सीधी बिजाई तकनीक से धान मई में लगाने की सिफारिश

धान पंजाब के खरीफ मौसम की प्रमुख फसल है। इसकी लगभग 75 लाख एकड़ रकबे पर काश्त की जाती है। सन् 2017-18 में 199.72 लाख टन धान पैदा करके ‘कृषि करमण पुरस्कार’ प्राप्त किया। इस वर्ष धान की 72 लाख एकड़ रकबे पर बिजाई होने की संभावना है जिसमें 10 से 11 लाख एकड़ रकबे में बासमती किस्मों की काश्त की जाएगी। धान की सिंचाई की आवश्यकता अधिक होने के कारण इसकी फसल को पानी की अधिक ज़रूरत है। सिंचाई अधिकतर भूमिगत पानी के साथ की जाती है, जिसके लिए बिजली और डीज़ल से चलने वाले ट्यूबवैल सबमर्सिबल पम्प काम कर रहे हैं।
भूमिगत पानी का स्तर हर वर्ष नीचे जा रहा है। इस वर्ष पंजाब सरकार ने पानी की बचत और कोरोना वायरस के कारण प्रवासी मज़दूरों की सम्भावित कमी को ध्यान में रखते हुए 25 लाख एकड़ रकबे में सीधी बिजाई करने का लक्ष्य रखा है। कृषि कमिश्नर बलविन्दर सिंह सिद्धू कहते हैं कि यह लक्ष्य पार करके 30 लाख एकड़ पर सीधी बिजाई करने के लिए प्रयास किये जाएंगे। स. सिद्ध के अनुसार इस सीधी बिजाई की विधि से ट्रांसप्लांटिड धान के मुकाबले 10 से 15 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। एक तकनीक के अनुसार किसानों को सूखे खेत में सीधी बिजाई करके तुरंत बाद सिंचाई कर देनी चाहिए और दूसरी सिंचाई उसके 4 से 5 दिन के बाद करनी चाहिए। यदि बिजाई खेत में रौणी करके की जाती है तो पहली सिंचाई बिजाई के 6 से 7 दिन बाद करनी चाहिए। इसके बाद भूमि की किस्म के आधार पर 5 से 10 दिन के अन्तराल में पानी दे देना चाहिए। आखिरी पानी धान पकने के 10 दिन पहले देने की ज़रूरत है। 
सीधी बिजाई के लिए किसानों को अब मई में ट्यूबवैलों के लिए बिजली की आवश्यकता है ताकि रौणी करके सीधी बिजाई कर सकें। सिद्धू ने कहा कि सरकार ने पंजाब राज्य बिजली निगम को 25 मई से एक सप्ताह के लिए प्रतिदिन 8 घंटे ट्यूबवैटों को बिजली देने के लिए कहा है। आगामी मास में 3 जून से एक सप्ताह के लिए 9 जून तक 4 घंटे प्रतिदिन ट्यूबवैलों को बिजली दिये जाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि 10 जून के बाद लगातार 8 घंटे बिजली दी जाएगी, जिसके बाद किसान कद्दू करके भी धान लगा सकेंगे। अधिकतर किसानों ने पूसा 44 किस्म सहित धान की अन्य किस्मों की पौध की बिजाई कर ली है ताकि वे 10 जून से धान की रोपाई शुरू कर सकें। सिद्धू ने बताया कि कृषि और किसान भलाई विभाग ने 5-5 गांवों के ग्रुप बना कर 1017 प्रशिक्षण कैंप किसानों को सीधी बिजाई तकनीक की जानकारी देने के लिए लगाए गए हैं। गत वर्ष कुछ किसानों ने सीधी बिजाई से धान लगाया था जो फिर उन्होंने नष्ट करने के बाद में कद्दू करके फसल लगाई क्योंकि उन्हें सीधी बिजाई तकनीक की पूर्ण जानकारी नहीं थी। सीधी बिजाई तकनीक को पानी और कृषि मज़दूरों की बचत करने के लिए कृषि कमिश्नर आदर्श बताते हैं। इस वर्ष कोरोना वायरस के कारण बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड और ओड़िशा आदि राज्यों से कृषि मज़दूरों के वांछित संख्या में आने की बड़ी कम संभावना है। कमिश्नर सिद्धू ने अपील की है कि किसानों को अभी से इस संबंधी प्रबंध कर लेने चाहिएं। उन्होंने कहा कि सीधी बिजाई के लिए जो किस्में योग्य हैं, उनके बीज किसानों को देने हेतु राज्य भर में उपलब्ध हैं। धान की सीधी और कद्दू करके बिजाई के लिए किसानों को लेज़र कराहे के साथ खेतों को समतल करवा लेना चाहिए। इस के बाद सिंचाई वाले पानी का संयम से इस्तेमाल होता है और फसल अच्छी तरह अंकुरित  होती है।
लगभग 50 लाख एकड़ रकबा कद्दू करके ट्रांसप्लांटिंग से बीजा जाना है, जिसके लिए कुछ किसानों ने पौध लगा ली है और शेष किसान बीज का प्रबंध करके पौध लगाने की तैयारी कर रहे हैं। पंजाब कृषि यूनिवर्सिटी ने धान की रोपाई सही ढंग से करने हेतु किसानों को सलाह दी है कि खादों का उपयोग भूमि जांच की सिफारिश के अनुसार करें। गेहूं के लिए डाली गई फासफोर्स वाली भूमि में धान को फासफोर्स डालने की आवश्यकता नहीं। झूठी कांगिआरी की रोकथाम के लिए फफूंद नाशकों का छिड़काव फसल के गोभ में होने पर करें। पी.ए.यू. के विशेषज्ञों ने कहा है कि पौधों के टिड्डे जड़ों के पास रस चूसते रहते हैं। किसानों को तब इसका पता चलता है जब पौधा सूख जाता है। इस लिए किसानों को  फसल पर इनकी मौजूदगी को समय-समय पर देखते रहना चाहिए और ज़रूरी प्रबंध करने चाहिएं। फसल पर किसानों को सिंथैटिक पैरिथराइड ज़हरों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इनके प्रयोग से सफेद पीठ वाले और भूरे टिड्डों की संख्या बढ़ जाती है। किसानों को फसल की कटाई पूरी पकने पर ही करनी चाहिए। फसल को रात के समय नहीं काटना चाहिए।