लोकप्रिय शख्सियत पाने के लिए अच्छी हो हमारी बोलचाल

अक्सर किसी भी इन्सान की बोल-वाणी, लियाकत और किसी के साथ अच्छे से बातचीत करने का अच्छा हुनर उनकी आंतरिक प्रतिभा, शख्सियत को निखार कर सामने लाने में ज़रूर सहायता करता है। सूझवान लोगों का कथन भी है कि किसी स्त्री-पुरुष की बोल-बाणी, बातचीत करने का ढंग चाहे कैसा भी हो उसमें उसकी शख्सियत, स्वभाव और योग्यता का स्वत: ही अनुमान लगाया जा सकता है। आधुनिक युग में हम प्रतिदिन टी.वी., मोबाइल, व्हाट्सएप, फेसबुक आदि पर ऐसी पोस्ट और सामाजिक स्वभाव को देखते-सुनते हैं जब कोई शख्स पंचायत में कोई ऐसी बात कर बैठता है जोकि सब को अटपटी लगे तो बात करने वाला हंसी मज़ाक का या घृणा का पात्र बन जाता है, लेकिन यदि उसने अपनी बातचीत, मनोभाव, शब्दों को सही ढंग से और शब्दावली को मौके के अनुसार ढाल लिया तो उसकी शख्सियत और भी निखर कर सामने आ सकती थी। कई बार कहते-कहते शख्सियतें भी अपनी भाषा, रवानगी में कुछ कमियां होने के कारण लोकप्रियता से वंचित रह जाती हैं, जबकि मौका चाहे कोई भी क्यों न हो, हमारा-तुम्हारा भी अपनी भाषा के ढंग के अच्छे प्रभाव द्वारा सबका मन जीतने में समर्था रखता है।
तजुर्बेदार, आदर्श, प्रभावशाली भाषा और मेल-मिलाप वाले लड़के-लड़कियों के साथ हर कोई बातचीत करने, मिलने की इच्छा रखता है, क्योंकि उसकी ज़िन्दादिली भरी मौजूदगी हर मिलने वाले के मन में उत्साह भर देती है। आपके शब्दों में कितना संयम और उत्तेजनाएं हों, यह भी समय, स्थान और मौके के अनुसार होना चाहिए। 
बोलचाल में नम्रता का स्थान महत्ता रखता है लेकिन उससे कहीं अधिक महत्त्व रखता है कि आप कितना और किस प्रकार बोलते हैं? ज़रूरत से अधिक और कम बोलना भी हमारी अहमियत को कम करता है, सामने वाले किसी अन्य व्यक्ति की ओर से की जा रही बात को अनसुना करे बिना अपने ही घोड़े दौड़ाने वाली बातों से टोकना भी ठीक नहीं। अपनी बोलचाल और उसकी शैली, हाव-भाव और विचारों में उतना ही ध्यान देने की आवश्यकता है, जितना आप अपने चेहरे, बालों और पहरावे की देखभाल के प्रति दे रहे हों।