मिसाल कायम करते नन्हे बच्चे बच्चों से सीखें जीवन के सूत्र 14 नवम्बर बाल दिवस पर विशेष

 

बच्चों का मन बेहद कोमल और सरल होता है, जो प्राय: निस्वार्थ भाव से किसी की भी मदद करने को तैयार रहते हैं। हालांकि बच्चों को हम बचपन से ही ऐसी सीख देने का भरसक प्रयास करते हैं कि वे जीवन में एक अच्छे इंसान बनें लेकिन कई बार हम स्वयं ही अपनी कार्यशैली से उनके समक्ष अच्छा आदर्श स्थापित करने में विफल रहते हैं। वास्तविकता यही है कि बड़ों के मुकाबले बच्चों का मन इतना कोमल होता है कि वे किसी भी बात का दिल से बुरा नहीं मानते और कई मामलों में तो कुछ बच्चे अपने कारनामों से बड़ों को भी जीवन में बहुत कुछ सीखा जाते हैं। सही मायनों में हम बच्चों से ईमानदारी, छोटी-छोटी बातों में खुशियां ढूंड़ना, किसी का दिल नहीं दुखाना, दिल में कोई खोट न रखकर दिल खोलकर हंसना, निस्वार्थ भाव से दूसरों की मदद करना, लग्न और मेहनत से जीवन में बड़े से बड़ा मुकाम हासिल करना जैसी बातें सीख सकते हैं। व्यस्कों को जहां प्रसन्न रहने के लिए किसी कारण की आवश्यकता होती है, वहीं बच्चों को दुखी होने के लिए एक कारण की जरूरत होती है।
अधिकांश बच्चे आजकल हालांकि टीवी अथवा विभिन्न मोबाइल ऐप पर कार्टून तथा अन्य सामग्री देखने, गेम खेलने इत्यादि में काफी समय बिता देते हैं लेकिन कुछ बच्चे अपनी सकारात्मक गतिविधियों या कुछ ऐसे कार्यों की बदौलत समाज के समक्ष ऐसी मिसाल भी पेश कर जाते हैं, जो अधिकांश मामलों में बड़ों से भी अपेक्षित नहीं होती। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य अपनी मनुष्यता खोता जा रहा है, समय के साथ लोगों में मदद की भावना और दयाभाव कम हो रहा है लेकिन बच्चे निश्छल मन के और निस्वार्थी होते हैं, जो अपनी मासूमियत से कुछ खास कारनामे कर बड़ों-बड़ों को भी उनका अनुसरण करने को प्रोत्साहित करते हैं। बच्चों द्वारा किए जाने वाले ऐसे ही कुछ अनोखे कार्यों को देखकर तो कई बार ऐसा लगता है कि बच्चों को बड़ों से नहीं बल्कि बड़ों को भी बच्चों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। ऐसी ही मिसाल पेश करता एक मामला सामने आया था बाड़मेर में, जब वहां के कलेक्टर शिवप्रसाद नकाटे ने एक गांव से गुजरते समय कुछ बच्चों को सड़क के पास खेलते और मिट्टी का घर बनाते देखा तो कौतूहलवश वे गाड़ी रूकवाकर उन बच्चों के पास गए। उन्होंने देखा कि बच्चों ने रेत के बनाए इन मकानों के साथ एक ऐसी सड़क भी बनाई थी, जो हर घर को जोड़ती थी। बच्चों की रचनात्मकता से खुश होकर उन्होंने बच्चों को इनाम के रूप में पांच सौ रुपये दिए। दरअसल बच्चों ने खेल-खेल में अपनी रचनात्मकता के जरिये जो मिसाल पेश करने का प्रयास किया था, उससे कलेक्टर ने महसूस किया कि सड़क सभी गांवों की एक बड़ी जरूरत है क्योंकि यह विभिन्न गांवों के बीच संचार का एकमात्र जरिया है। उसके बाद कलेक्टर साहब ने बच्चों को आश्वासन दिया कि उनके गांव में सड़कों का निर्माण कराया जाएगा।
एक वायरल वीडियो में तो पिछले दिनों दो छोटे स्कूली बच्चों ने इंसानियत की ऐसी मिसाल पेश की कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उसकी प्रशंसा किए बिना नहीं रह सके। वायरल वीडियो में एक महिला फलों से लदा हुआ ठेला खींचते दिखी, जो अकेले अपने ठेले को थोड़ी ऊंची ड़लान वाली सड़क पर नहीं ले जा पा रही थी। उसे मदद की जरूरत थी लेकिन लोग उसे परेशानी में देखते और आगे बड़ जाते। तभी दो छोटे स्कूली बच्चे आए और अपने नन्हे हाथों से एक बच्चे ने महिला के साथ जाकर ठेले को धक्का देना शुरू किया तथा दूसरे ने आगे आकर ठेले को खींचने की कोशिश की। मासूम बच्चों की इतनी सी मदद से ही ठेला ड़लान के पार हो गया। इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट किया कि आपकी डिग्री सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है, अगर वो आपके व्यवहार में ना दिखे तो।
