इस बार विशेष हैं आषाढ़ के गुप्त नवरात्र

यूं तो हमेशा गुप्त नवरात्र हमारी गुप्त साधनाओं और संकल्पों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन 30 जून, 2022 से शुरु हुए आषाढ़ के गुप्त  नवरात्र दो वजहों से विशेष हैं। दरअसल ज्योतिषविदों के मुताबिक जब साल के पहले गुप्त नवरात्र जो कि फरवरी माह में होते हैं, पर कोई विशेष योग होता है तो उसका लाभ दूसरे नवरात्र में भी मिलता है। इस बार फरवरी के गुप्त नवरात्र पर दो विशेष योग थे। पहला रवियोग और दूसरा सर्वार्थसिद्धि योग। रवियोग का मतलब है सूर्य का अभीष्ट प्राप्त होना। कहने का मतलब इस बार आषाढ़ की पूजा में जो कि खास तौर पर सूर्य पूजा होती है, वह बहुत महत्वपूर्ण है। माना जा रहा है कि इस बार नवरात्रि के समय सूर्य की पवित्र ऊर्जा हमारे लिए बहुत शुभ और लाभदायक होगी। मान्यता है कि सूर्य की पवित्र ऊर्जा भरपूर होने के समय की गई कोई भी मनोकामना अधूरी नहीं रहती और हर धार्मिक अनुष्ठान का सामान्य समय से ज्यादा पुण्य लाभ मिलता है।ठीक इसी तरह सर्वार्थसिद्धि योग भी एक अत्यंत शुभ योग है। यह एक निश्चित वार और नक्षत्र के सहयोग से बनता है। सर्वार्थसिद्धि योग एक अत्यंत शुभ समय होता है, जब हमारी इच्छाएं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस बार के गुप्त  नवरात्र में ये दोनों संयोग बन रहे हैं। गुप्त  नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा की जाती है और इस पूजा का वैसे ही विधान होता है जैसे शारदीय या चैत्र नवरात्र में होता है। माना जाता है कि गुप्त  नवरात्र में की गई पूजा-अर्चना का पुण्य सामान्य नवरात्र से दस गुना ज्यादा मिलता है। गुप्त नवरात्र में दरअसल विशेष तरह की इच्छापूर्ति और सिद्ध प्राप्तियों के लिए अनुष्ठान किये जाते हैं। जब गृहस्थ लोग गुप्त नवरात्र में पूजा अर्चना करें तो उन्हें एकांत में ये सब करना चाहिए। गुप्त नवरात्र के दौरान मंदिरों में भव्य भक्ति आयोजन नहीं किये जाने चाहिएं, क्योंकि ये नौ दिन उत्सव के नहीं, साधना के दिन होते हैं। गुप्त नवरात्र में कहीं जाने की बजाय चुपचाप घर में मां दुर्गा की साधना करनी चाहिए। वैसे साधना की विधि कोई बहुत भिन्न नहीं है और इन नवरात्रों में भी घट स्थापना की वही परम्परा होती है जो चैत्र और शारदीय नवरात्र में होती है। गुप्त  नवरात्र में भी मां की आराधना सुबह और शाम की जानी चाहिए।  इस दौरान अपने जानकार और अपनी प्रकृति के लोगों को मां दुर्गा के बारे में जो भी संभव हो, बताना चाहिए। इन  नवरात्र में संयम का भी ध्यान सामान्य नवरात्रों से ज्यादा है। इस नवरात्र में कई लोग पूरे नौ दिन अन्न ग्रहण नहीं करते। पानी, फल, दूध, छाछ आदि से व्रत पूरा कर लेते हैं, लेकिन यह कोई अनिवार्य बाध्यता नहीं है। आप इन नवरात्र में भी चैत्र व शारदीय नवरात्र में जो खाया पीया जाता है, वह सब खा सकते हैं। हां, कुछ बातों को ध्यान ज़रूर रखना चाहिए कि गुप्त नवरात्रों में अपनी धार्मिक आध्यात्मिक गतिविधियों को सबसे साझा करने की ज़रूरत नहीं होती। अपने लक्ष्य भी अगर संभव हो तो किसी से साझा न करें। बस इन्हें अपने दिमाग में रखें। जब वह लक्ष्य सध जाए, तभी इस बात का खुलासा करना चाहिए।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर