अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट जारी है आंतरिक रस्साकशी


चाहे लम्बे इंतज़ार के बाद देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय  पार्टी कांग्रेस को मल्लिकार्जुन खड़गे के रूप में एक अनुभवी नया अध्यक्ष तो मिल चुका है परन्तु अभी भी कांग्रेस के नेतृत्व का संकट सुलझने का नाम नहीं ले रहा। जबकि लोगों में थोड़ा-सा यह प्रभाव बनने लगता है कि कांग्रेस अपने आंतरिक संकटों पर काबू पाकर अब उभरने की ओर बढ़ रही है, तो उसी समय कांग्रेस का कोई न कोई राष्ट्रीय या प्रादेशिक नेता ऐसा बयान द़ाग देता है, जिससे देश के राजनीति गलियारों तथा आम लोगों में पुन: यह प्रभाव पड़ जाता है कि कांग्रेस पार्टी तथा इसका नेतृत्व भाजपा जैसी शक्तिशाली पार्टी का राष्ट्रीय तथा प्रादेशिक स्तर पर मुकाबला करने में अभी सामर्थ्य नहीं हुआ। 
इस समय जबकि राहुल गांधी तथा कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेता ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को सफल बनाने में लगे हुए हैं तथा नि:सन्देह दक्षिण राज्यों से लेकर महाराष्ट्र तक ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को भारी समर्थन मिल रहा है तथा ज्यादातर प्रसिद्ध ़गैर-राजनीतिक शख्सियतों ने भी समय-समय पर ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में भाग लिया है। दूसरी तरफ इस समय कांग्रेस हिमाचल तथा गुजरात में चुनावों का सामना भी कर रही है। हिमाचल में चाहे चुनाव सम्पन्न हो चुका है परन्तु गुजरात में चुनावों की प्रक्रिया अभी भी जारी है। वहां राजस्थान के मुख्यमंत्री तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत भी सक्रियता के साथ कांग्रेस के चुनाव अभियान में भाग ले रहे हैं, परन्तु आश्चर्यजनक बात यह है कि इस दौरान अशोक गहलोत ने देश के एक प्रसिद्ध टी.वी. चैनल को विशेष रूप से साक्षात्कार देते हुए कांग्रेस के युवा नेता तथा अपने राजनीतिक विरोधी सचिन पायलट पर तीव्र हमला क्यों किया है? उन्होंने सचिन पायलट पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वह गद्दार हैं तथा उसने राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष तथा प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री होते हुए जुलाई 2020 में उनकी सरकार को भाजपा  के साथ मिलकर गिराने का बड़ा प्रयास किया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हरियाणा के मानेसर रिज़ार्ट, जहां सचिन पायलट तथा उनके ब़ागी विधायक ठहरे हुए थे, में प्रत्येक ब़ागी विधायक को 5 से लेकर 10 करोड़ रुपये तक दिये गये थे। ऐसा गद्दार व्यक्ति कभी भी राजस्थान का मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप सचिन पायलट ने कहा है कि अशोक गहलोत जैसे वरिष्ठ तथा अनुभवी नेता को इस समय ऐसी ़गलत ब्यानबाज़ी नहीं करनी चाहिए, यह समय ‘भारत जोड़ो यात्रा’ को सफल बनाने का तथा राजस्थान सहित प्रादेशिक चुनावों में भाजपा को हराने हेतु प्रभावशाली ढंग से कार्य करने का है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस तरह के शब्दों का अशोक गहलोत ने प्रयोग किया है, वह ऐसे शब्दों का प्रयोग करना उचित नहीं समझते।
नि:सन्देह यह रहस्मय बात है कि अशोक गहलोत ने बेहद बेबाकी से इस समय सचिन पायलट को निशाना बनाया है? क्योंकि कुछ ही दिनों में मध्य प्रदेश से होती हुई ‘भारत जोड़ो यात्रा’ राजस्थान में प्रवेश करने वाली है। सम्भवत: अशोक गहलोत का यह ब्यान गुज्जर आरक्षण संघर्ष समिति के नेता विजय बैंसला द्वारा दिये इस ब्यान की प्रतिक्रिया स्वरूप आया हो, जिसमें उन्होंने राहुल गांधी से मांग की थी कि सचिन पायलट को किये गये वायदे के अनुसार राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाया जाये तथा गुज्जर समुदाय को आरक्षण देने संबंधी मांग भी मान ली जाये, नहीं तो वह राजस्थान में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का विरोध करेंगे। कारण चाहे कुछ भी हो, अशोक गहलोत जैसे वरिष्ठ नेता का इस समय सचिन पायलट को गद्दार कहना तथा यहां तक ब्यान दे देना कि वह कभी भी राजस्थान के मुख्यमंत्री नहीं बन सकते, किसी भी तरह उचित ब्यान नहीं है तथा जबकि इस समय कांग्रेस अपने अक्स की बहाली के लिए कई फ्रंटों पर जूझ रही है, उस समय यह ब्यान कांग्रेस के अपने हितों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। इससे यह बात पुन: सामने आ गई है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने के बाद भी कांग्रेस के भीतर अभी भी आपा-धापी तथा अनुशासनहीनता वाला माहौल चल रहा है। ऐसी स्थिति में भविष्य में राजस्थान, कर्नाटक तथा अन्य प्रदेशों के आने वाले प्रादेशिक चुनावों तथा 2024 के लोकसभा चुनावों का सामना पार्टी कितनी एकजुटता के साथ कर सकेगी, इस समय यह कहना बेहद कठिन प्रतीत होता है। नि:सन्देह यह स्थिति ऐसी बनी हुई है कि भाजपा से तो कांग्रेस को बड़ी चुनौती का सामना करना ही पड़ेगा, परन्तु इसके साथ-साथ इसकेअपने नेता भी पार्टी को नुकसान पहुंचाने में पीछे नहीं हैं।