हिमाचल प्रदेश की मेधावी पैरा खिलाड़ी शशि ठाकुर 

‘न  रुकेंगे, न थकेंगे यूं ही चलते जाएंगे जैसे ही रास्ते बन  पाएंगे।’ शशि ठाकुर पैरा खिलाड़ी है तथा उसे हिमाचल की गौरवशाली बेटी होने का गौरव प्राप्त है क्योंकि हिमाचल प्रदेश की वह एकमात्र पैरा खिलाड़ी है जो दिल्ली की व्हीलचेयर बास्केटबाल टीम में खेलती है। शशि ठाकुर का जन्म साधारण किसान पिता दौलत राम के घर माता निर्मला की कोख से 28 सितम्बर, 1993 को हिलाचल प्रदेश के जिला मंडी की तहसील करसोग के अधीन पड़ते गांव गिरगल (मतेहल) में हुआ। जब शशि ठाकुर ने जन्म लिया तो उसके दोनों पांव ठीक नहीं थे। चाहे माता-पिता को एक बेटी होने के नाते यह एक  बड़ी चिन्ता थी कि उनकी बच्ची विकलांग है, परन्तु धीरे-धीरे जैसे ही शशि ठाकुर बचपन में पांव रखने लगी तो उसने कदम दर कदम पग उठाने शुरू कर दिये। स्कूल में उसमें खेलों का शौक पैदा हुआ। वह स्कूली बच्चों के साथ खो-खो, वालीबाल खेलती तथा स्कूली खेलों में भाग लेती। स्कूल से कालेज गई तो उसी दौरान वर्ष 2018 में हुए रियो ओलम्पिक तथा एफ.बी. खेलों से पता चला कि विकलांग वर्ग के भी खेल होते हैं। उसने सोशल मीडिया के माध्यम से दिल्ली बास्केटबाल फैडरेशन के साथ सम्पर्क किया तो बास्केटबाल फैडरेशन ने उसे दिल्ली की व्हीयचेयर बास्केटबाल टीम में शामिल कर लिया। वर्ष 2018 में पहली बार वह तमिलनाडु में व्हीलचेयर बास्केटबाल टूर्नामैंट में दिल्ली की टीम में खेली जहां उसने बढ़िया प्रदर्शन किया और उसकी टीम ने पांचवां स्थान प्राप्त किया। वर्ष 2019 में उत्तराखंड में हुई नैशनल पैरा बैडमिंटन चैम्पियनशिप में भी उसने भाग लिया जहां उसने सिंगल खेलते हुए चौथा स्थान तथा डब्ल्स वूमैन खेलते हुए भी चौथा स्थान प्राप्त किया। वर्ष 2019 में पैरा विंटर गेम्स साऊथ कोरिया में भाग लेने वाली वह पहली अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी बनी। शशि ठाकुर गर्व से कहती है कि हिमाचल प्रदेश पैरा स्पोर्ट्स के संस्थापक तथा महासचिव ललित ठाकुर के नेतृत्व में वह आगे बढ़ रही है तथा जल्द ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल कर हिमाचल प्रदेश के साथ-साथ देश का नाम भी रौशन करेगी। शशि ठाकुर शशी शिक्षा के क्षेत्र में भी किसी से कम नहीं है। उसने बी.एड करने के साथ-साथ एम.ए. हिन्दी भी कर रखी है। यह भी गर्व से लिखा जा सकता है कि शशि ठाकुर ने किसान की बेटी होने के कारण पिता के साथ खेतों में हाथ बटाते हुए यह भी सिद्ध कर दिखाया है कि लड़कियां लड़कों से किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं। उसे लड़की होने का बड़ा गर्व है। 

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