प्लास्टिक एवं पोलिथिन पर पाबन्दी का मुद्दा सरकारें विकल्प भी प्रदान करें

सिंगल यूज़ प्लास्टिक और पोलिथिन के इस्तेमाल पर रोक का मामला एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार चर्चा इसलिए भी है कि प्लास्टिक की वस्तुओं का इस्तेमाल करने वालों के साथ-साथ अब ऐसी वस्तुओं का निर्माण और कारोबार करने वालों को भी प्रतिबन्ध और कानून के दायरे में लेने का फैसला किया गया है। प्लास्टिक और पोलिथिन की वस्तुओं खास तौर पर इन के बने लिफाफों का इस्तेमाल प्रदेश में पाबन्दी के बावजूद धड़ल्ले से हो रहा है। सरकार और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कई बार इस हेतु अभियान भी चलाये गये और कई योजनाएं भी घोषित की जाती रही हैं। समय-समय पर छिटपुट कार्रवाइयां भी अमल में लाई गईं किन्तु अधिकतर ऐसी कार्रवाइयां थोड़ा-बहुत जुर्माना अदा किये जाने तक सीमित रहीं। जुर्माने की ऐसी कार्रवाइयां भी अधिकतर छोटे स्तर के दुकानदारों और कारोबारियों पर ही हुईं जबकि बड़े कारोबारी और खास तौर पर इन वस्तुओं को व्यापक स्तर पर बनाने और इनका व्यापार करने वाले बेरोक-टोक अपनी निर्माण-गतिविधियों को चलाते रहे। अब यह पहली बार है कि न केवल ऐसी वस्तुओं का इस्तेमाल करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई किये जाने की बात कही गई है, अपितु इनका निर्माण करने वालों पर भी शिकंजा कसने हेतु कमर कसी गई है। इसके लिए बड़े स्तर पर जुर्माने आदि के साथ दंड की व्यवस्था घोषित की गई है। इस नये फैसले के तहत ऐसी प्रतिबंधित वस्तुओं का निर्माण करने वालों पर एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान घोषित किया गया है। इसके बाद पकड़े जाने पर जुर्माना राशि बढ़ाये जाने और अन्य दंड व्यवस्था की भी व्यवस्था है। इसी प्रकार दुकानदारों और छोटे कारोबारियों पर 20 हज़ार रुपये तक के जुर्माने की बात की गई है। परचून दुकानदारों और उपभोक्ताओं के विरुद्ध भी ऐसी दंडात्मक कार्रवाई किये जाने का प्रस्ताव है।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक और पोलिथिन की वस्तुओं खास तौर पर इनके बने लिफाफों, गिलासों, कप-प्लेटों, बोतलों आदि पर विगत प्रथम जुलाई से पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। इसके लिए बाकायदा प्रचार अभियान भी चलाया गया और प्रशासनिक धरातल पर सख्ती का प्रदर्शन भी किया गया, परन्तु कुछ ही समय बाद यह सम्पूर्ण प्रक्रिया फुस्स होकर रह गई और इन वस्तुओं का उपयोग और कारोबार बदस्तूर पूर्व की भांति होने लगा। पानी की बोतलों और कप-प्लेट-गिलासों एवं लिफाफों का प्रयोग दुकानों एवं मंडियों आदि में धड़ल्ले से होता रहा। नि:सन्देह कई जगहों पर दुकानदारों और ढाबा आदि पर कागज़ एवं कपड़े के लिफाफों का चलन देखने को मिला भी परन्तु अधिकतर यह कारोबार तेज़ी से पूर्व के स्तर पर लौट आया।  विवाह-शादियों एवं अन्य प्रकार के समारोहों में भी प्लास्टिक और पोलिथिन की बनी वस्तुओं का खुले रूप से इस्तेमाल होने लगा, किन्तु सरकार और प्रशासन जैसे मूक दर्शक बन कर रह गये। अब त्योहारों के दौर में तो इन पदार्थों की खपत में बेतहाशा वृद्धि होने की सम्भावना है जबकि सरकार भी प्रतिबन्ध की दंड-भुजा के साथ सक्रिय होते लगी है।
नि:सन्देह प्लास्टिक और पोलिथिन मनुष्य, जीव-जन्तु, पर्यावरण और प्रकृति के लिए बहुत ़खतरनाक है। पशुओं और जीव-जन्तुओं के लिए तो यह मौत का कारण बनता है जबकि प्राणी मात्र के शारीरिक स्वास्थ्य के लिए यह अतीव हानिकर सिद्ध होता है। प्लास्टिक के कचरे से नदी-नालों का प्रवाह अवरुद्ध होता है और पर्यावरणीय प्रदूषण से मौसमों का गति-चक्र प्रभावित होता है। इस प्रकार प्लास्टिक और पोलिथिन प्रत्येक पक्ष से जीव-जन्तु और वनस्पति के लिए भी हानिकर परिणामों का उत्तरदायी बनता है।
इसके बावजूद इस पक्ष से न तो जन-साधारण जागरूक हो पाये हैं, न कारोबारियों की मानसिकता पर कोई सार्थक प्रभाव पड़ते दिखाई दिया है। सरकारी पक्ष से तो हमेशा से बदस्तूर बेदिली और न-उम्मीदी का आलम रहा है। तथापि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के पक्ष से भी आशा और उम्मीद की कोई किरण उदित होते दिखाई नहीं देती। जन-साधारण और व्यापारीवर्ग से कोई अधिक उम्मीद तभी की जा सकती है यदि उन्हें कोई वैकल्पिक लक्ष्य दिखाई दे। सरकारें इन पदार्थों पर प्रतिबन्ध की दुहाई तो बार-बार देती हैं, परन्तु किसी विकल्प की तलाश हेतु अधिक यत्न और प्रयास नहीं किये जाते। अब भी सरकार ने जुर्माने और दंड की घोषणा तो की है, किन्तु विकल्प के दृष्टिकोण से अभी भी बहुत बड़ा शून्य दिखाई देता है। तो भी सरकार की ओर से नये आदेश के तहत यह जो निर्माताओं और कारोबारियों पर शिकंजा कसने की बात कही गई है इससे कुछ अधिक सार्थक उपजने की आशा की जा सकती है। तथापि, हम समझते हैं कि सरकारें यदि पाबन्दी आदेशों के साथ विकल्प के पथ पर आगे बढ़ने की दिशा में सूचक तैयार करें तो अधिक सार्थक परिणामों की आशा की जा सकती है। इस विकल्प की तलाश जितनी शीघ्र की जाएगी, उतना ही देश, समाज और समग्र पर्यावरण के पक्ष में उचित रहेगा।