आदमपुर में पहली बार भाजपा ने लहराया जीत का परचम

हरियाणा विधानसभा की आदमपुर सीट के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार भव्य बिश्नोई ने 15 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीत लिया। हरियाणा बनने के बाद भाजपा ने पहली बार आदमपुर विधानसभा सीट जीती है। इस जीत के साथ आदमपुर में भजनलाल परिवार का गढ़ बरकरार रह गया है। पिछले 54 सालों से भजनलाल का परिवार आज तक आदमपुर विधानसभा की सीट से कोई भी चुनाव नहीं हारा है। भव्य की जीत के साथ ही भजनलाल परिवार की तीसरी पीढ़ी विधानसभा में पहुंच गई है। भजनलाल के परिवार ने आदमपुर सीट से चाहे कांग्रेस, कांग्रेस फॉर डैमोक्रेसी, हरियाणा जनहित कांग्रेस या भाजपा सहित किसी भी चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ा लेकिन वे आज तक इस सीट से कभी कोई चुनाव नहीं हारे। आदमपुर से भजनलाल के अलावा उनकी पत्नी जसमां देवी और बेटे कुलदीप बिश्नोई भी विधायक रह चुके हैं। पिछली बार 2019 में कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस टिकट पर आदमपुर से विधायक चुने गए थे। उन्होंने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा को वोट दिया था और फिर कांग्रेस छोड़कर विधानसभा से भी इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। इसी के चलते प्रदेश में आदमपुर उपचुनाव हुआ। इस उपचुनाव में भाजपा ने कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को चुनाव मैदान में उतारा था और अब वह चुनाव जीतकर विधायक बन गए हैं। भव्य बिश्नोई ने इससे पहले 2019 में हिसार से कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन वह चुनाव हार गए थे। 
हार को हार नहीं मानती कांग्रेस
आदमपुर उपचुनाव में कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश को चुनाव मैदान में उतारा था। जयप्रकाश के लिए नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा, उनके सांसद बेटे दीपेन्द्र हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान ने निरंतर चुनाव अभियान चलाया। इस चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार जयप्रकाश को करीब 52 हजार वोट मिले हैं। कांग्रेस नेता यह तर्क देते हैं कि भजनलाल परिवार से बाहर किसी भी कांग्रेसी उम्मीदवार को इस सीट से हासिल हुए यह सबसे ज्यादा वोट हैं। उनका यह भी कहना है कि इस चुनाव नतीजे ने यह भी साफ कर दिया कि प्रदेश में भाजपा का विकल्प केवल कांग्रेस ही है। उनका यह भी कहना है कि आम आदमी पार्टी और इनेलो जो अपने आपको हरियाणा में भाजपा का विकल्प बताती थीं, वे दोनों जमानत बचाने लायक वोट भी हासिल नहीं कर पाईं। इस उपचुनाव में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला, कुमारी सैलजा और श्रीमती किरण चौधरी चुनाव प्रचार अभियान के दौरान कहीं नजर नहीं आए। कांग्रेसी यह भी तर्क देते हैं कि पिछली बार जब कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस टिकट पर चुनाव लड़े थे तो उन्होंने आदमपुर सीट करीब 30 हजार वोटों के अंतर से जीती थी। इस बार कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को भाजपा और जजपा का समर्थन हासिल होने के बावजूद उनकी जीत का अंतर घटकर 15 हजार रह गया। उनका यह भी कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा से बिजेंद्र सिंह, जजपा से दुष्यंत चौटाला और कांग्रेस से भव्य बिश्नोई ने चुनाव लड़ा था और इस बार उपचुनाव में भव्य, बिजेंद्र व दुष्यंत इकट्ठे थे। पिछले चुनाव में तीनों को लगभग सवा लाख वोट पड़े थे। इस बार उन सवा लाख वोटों में से 52 हजार वोट जयप्रकाश ने हासिल कर लिए हैं। इसलिए हुड्डा समर्थक कांग्रेसी नेता आदमपुर की हार को हार नहीं मानते। 
आप को लगा गहरा झटका
