं जहाँ लगभग यहीं जैसा सामान मिलता है। अंतर है तो यह कि यहाँ पुस्तक भी बिकती है जबकि हमारे देश के मॉल्स में पुस्तकों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। मिलान और दिल्ली की एक समानता यह भी कही जा सकती है कि यहाँ पर्यावरण की स्थिति शेष यूरोप से कमतर है। प्रदूषण से स्थिति हुए एक अध्ययन के अनुसार गत वर्ष अक्तूबर में इतनी ख़राब हो गई है कि दस घंटों के लिए सभी वाहनों के सड़कों पर आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। उपग्रह से प्राप्त चित्रों की जाँच एवं परीक्षण के परिणामों के अनुसार मिलान यूरोप के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में से एक है।सुरक्षा जाँच एक्स-रे मशीनों से हो रही थी इसलिए सुरक्षाकर्मी द्वारा हाथ उठवाकर जाँच की जरूरत नहीं पड़ी। अजीब बात यह थी कि वापसी में भी विमानन कम्पनी द्वारा जारी सभी के बोर्डिंग पास पर सीट नम्बर फिर अलग-अलग थे। पत्नी, बच्चे, साथी सबकी सीट अलग होने के कारण बिखर गये। उनकी इस भूल को एक बार यात्रियों से अपनी सीटें अदल-बदल कर सुधारा। आश्चर्य यह कि जो काम व्यक्तिगत स्तर पर किया गया, उसे उन्होंने आग्रह के बावजूद क्यों नहीं किया। चाय, नाश्ता, डिनर के बीच दो सप्ताह के अनुभवों पर चर्चा के बाद झपकी आने लगी। कुछ सोते- कुछ जागते विमान ने भारतीय समय के अनुसार प्रात: आठ बजे भारतीय सीमा में प्रवेश किया तो हम चाय की चुस्कियाँ ले रहे थे। लगभग 9:30 बजे उड्डयन अधिकारियों ने सीट की बेल्ट बांधने का संकेत दिया तो स्पष्ट था कि ‘दिल्ली अब दूर नहीं है।’ विमान के सुरक्षित उतरने पर सभी प्रसन्न थे। मैं भी प्रसन्न था कि फिर से अपनी मातृ-भूमि की गोद में हूँ।  इस तरह चहकते-महकते शुरू हुआ यह यादगार सफर अपना यह रंग और स्वाद भी बिखर गया। (उर्वशी)