ऊंट की करवट


कांग्रेस की राहुल गांधी के नेतृत्व में आयोजित भारत जोड़ो यात्रा के बाद पार्टी की ओर से ‘हाथ से हाथ जोड़ो’ यात्रा शुरू करने की तैयारियां की जा रही हैं। पार्टी पहली यात्रा से काफी उत्साहित हुई लगती है। यह उत्साह बना रहे, इसलिए ही यह अगला कदम उठाने की योजना बनाई जा रही है। इससे पहले 24 फरवरी को रायपुर में तीन दिन का सैशन बुलाया जा रहा है, जिसमें पिछले समय में पेश सभी गंभीर मामलों पर विचार-विमर्श होने की सम्भावना है। देश भर से 15,000 के करीब डेलीगेट इस सैशन में हिस्सा लेंगे। मल्लिकार्जुन खड़गे के पार्टी का प्रधान बनने के बाद यह पहला सैशन होगा। इस समय राजनीतिक तौर पर देश भर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा का जहां उत्थान दिखाई दे रहा है, वहीं कांग्रेस आज भी चाहे एक राष्ट्रीय पार्टी है लेकिन इसका आधार लगातार सिकुड़ता ही गया है। कभी देश भर में बड़ा प्रभाव रखने वाली यह पार्टी आज सिर्फ दो प्रांतों तक ही सीमित होकर रह गई है।
आज देश की बड़ी प्रांतीय पार्टियां और राष्ट्रीय प्रभाव रखने वाली पार्टियां भी भाजपा के इस लगातार उत्थान से परेशान दिखाई दे रही हैं। भारत जोड़ो यात्रा में भी कांग्रेस ने सैद्धांतिक तौर पर भाजपा से अपना अलगाव कर लिया था, जिसको आगामी समय में वह और भी उभार कर पेश करने के लिए यत्नशील दिखाई देती है। होने वाले पार्टी सैशन में जहां भाजपा की हिन्दुत्व की राजनीति का मुकाबला करने के लिए सोच-विचार किया जायेगा वहीं आर्थिक मोर्चे पर भी उसको चुनौती देने की योजनाबंदी की जा रही है। इसमें लगातार बढ़ रही महंगाई और गत दिनों गंभीर रूप में सामने आये अडानी के मामले को भी उछाला जा सकेगा। कांग्रेस नारी-शक्ति को भी उभार कर पेश करने के यत्न में है। प्रियंका गांधी ने भी उत्तर प्रदेश के चुनावों में इस मामले को उभारा था और पार्टी में महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व की बात की थी। 
लोकसभा चुनावों के लिए समय रहते अधिकतर विपक्षी पार्टियां यह महसूस करने लगी हैं कि इस समय भाजपा का राजनीतिक पक्ष से मुकाबला इकट्ठे होकर ही किया जा सकता है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने यह स्पष्ट रूप में कहा है कि कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा का मुकाबला करने तथा उसे सत्ता से हटाने के लिए भिन्न-भिन्न विपक्षी पार्टियों को एकजुट करने के लिए अपनी भूमिका को जानती है। विगत दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने मार्क्सवादी पार्टी द्वारा आयोजित एक समारोह में सम्बोधित करते हुए कहा था कि कांग्रेस को इस दिशा में जल्द से जल्द अपना फैसला लेना चाहिए ताकि आगामी आम चुनावों में भाजपा का मुकाबला किया जा सके। वहां उपस्थित अन्य नेताओं ने इस बात पर बल दिया था कि अधिकतर विपक्षी पार्टियों को एकजुट होकर इस संबंध में विचार-विमर्श करने की आवश्यकता है जिसमें कांग्रेस की भी अपनी भूमिका हो परन्तु अभी भी तृण मूल कांग्रेस तथा भारत राष्ट्र समिति जैसी प्रांतीय पार्टियां हैं जो कांग्रेस के बिना एकजुट होने को अधिमान दे रही हैं। नि:संदेह यह कार्य इसलिए बेहद कठिन है क्योंकि आज भिन्न-भिन्न पार्टियों से संबंध रखने वाले अधिकतर नेता स्वयं को ही समर्थ समझ रहे हैं। इससे पहले भी काफी बार ऐसी कवायद की जा चुकी है, परन्तु उसके बीच नेताओं का अपना अहं आ खड़ा होता है जबकि स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए विपक्षी पार्टियों का प्रभाव बढ़ना भी ज़रूरी समझा जाता है। आज राजनीतिक मंच पर सब की नज़रें इस बात पर लगी हुई हैं कि ऊंट किस करवट बैठता है। 
           

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द