कुछ कहते हैं बुजुर्ग

ज़िन्दगी का आखिरी पड़ाव बुढ़ापा है और इस आयु में हर इन्सान शारीरिक और मानसिक कमजोरी की जकड़ में आ जाता है। बचपन और युवा अवस्था के बाद पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को निभाना बच्चों का भविष्य संवारना, उनके लिए सुख-सुविधाओं के प्रयास करते हुए आयु के इस पड़ाव में वह अकेलापन एवं खालीपन का अहसास करते हैं। पहले समय में बुजुर्ग को घर का सबसे बड़ा और समझदार समझते हुये उन्हें सभी से सम्मान मिलता था। उनकी देखभाल और रख-रखाव को अपने काम का हिस्सा समझ कर पुत्र और भतीजे, पौत्रे सब मिल कर करते थे। बच्चे यह सब कुछ अपनी आंखों से देखते और युवा होकर रिश्तों के महत्त्व को स्वयं पहचानने लग जाते। लेकिन आज समय बदल चुका है।
बुजुर्गों से आशा की जाती है कि वह स्वयं समझें और देखें कि हमारे पास समय कहां? वह अपने आप ही स्वयं को सम्भालें। हर बुजुर्ग माता-पिता भी पूरा प्रयास करते हैं कि हमारे बच्चों की जीवनशैली में हमारे कारण कोई समस्या न आए। इस स्थिति में बुजुर्ग आज की पीढ़ी के आगे कुछ मांगें रख कर, आशाएं और उम्मीदों के साथ उनके फज़र् याद करवाते हुये उनको कुछ इस प्रकार बताते हैं।
=जब हम बूढ़े और कमज़ोर होने की शिकायत करते हैं तो गुस्सा न हों, धैर्य रखें और हमें समझने का प्रयास करें, जैसे हम आपको समझ रहे हैं।
=खाना खाते समय गंदे हो जाएं और कपड़े स्वयं न डाल सकें तो हमें सहन करें और हमारी सहायता करें। वह समय याद करें जब खाना खाने के बाद हम आपको साफ करके तैयार करते रहे हैं।
=जब हम बोलते समय एक ही बात को बार-बार दोहराएं तो हमें रोका न जाए, बाल्यावस्था में जब तक आप सोते नहीं थे, हम वही कहानी बार-बार सुनाते थे।
=यदि हमारा नहाने का मन न हो तो हमें डांटें न और न ही शर्मसार करें, याद करें आपको नहाते समय हमें कई बहाने सुनाने पड़ते थे।
=यदि कोई बात भूल जाएं या बातें करते समय क्रम टूट जाये तो हमें याद करने के लिए आवश्यक समय दे कर हमारे पास बैठ कर सुनें ज़रूर।
=जब हमारी कमज़ोर टांगे चलने में समर्थ न हों तो हमारे साथ चलें, हमें अपना हाथ दें जैसे आप हमारा हाथ पकड़ कर चलना सीखे थे।
इन सब नुस्खों को पढ़ कर आप सब यही उत्तर देंगे कि यह तो हमारा कर्त्तव्य है, लेकिन हम आपको ज़रूर कहेंगे कि आप भी हमारे प्रति अपने कर्त्तव्य एवं ज़िम्मेदारी का अहसास करें। किसी दिन आप जान जाएंगे कि आपकी कई गलतियों के होते भी हमने आपके लिए अच्छा सोचा और आपके लिए मार्ग प्रशस्त किया। हम आपको जाते समय मुस्कुराहट और दिल से प्यार ही देकर जाएंगे। जो प्यार, सम्मान का प्रकटावा और दिखावा हमारे जाने के बाद लाखों रुपए खर्च करके करना पड़ता है, उसकी बजाए हमारा बुढ़ापा अच्छा, यादगार और सुखमय बना कर लोगों में उदाहरण पेश करें।