बंदूक कल्चर को बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए

मशहूर पंजाबी गायक, रैपर और कांग्रेस नेता सिद्धू मूसेवाला को  उनके दुश्मनों ने रविवार 29 मई, 2022 की शाम गोलियों से छलनी करके मौके पर ही उनकी हत्या कर दी। पंजाब पुलिस के डीजीपी वी.के. भावरा के मुताबिक उन पर तीन हथियारों से 30 गोलियां दागी गयीं। सिद्धू ड्राइविंग सीट पर बिलकुल चिपक कर रह गए। जाहिर है हत्यारों ने डॉक्टरों के लिए कोई संभावना ही नहीं छोड़ी थी। हमलावर दो कारों में सवार होकर आए थे। हत्याकांड को उस समय अंजाम दिया गया, जब सिद्धू अपनी थार गाड़ी से अपने दो साथियों के साथ मानसा के गांव जवाहरके के रास्ते गांव खारा-बरनाला अपने रिश्तेदारों के यहां जा रहे थे। हमले में उनके दो साथी घायल हुए हैं, जिन्हें पटियाला के राजिन्दरा अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
 पंजाबी रैपर का जाना माना नाम सिद्धू मूसेवाला था किन्तु उनका असली नाम शुभदीप सिंह सिद्धू था। उनका जन्म 11 जून, 1993 को मानसा के मूसा गांव में भोला सिंह व चरण कौर के घर हुआ था। 28 साल के सिद्धू ने संगीत जगत में अपना मुकाम खुद बनाया था। इसी हफ्ते उनका एक लाइव प्रोग्राम राजधानी दिल्ली से सटे गुड़गांव में होना था। 
सामने आये सीसीटीवी वीडियो से पता चल रहा है कि सिद्धू मूसेवाला की गाड़ी का दो कारें पीछा करती दिख रही थीं। इस हत्याकांड को लेकर विपक्षी राजनेताओं और सोशल मीडिया में एक ही लाइन ऑफ थिंकिंग है कि एक दिन पहले ही पंजाब में सिद्धू मूसेवाला सहित 425 वीआईपीज़ की सुरक्षा वापस ली गयी थी और अगले दिन ही मूसावाला की हत्या कर दी गयी। मूसावाला के घरवाले स्वाभाविक रूप से पंजाब सरकार और मुख्यमंत्री भगवंत मान पर मुकद्दमा चलाये जाने की मांग कर रहे हैं जबकि पंजाब पुलिस ने बहुत साफ शब्दों में कहा है कि मूसावाला की सुरक्षा में 8 पुलिस गनमैन थे। इनमें से 6 सुरक्षाकर्मियों को पंजाब सरकार ने वापस बुला लिया था जबकि वारदात के समय सरकारी खाते के मुताबिक उनके पास दो सुरक्षाकर्मी थे। लेकिन सवाल है कि सिद्धू दोनों सुरक्षाकर्मियों को अपने साथ क्यों नहीं लेकर गए थे? पंजाब पुलिस के मुताबिक सिद्धू हमेशा बुलेट प्रूफ गाड़ी में चलते थे, लेकिन रविवार शाम को वह अपनी गाड़ी थार को खुद चलाकर जा रहे थे। कहीं ऐसा तो नहीं कि किसी को उस दिन का सारा प्रोग्राम पता था, क्योंकि हत्यारों ने इस कदर उन पर एक ओर से इस प्रकार चुनचुन क र गोलियां बरसाईं कि अपनी एक भी गोली को बर्बाद नहीं होने दिया।
इस हत्या की ज़िम्मेदारी कनाडा बेस्ड गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने ली है और अब पंजाब पुलिस भी कह रही है कि दिल्ली की तिहाड़ जेल में इसके लिए योजना बनी। हत्या के दौरान उनके साथ गाड़ी में मौजूद रहे दोस्त गुरविंदर सिंह के मुताबिक जब गाड़ी पर गोलियां चलीं तो मूसेवाला ने भी दो फायर किए, लेकिन हमालवरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की। दोस्त के मुताबिक सिद्धू मूसेवाला अपनी बीमार मौसी का हाल जानने के लिए अपने गांव से निकले थे। जैसे ही मानसा के गांव जवाहरके में पहुंचे तो उनकी हत्या कर दी गई। गोली लगने से घायल गुरविंदर सिंह ने कहा कि वह गाड़ी में पीछे और दूसरा दोस्त गुरप्रीत सिंह उनके साथ वाली सीट पर बैठे थे। जिस गैंगस्टर गोल्डी बराड़ ने इस हत्या के कुछ ही देर बाद इसकी ज़िम्मेदारी ली, वह उत्तर भारत के नामी गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का करीबी है। लॉरेंस इस समय राजस्थान की अजमेर जेल में बंद है। करीब 10 महीने पहले यानी अगस्त 2021 में अकाली नेता विक्की मिड्डूखेड़ा की हत्या हुई थी। इस हत्याकांड में शामिल शूटरों को मूसेवाला के मैनेजर शगुनदीप द्वारा पनाह दिये जाने का आरोप था।
वह हर समय अपने पास लोडेड रिवाल्वर रखते थे, अत: बहुत स्वाभाविक है कि उन्हें अपने सुरक्षा गार्ड साथ न ले जाने  और अपनी बुलेट-प्रूफ गाड़ी में न जाने जैसी लापरवाही से बचना चाहिए था, परन्तु होनी से बचा नहीं जा सकता, न  ही उसे टाला जा सकता था।  इससे भी वीभत्स अंदाज़ में दिनदहाड़े भरे बाज़ार में विक्की मिड्डूखेड़ा की भी हत्या  इसी अन्दज़ में हुई थी। विक्रमजीत सिंह उर्फ  विक्की मिड्डूखेड़ा पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्र संगठन सोई (स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया) का ट्रम्प कार्ड माना जाता था। 
सिद्धू मूसेवाला का कत्ल बेहद दु:खद और स्तब्ध करने वाला है। दोषियों को सख्त से सख्त सज़ा दिलायी जानी चाहिए। यह भी कि सिर्फ  वीआईपी के लिए ही नहीं, प्रदेश में हर एक नागरिक जिसके जीवन को किसी भी प्रकार से कोई खतरा है, को भरोसेमंद सुरक्षा मिलनी चाहिए लेकिन अगर इस हत्याकांड की आड़ लेकर फिर से वीआईपी कल्चर अथवा बंदूक कल्चर को ही बढ़ावा दिया जायेगा तो इस देश में वास्तविक लोकतंत्र कभी नहीं आयेगा।