डेरा प्रमुख से जुड़े रणजीत ंिसंह हत्या मामले का फैसला लटका

सिरसा डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम से जुड़े रणजीत सिंह हत्याकांड में सीबीआई कोर्ट का फैसला फिर लटक गया है। सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में 26 अगस्त को सुनवाई तय की थी, लेकिन मृतक रणजीत सिंह के बेटे जगसीर सिंह द्वारा हाईकोर्ट में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सीबीआई कोर्ट को इस मामले में फैसला सुनाने से रोक दिया है और जगसीर सिंह द्वारा दायर याचिका पर सीबीआई को अपना पक्ष रखने को कहा है। हाईकोर्ट अब इस मामले में 27 अगस्त को सुनवाई करेगी।
डेरा प्रबंधक रहे रणजीत सिंह की हत्या में गुरमीत राम रहीम व पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में उम्र कैद की सज़ा काट रहे कृष्ण कुमार भी मुख्य आरोपी हैं और डेरा प्रमुख इस समय रोहतक जिले की सुनारिया जेल में व कृष्ण कुमार अम्बाला की केंद्रीय जेल में बंद हैं। डेरा प्रमुख साध्वी यौन शोषण मामले में 20 साल और पत्रकार रामचंद्र छत्रपति हत्या मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं। इस मामले में बहस व सुनवाई पूरी हो चुकी है और अब अदालत को इस मामले में अपना फैसला सुनाना है। रणजीत सिंह की हत्या के लिए सीबीआई ने गुरमीत राम रहीम को ही मुख्य आरोपी माना था।
डीएसपी निलम्बित
डेरा प्रमुख पर मेहरबानी दिखाने वाले एक डीएसपी को प्रदेश सरकार ने निलम्बित कर दिया है। पिछले महीने डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम जब बीमार हुए थे तो उन्हें कुछ टैस्ट करवाने के लिए दिल्ली स्थित एम्स अस्पताल ले जाया गया था। उस समय उन्हें भारी सुरक्षा में दिल्ली ले जाया गया लेकिन उनकी सुरक्षा में तैनात डीएसपी स्तर के एक अधिकारी ने गुरमीत राम रहीम को वापसी पर किसी व्यक्ति विशेष से मिलवाया था और इसे डेरा प्रमुख की सुरक्षा में चूक मानते हुए सरकार ने न सिर्फ उस पुलिस अधिकारी को निलम्बित कर दिया है बल्कि उसके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। निलम्बित किए गए डीएसपी शमशेर सिंह महम में तैनात थे। इस मामले में एक अन्य अधिकारी ने पूरे घटनाक्रम की सूचना आलाधिकारियों को लिखकर भेज दी थी जिसमें बताया गया था कि डेरा प्रमुख को एम्स में कुछ लोगों व महिलाओं से मिलवाया गया और जब टैस्ट करवाकर वापस लौट रहे थे तो रास्ते में बार-बार वाहन रोक कर दो महिलाओं को वाहन में बैठाया भी गया। पुलिस विभाग व सरकार ने इस पूरे घटनाक्रम को बेहद गंभीरता से लेते हुए डेरा प्रमुख पर मेहरबानी दिखाने वाले डीएसपी को निलम्बिन करने के साथ-साथ विभागीय जांच भी झेलनी पड़ रही है। 
चौटाला द्वारा तीसरे मोर्चे हेतु प्रयास