10वीं कक्षा में पड़ रहे बिहार के 14 वर्षीय एकलव्य कौशिक ने तो अपने एक छोटे से प्रयास से अपने गांव की काया पलट करते हुए पूरे देश में एक अलग ही मिसाल पेश की है। एकलव्य बताते हैं कि जब वह छोटे थे तो देखते थे कि किस प्रकार गांव में लोग परम्परागत खेती करते हैं लेकिन इस खेती से उन्हें न अच्छी आमदनी मिल पाती है और न ही वे सफल व्यक्ति बन पाते हैं। कई बार तो पूरी फसल बर्बाद होने के कारण उन्हें कर्ज लेकर गुजारा करना पड़ता है। एकलव्य कहते हैं कि जब उन्होंने खेती के बारे में इंटरनेट पर सर्च किया तो पता चला कि स्ट्रॉबेरी की खेती में अच्छा-खासा पैसा कमाया जा सकता है। ऐसे में उन्होंने कोरोना काल में इंटरनेट की सहायता से यूट्यूब पर स्ट्रॉबेरी की खेती के विषय में पर्याप्त जानकारी हासिल की और उसके बाद 2700 रुपये में स्ट्रॉबेरी के करीब एक हजार पौधे खरीदकर उन्हें खेत में लगाया। हालांकि उस समय लोगों ने उन्हें बहुत भला-बुरा कहा लेकिन एकलव्य ने कोई परवाह किए बिना अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित रखा। अब एकलव्य के परिवार के खेत में फल आते ही उनकी सारी स्ट्रॉबेरी स्थानीय बाज़ार में बिक जाती हैं। एकलव्य की इस सफल पहल के बाद अब गांव के कई लोग इसे अपना रहे हैं।
बिलासपुर के 5 वर्षीय वंडरब्वाय अरमान ने तो छोटी सी उम्र में ऐसा कारनामा करके हर किसी को हतप्रभ कर दिया है, जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है। अरमान पहले ही दो बार इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं। पांच साल की छोटी सी उम्र में जहां बच्चे पड़ना-लिखना शुरू करते हैं, वहीं अरमान ने अपने नन्हे हाथों से तीन किताबें लिख डाली हैं, जो सोशल साइट पर प्रकाशित हो रही हैं। अरमान की किताबों को अमेजॉन ने अमेजॉन बुक्स में प्रकाशित किया है। अरमान की इन किताबों में अलग-अलग क्षेत्रों के अलग-अलग विषय हैं, जिन्हें उसने अपने मनगड़ंत विचारों के आधार पर लिखा है। इससे पहले अरमान 4 वर्ष की उम्र में सबसे कम समय में 42 तक के गुणांक करने वाले बच्चों में रिकॉर्ड बना चुका है।
तमिलनाडु के कोयम्बटूर के 13 वर्षीय अर्णव शिवराम ने कम्प्यूटर की 17 भाषाएं सीखकर हाल ही में कीर्तिमान स्थापित किया है। शिवराम ने चौथी कक्षा में ही कम्प्यूटर सीखना शुरू कर दिया था और अब तक जावा, पायथन सहित 17 प्रोग्रामिंग भाषाएं सीख चुके हैं। शिवराम का कहना है कि उनकी योजना कम निवेश के साथ भारत में ऑटो-पायलट के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बनाने की है। उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले में एक ऑटो मैकेनिक के छठी कक्षा में पड़ रहे 10 वर्षीय बेटे हन्नान और उसके परिजनों ने तो ईमानदारी की ऐसी मिसाल पेश की, जो आज के समय में कम ही देखने को मिलती है। हन्नान को रास्ते में पांच लाख रुपये से भरा एक बैग मिला, जिसके बाद उसने आसपास में रुपयों के मालिक की तलाश की लेकिन कोई नहीं मिला तो वह बैग लेकर घर पहुंचा। मां ने तुरंत यह बैग उसके मालिक को देने की सलाह दी, जिसके बाद हन्नान फिर से बैग लेकर वहीं जा पहुंचा। काफी देर तक धूप में खड़े होकर इंतजार करने के बाद आखिरकार बैग का मालिक पहुंच गया और हन्नान ने बैग उसके हवाले कर दिया। हन्नान की ईमानदारी की तारीफ नगर पंचायत तथा आस-पड़ोस के गांवों में भी हुई और उसकी ईमानदारी से प्रभावित होकर उसके स्कूल ने उसकी पूरे एक साल की फीस माफ कर दी। मासूम बच्चों के मिसाल कायम करते ये प्रसंग हमें जीवन के सूत्र सिखाते हुए यह प्रेरणा देते हैं कि जीवन में ईमानदारी, मन में दूसरों की सहायता की भावना तथा मेहनत से बड़कर कुछ नहीं है और यदि हमारे मन में लग्न है तो हम मेहनत के बल पर किसी भी बुलंदी को छू सकते हैं। मो. 9416740584