कर्नाटक में कांग्रेस के लिए लाभदायक हो सकते हैं खड़गे

वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के डी. संजीवैय्या (1962) तथा बाबू जगजीवन राम (दिसम्बर 1969) के बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के तीसरे दलित अध्यक्ष बनने से गुजरात विधानसभा चुनावों पर बड़ा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है। पश्चिमी प्रदेश तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गृह क्षेत्र में कांग्रेस दलित समुदाय को लाभ पहुंचाने हेतु भरपूर प्रयास कर रही है, जो प्रदेश की जनसंख्या का लगभग 8 प्रतिशत है। अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षित प्रदेश की कुल 182 में से 13 सीटें तथा एक दर्जन अन्य सीटों पर भी दलित मतदाता अपना प्रभाव रखते हैं। हालांकि दलित जनसंख्या कुछ अन्य समुदायों की तुलना में कम है तथा तीन अन्य उप-जातियों में विभाजित हैं, जैसे वंकर, रोहित तथा वाल्मीकि आदि। 27 वर्ष से सत्ता पर काबिज़ भाजपा प्रदेश के सबसे बड़े समुदाय वंकरों को अपनी तरफ आकर्षित करने का प्रयास कर रही हैं। सभी चुनावों में दलितों ने लगभग एक समान अनुपात से भाजपा तथा कांग्रेस दोनों का समर्थन किया है। दलितों को आकर्षित करने के लिए भाजपा ने भी कई पहलकदमियां की हैं। सत्ता में रहते दलित नेताओं को अलग-अलग निगमों में महत्त्वपूर्ण स्थान दिये गये हैं। कांग्रेस का लक्ष्य दलित मतदाताओं को उत्साहित करना है,  विशेष तौर पर उन अन-आरक्षित सीटों पर जहां इस समुदाय की जनसंख्या 10 प्रतिशत या उससे अधिक है। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी यह उम्मीद कर रही है कि उसके द्वारा प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली, बेरोज़गारी भत्ता तथा महिलाओं के लिए एक हज़ार का भत्ता देने की गारंटियां अन्य समुदायों के अलावा दलितों को भी आकर्षित करेंगी। 
भाजपा ने 1995 से अनुसूचित जातियों हेतु आरक्षित 13 सीटों पर बहुमत हासिल किया है। 2007 तथा 2012 में उसने इसमें से क्रमवार: 11 तथा 10 सीटें जीती थीं, जबकि कांग्रेस ने दो तथा तीन सीटें जीती थीं। परन्तु 2017 में भाजपा डावांडोल हो गई तथा सिर्फ सात सीटें जीतने में सफल रही, जबकि कांग्रेस को पांच सीटें मिलीं। एक सीट पर कांग्रेस समर्थक आज़ाद उम्मीदवार ने कब्ज़ा किया था।
अखिलेश एवं शिवपाल की एकजुटता
नेताजी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव तथा प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के प्रमुख शिवपाल यादव एक बार फिर एकता दिखाते दिखाई दे रहे हैं, हालांकि यह भाईचारा असली है या सिर्फ राजनीतिक अक्स के लिए है, यह एक बड़ा प्रश्न है। शिवपाल यादव ने अपने भतीजे अखिलेश यादव को एक संकेत देते हुए कहा कि वह अब सभी को साथ लेकर अपने स्वर्गीय बड़े भाई मुलायम सिंह यादव द्वारा दिखाए गए निर्देशों का पालन करना चाहते हैं। 
शिवपाल ने कहा कि उन्होंने अखिलेश में नेताजी की झलक देखी है। अखिलेश यादव के सामने अब पार्टी तथा परिवार को एकजुट रखने तथा उनके बुजुर्गों, शिवपाल सहित यह सुनिश्चित बनाने की चुनौती है तथा वह ़गैर-दोस्ताना न बनें। वहीं शिवपाल तथा अखिलेश के संबंधों का उत्तर प्रदेश की राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। 2024 के लोकसभा चुनावों के परिणाम समाजवादी पार्टी के पक्ष में जा सकते हैं।
जद (यू) द्वारा किशोर का दावा ़खारिज
बिहार में अपनी पद यात्रा शुरू करने वाले राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने  कथित तौर पर दावा किया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार जद (यू) सांसद तथा राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश के माध्यम से भाजपा के साथ बातचीत कर रहे हैं और यदि आवश्यकता पड़ी तो वह भगवा खेमे के साथ पुन: नया गठबंधन कर सकते हैं। जद (यू) ने दावों को झूठ बताते हुए खारिज कर दिया तथा इस का उद्देश्य भ्रम फैलाना बताया। जबकि प्रशांत ने ज़ोर देकर कहा कि यही कारण है कि हरिवंश को अभी तक अपने राज्यसभा के पद से त्याग-पत्र देने के लिए नहीं कहा गया, बेशक जद (यू) ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया है। हालांकि जद (यू) के प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने किशोर के दावों को खारिज करते हुए कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर घोषणा की है कि वह अपने जीवन में पुन: कभी भाजपा के साथ हाथ नहीं मिलाएंगे और इसी प्रकार किसी भी संदेह के लिए कोई स्थान नहीं बचता। 
कांग्रेस ने भाजपा को पिछाड़ा
महाराष्ट्र के नागपुर ज़िले में पंचायत समिति के चेयरपर्सन तथा डिप्टी चेयरपर्सन के पदों के लिए हुए चुनावों के परिणामों में कांग्रेस ने भाजपा को झटका दिया और अपना दबदबा कायम रखा। कांग्रेस ने इन ज़िलों में चेयरपर्सन के 13 में से 9 तथा डिप्टी चेयरपर्सन के 13 में से 8 पदों पर जीत प्राप्त की। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने चेयरपर्सन के तीन पद प्राप्त किये, जबकि शिवसेना एक ऐसा पद हासिल करने में सफल रही। नागपुर महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चन्द्रशेखर बावनकुले, उप-मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस तथा केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी का गृह क्षेत्र है।