जानिए एन्जाइना, हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट के बारे में

आम लोगों को इन तीनों में अंतर, नहीं पता होता। उनके लिए तो दिल की बीमारी है बस। ये तीनों हैं तो दिल की बीमारी से संबंधित पर इनमें अंतर है। आइए जानें इन तीनों के बारे में।
एंजाइना 
एंजाइना दिल की बीमारी की वह स्टेज है मानो आप गाड़ी चला रहे हैं और गाड़ी जाम की वजह से धीरे-धीरे, रूक-रूक कर चल रही है। यह एंजाइना है। एंजाइना में दिल की धमनियों में रूकावट की वजह से छाती के बीच भारी दबाव महसूस होता है, घबराहट होती है, सांस रूकी रूकी महसूस होती है, दर्द जबड़े की तरफ बढ़ता है तो यह एंजाइना का दर्द है। एंजाइना का दर्द मेहनत का काम करने, सीढ़ियां उतरने चढ़ने, चलने फिरने व गुस्सा करने से बढ़ता है और आराम करने से ठीक लगता है।
क्या करें
=गुस्से पर काबू रखें।
= आराम से बैठ या लेट जाएं। 
= अगर आफिस में हैं तो थोड़ा आराम कर किसी कलीग की सहायता लेकर घर या डाक्टर के पास जाएं।
= इस दर्द से एकदम कोई नुकसान नहीं होता पर यह दिल की गड़बड़ी को संकेत करता है। बार-बार ऐसा महसूस होने पर डाक्टर के पास जाएं और ई सीजी करवाएं।
हार्ट अटैक
हार्ट अटैक में सीने के बीचों-बीच तेज दर्द होते हुए बाई बाजू की तरफ बढ़ता महसूस हो, घबराहट भी काफी हो, बेचैनी के साथ पसीना आए, दर्द की गति कम न होकर बढ़ती जाए तो यह हार्ट अटैक की निशानी हो सकती है। आम भाषा में ऐसे समझ सकते हैं कि इंजन चल रहा हो और गाड़ी खराब हो जाए। ऐसा नहीं कि सारे लक्षण हों तो तभी हार्ट अटैक होता है। कई बार सारे लक्षण नहीं होते पर सिर्फ सीने में दर्द होता है जिसे हम एसिडिटी का दर्द समझ कर गंभीर नहीं होते। ऐसा होने पर डाक्टर को दिखाना चाहिए।
वैसे एसिडिटीं के दर्द में एक विशेष बिंदु पर चुभन महसूस होती है पर सीने का दर्द बड़े एरिया में महसूस होता है और ऐसे भी लगता है जैसे किसी ने जोर से दिल को जकड़ लिया है। एसिडिटी के दर्द में कोई भी एंटाएसिड लेने में थोड़ी देर में राहत महसूस होती है। अगर एंटाएसिड लेने के बाद भी दर्द घटने के स्थान पर बढ़ता जाए तो हार्ट अटैक होने का शक होता है। ऐेसे में बिना देर किए डाक्टर के पास ले जाएं तो बेहतर होता है। अटैक आने के 3 घंटों के भीतर सही इलाज हो जाए तो खतरा टल सकता है।
कार्डिएक अरेस्ट 
कार्डिएक अरेस्ट में पहले सब ठीक ठाक होता है। अचानक बीपी एकदम नीचे गिर जाता है, रोगी लड़खड़ाकर जमीन पर गिर जाता है, शरीर पीला पड़ जाता है। दिल की धड़कन एकदम तेज या अनियंत्रित होकर एकदम रूक जाती है। ऐसे में गाड़ी और इंजन दोनों बंद हो जाते हैं। अगर कार्डिएक अरेस्ट के 10 मिनट के बीच रोगी को सही उपचार मिल जाए तो रोगी को बचाने का प्रयास किया जा सकता है।
किन लोगों को कार्डिएक अरेस्ट का खतरा होता है:-
= अगर पहले हार्टअटैक हो चुका हो।
= अगर दिल की बीमारी की फैमिली हिस्ट्री है तो ऐसे में आशंका 3 गुना बढ़ जाती है।
= रोगी अगर डायबिटिज से ग्रस्त हो तो कार्डिएक अरेस्ट की आश्ांका 6 गुना बढ़ जाती है।
= फैमिली हिस्ट्री और डायबिटिज के साथ अगर रोगी धूम्रपान करता हो तो आशंका 15 गुना बढ़ जाती है।
ऐसे में क्या करें
= रोगी का सिर अपनी गोद में रख लें। मरीज को हवा आने दें।
= मरीज के सीने के बीचों बीच दाएं हाथ को सीने पर रखकर उस पर झटके से दबाव दें। इसे कार्डिएक पंप कहा जाता है। यह क्रि या दिल के डाक्टर से सीखी जा सकती है।
= ध्यान दें दबाते समय सीना एक डेढ़ इंच नीचे जाना चाहिए। 
=60 सेकंड में 100 बार सीने पर दबाव डालें।
हार्ट अटैक और कार्डिएक अरेस्ट से बचाव कैसे करें 
= धूम्रपान न करें।
=अपने पैरामीटर्स ठीक रखें जैसे नीचे का बी.पी 85 से कम रखें, फास्टिंग शुगर 1०० से कम रखें, कोलेस्ट्रॉल 2०० से कम रखें।
= रोजाना 45 मिनट की सैर या एक्सरसाइज करें।
ध्यान दें
= किसी भी दिल के रोगी को बिना कॉडियोलॉजिस्ट की सलाह के शारीरिक व्यायाम नहीं करने चाहिए, न ही अपनी मर्जी से जिम जाना चाहिए।
= जिन लोगों के परिवार में हार्ट अटैक से अचानक मृत्यु हुई हो, उन्हें 40 वर्ष की आयु के बाद अपनी जांच नियमित कराते रहनी चाहिए। 
= हार्ट अटैक के बाद डाक्टर की सलाह अनुसार दवाइयों जीवन शैली, व्यायाम अपने खान पान पर पूरा ध्यान देना चाहिए।
= हार्ट अटैक और अरेस्ट ज्यादा सुबह के वक्त होता है क्योंकि प्रात: ब्लड प्रेशर ज्यादा होता है। 
(स्वास्थ्य दर्पण)