आम आदमी पार्टी ने पूरे जोर-शोर से आदमपुर उपचुनाव लड़ा था और पार्टी ने सतेंदर सिंह को उम्मीदवार बनाया था। आप प्रत्याशी के लिए न सिर्फ दिल्ली के मुख्यमंत्री व आप संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने खुद इस क्षेत्र का दौरा किया था बल्कि पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी आदमपुर से आप प्रत्याशी के समर्थन में उतारा था। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद डॉ. सुशील गुप्ता के नेतृत्व में ‘आप’ की पूरी प्रदेश इकाई के सभी छोटे-बड़े नेता पूरे चुनाव अभियान दौरान आदमपुर में ही डेरा डाले रहे। आदमपुर विधानसभा क्षेत्र हिसार जिले के अंतर्गत पड़ता है और अरविन्द केजरीवाल का पैतृक जिला हिसार ही है। वह सिवानी मंडी के रहने वाले हैं और आदमपुर में उनका ननिहाल है। इस सबके बावजूद आम आदमी पार्टी का उम्मीदवार करीब सवा तीन हजार वोट ही ले पाया और न सिर्फ वह अपनी जमानत गंवा बैठा बल्कि मुख्य मुकाबले से बाहर होकर चौथे स्थान पर रहा। आदमपुर उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करके आम आदमी पार्टी 2024 के चुनाव के लिए अपने आपको भाजपा का विकल्प स्थापित करना चाहती थी। लेकिन इस उपचुनाव के नतीजे ने ‘आप’ की सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। हरियाणा के दोनों तरफ दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। आम आदमी पार्टी के ज्यादातर नेता हरियाणा से संबंध रखते हैं। आम आदमी पार्टी पिछले कुछ समय से अपने आपको 2024 के चुनावों के लिए सत्ता की मुख्य दावेदार बताते हुए जोर-शोर से चुनाव अभियान में लगी हुई थी। अब पार्टी को नए सिरे से अपनी रणनीति बनानी होगी। 
इनेलो भी निराश
इनेलो ने आदमपुर उपचुनाव के लिए कुरड़ाराम नंबरदार को उम्मीदवार बनाया था। कुरड़ाराम नंबरदार पहले कांग्रेस टिकट के मुख्य दावेदार थे। कांग्रेस ने जब पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश को उम्मीदवार बना दिया तो कुरड़ाराम नंबरदार इनेलो में शामिल हो गए और इनेलो ने उन्हें आदमपुर से पार्टी प्रत्याशी घोषित कर दिया। कुरड़ाराम नंबरदार के चुनाव अभियान के लिए खुद इनेलो सुप्रीमो व पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला निरंतर चुनाव अभियान में डटे रहे। ओम प्रकाश चौटाला के अलावा उनके विधायक बेटे अभय चौटाला और पार्टी के सभी छोटे-बड़े नेता भी निरंतर आदमपुर हल्के में डेरा डाले रहे और पूरी ताकत लगाई। इस सबके बावजूद इनेलो प्रत्याशी कुरड़ाराम केवल सवा पांच हजार वोट ही ले पाए और उनकी जमानत जब्त हो गई। इनेलो नेता इस प्रयास में थे कि आदमपुर उपचुनाव में पार्टी अच्छा प्रदर्शन करके फिर से मुख्यधारा में लौट सकती है। पिछले 2019 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव में इनेलो का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था और लोकसभा चुनाव में जहां इनेलो के सभी उम्मीदवार हार गए थे, वहीं विधानसभा चुनाव में केवल अभय चौटाला ही चुनाव जीत पाए थे। आदमपुर उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करके पार्टी प्रदेश की राजनीति की मुख्यधारा में न सिर्फ लौटना चाहती थी बल्कि अपने आपको 2024 के आम चुनावों में भाजपा का विकल्प भी साबित करना चाहती थी। आदमपुर के नतीजे ने इनेलो कार्यकत्ताओं को निराश कर दिया। 
कांगे्रस, इनेलो व भाजपा
2019 में हरियाणा में भाजपा की सरकार बनने के बाद यह तीसरा उपचुनाव था। पहला उपचुनाव बरोदा से कांग्रेस विधायक श्रीकृष्ण हुड्डा के निधन से खाली हुई सीट के लिए हुआ था। बरोदा सीट पर कांग्रेस ने भूपेंद्र हुड्डा समर्थक इंदुराज नरवाल को प्रत्याशी बनाया था। इंदुराज नरवाल कांग्रेस टिकट पर चुनाव जीत गए थे और कांग्रेस ने अपनी सीट वापस हासिल कर ली थी। दूसरा उपचुनाव ऐलनाबाद सीट के लिए हुआ था। किसान आन्दोलन के दौरान इनेलो के एकमात्र विधायक अभय चौटाला ने किसानों की मांगों के समर्थन में अपने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद ऐलनाबाद सीट पर हुए उपचुनाव में इनेलो टिकट पर अभय चौटाला चुनाव जीत कर फिर से विधायक बन गए। बरोदा और ऐलनाबाद उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। अब आदमपुर उपचुनाव कुलदीप बिश्नोई द्वारा इस्तीफा दिए जाने के कारण करवाया गया और इस उपचुनाव में कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई भाजपा टिकट पर विधायक बन गए हैं। इससे 90 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा विधायकोें की संख्या 40 से बढ़कर 41 हो गई है। भाजपा को 10 जजपा विधायकों के अलावा निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन हासिल है। -मो.-9855465946