इनैलो प्रमुख व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला इन दिनों देश में कांग्रेस व भाजपा के विकल्प के तौर पर क्षेत्रीय पार्टियों को एकत्रित करके तीसरा मोर्चा गठित करने के प्रयासों में जुटे हैं। 1987 में दूसरी बार हरियाणा का मुख्यमंत्री बनने के बाद चौधरी देवीलाल ने पूरे देश में घूमकर क्षेत्रीय दलों को इकट्ठा किया था और जनता दल का गठन करने में अहम भूमिका निभाई थी। 1989 में जनता दल की केंद्र में सरकार बनी और देवीलाल को सर्वसम्मति से प्रधानमंत्री चुन लिया गया था, लेकिन उन्होंने लोगों से किया गया। अपना वायदा निभाते हुए प्रधानमंत्री पद का ताज वी.पी. सिंह के सिर पर रख दिया था और वह खुद जनता दल सरकार में उप प्रधानमंत्री बने थे। वी.पी. सिंह की सरकार टूटने के बाद जब चंद्रशेखर की सरकार बनी तो देवीलाल उस सरकार में भी उप-प्रधानमंत्री बनाए गए। देवीलाल परिवार के अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं के साथ बहुत घनिष्ठ संबंध रहे हैं। देवीलाल के निधन के बाद अन्य दलों के नेता के जन्मदिन 25 सितम्बर को होने वाली सम्मान दिवस रैली में अक्सर शामिल होते रहे हैं। अभी पिछले दिनों ओम प्रकाश चौटाला ने बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार, उनकी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल सहित अनेक विपक्षी नेताओं से मुलाकात की और उनसे तीसरे मोर्चे के गठन को लेकर व्यापक विचार-विमर्श किया। उन्होंने इन सभी को और 25 सितम्बर को चौधरी देवीलाल के जन्मदिन पर आयोजित की जाने वाली रैली में शामिल होने का भी न्यौता दिया। 
विधानसभा सत्र में नहीं आए विज
हरियाणा विधानसभा के मॉनसून सत्र में हरियाणा के गृह, स्वास्थ्य एवं शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज भाग नहीं ले पा रहे हैं। अनिल विज प्रदेश के वरिष्ठतम विधायकों में से हैं और वह अब तक 6 बार विधानसभा के लिए चुने जा चुके हैं। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि वह कभी विधानसभा के सत्र से गैर हाज़िर हुए हों। पिछले दिनों उनके शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने के चलते उन्हें पीजीआई भर्ती होना पड़ा। वह पहले भी कोरोना संक्रमित होने के कारण मेदांता अस्पताल गुरुग्राम में दाखिल हुए थे तो उन्होंने वहां भी अपने विभागों के काम को रुकने नहीं दिया था। वह निरन्तर अस्पताल से न सिर्फ अधिकारियों को ज़रूरी दिशा निर्देश देते रहे बल्कि अपने विभागों की सभी फाइलें भी अस्पताल में मंगवा कर निकालते रहे थे। इतना ही नहीं, पहले भी जब उन्हें ऑक्सीजन की कमी को लेकर थोड़ी दिक्कत आई थी तो वह ऑक्सीजन लगाकर भी कार्यालय में नियमित रूप से आते रहे और सभी ज़रूरी बैठकें अटैंड करने के अलावा अधिकारियों को ज़रूरी दिशा निर्देश भी देते रहे। अनिल विज लगातार अपने हल्के में जनता दरबार लगाकर लोगों की शिकायतें सुनते रहे हैं और उनके जनता दरबार में सबसे ज्यादा भीड़ रहा करती है। 
इन दिनों वह पीजीआई चंडीगढ़ में भर्ती हैं और मुख्यमंत्री मनोहर लाल व उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला सहित प्रदेश के ज्यादातर मंत्री, विधायक उनका कुशलक्षेम भी पता करके आए हैं। अनिल विज के नज़दीकी सूत्रों का मानना है कि वह जल्दी ही स्वस्थ होकर अपने काम पर लौट आएंगे। फिलहाल डॉक्टरों ने उन्हें पूर्ण आराम करने को कहा है। विधानसभा में उनके स्थान पर बिजली मंत्री रणजीत सिंह, परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा और सहकारिता मंत्री डॉ. बनवारी लाल ने उनके विभागों से जुड़े सवालों के जवाब विधायकों को दिए। 
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