पंजाब में बढ़ती बेरोज़गारी

राष्ट्रीय धरातल पर बेरोज़गारी की दर में कमी आने और रोज़गार के अवसर बढ़ने का समाचार जहां सुकून प्रदान करने वाला है, वहीं पंजाब में इस तथ्य के विपरीत बेरोज़गारी की दर बढ़ी है। नि:सन्देह रूप से ये आंकड़े प्रदेश का हित-चिन्तन करने वाले जन-साधारण के माथे पर चिन्ताओं की रेखाओं को बढ़ाने के लिए काफी हैं। हाल ही में प्रकाशित वार्षिक श्रम-शक्ति सर्वेक्षण की एक ताज़ा रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021-22 में, पंजाब में श्रम के धरातल पर नौकरी अथवा रोज़गार चाहने वाले लोगों की तादाद बढ़ी है। यह वृद्धि सरकारी और ़गैर-सरकारी दोनों धरातलों पर अंकित की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय धरातल पर इन प्रतिशत आंकड़ों में बेशक सुधार दर्ज किया गया है।  पंजाब में बेरोज़गारी की  दर इस काल में 6.4 प्रतिशत रही जोकि विगत वर्ष से अधिक आंकी गई है, किन्तु इसमें महिला रोज़गार चाहने वालों की दर 8.7 प्रतिशत रही जबकि पुरुष वर्ग में यह दर 5.8 प्रतिशत थी। इसके बमुकाबिल राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं में रोज़गार हासिल करने वालों का प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा। तथापि, हरियाणा में स्थिति अधिक खराब पाई गई, जहां राष्ट्रीय आंकड़ों के अनुपात में हरियाणा प्रदेश महिला और पुरुष दोनों में पिछड़ा रहा। 
पंजाब में विगत वर्ष मध्य मार्च में मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार ने शपथ ग्रहण की थी। इसके बाद से सरकार की ओर से एवं स्वयं मुख्यमंत्री की ओर से अनेकानेक घोषणाओं में नये सरकारी पद सृजित करने, नई भर्ती करने और युवाओं को अधिक नौकरियां प्रदान करने के दावे तो किये गये किन्तु ज़मीनी धरातल पर स्थिति सदैव इसके विपरीत रही। आम आदमी के नाम पर गठित हुई इस आम आदमी पार्टी की सरकार में आम आदमी के लिए रोज़गार के अवसर कभी भी सकारात्मक धरातल पर खरे नहीं रहे। इस सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार भी यही तथ्य सामने आते हैं कि जुलाई 2022 तक के आंकड़ों में भी पंजाब रोज़गार के धरातल पर पिछड़ा रहा है तथा उस के बाद से भी आशा की कोई किरण तो कहीं भी दिखाई नहीं दी है। स्थिति पिछली सरकारों के समय भी कभी नहीं सुधरी थी। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के बाद बनी चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने भी अपने अल्प-से काल में प्रदेश में युवाओं को रोज़गार प्रदान करने के बड़े दमगजे मारे थे, किन्तु युवा वर्ग रोज़गार के अवसरों से वंचित ही रहा। महिलाओं को रोज़गार और अन्य धरातलों पर महिला वर्ग के सर्वांगीण विकास के नाम पर भी प्रदेश की सभी सरकारें खोखले दावे ही करते प्रतीत हुई हैं। स्थितियों में सुधार की सम्भावना मौजूदा ‘आप सरकार’ के शासन के दौरान भी कहीं दिखाई नहीं दी है। कोरोना महामारी के काल में बेरोज़गारी के धरातल पर उपजी गम्भीरता आज भी पूर्ववत् जारी है। बेरोज़गारी की यह दर 15 से 29 वर्ष के युवाओं में अधिक विकराल होते दिखाई दी है।
बेरोज़गारी के धरातल पर एक गम्भीर पक्ष यह भी है कि पंजाब में श्रम-साध्य क्षेत्र में निराशा अधिक बढ़ी है। प्रदेश की आर्थिकता में समाज के इस वर्ग का योगदान अधिक रहता है किन्तु पंजाब के ऐसे 6.4 प्रतिशत रोज़गार चाहने वालों को काम नहीं मिला। यह स्थिति शहरी क्षेत्र में 10.8 प्रतिशत रही जबकि ग्रामीण क्षेत्र में यह दर 6.6 प्रतिशत आंकी गई। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पंजाब में केवल 30.9 प्रतिशत लोगों को ही नियमित रोज़गार मिल पाता है। लगभग 24 प्रतिशत से अधिक लोग प्रदेश में ऐसे हैं जो अनियमित रोज़गार पर जीने को विवश हैं। यह भी एक बड़ा तथ्य है कि पंजाब में रोज़गार चाहने वाले हाथों की संख्या निरन्तर बढ़ी है। प्राय: यह माना जाता है कि किसी भी देश-कौम के युवा उसकी सम्पत्ति होते हैं। जिस देश के युवा संतुष्ट होते हैं, उसकी उन्नति और प्रगति का पथ स्वत: प्रशस्त होने लगता है, किन्तु पंजाब के युवा वर्ग में निराशा का आलम भीतर तक तारी है। प्रदेश की कृषि-भूमि निरन्तर संकुचित होती जा रही है। ग्रामीण युवा शहर की ओर भागने को विवश है, अथवा विदेशों को पलायन करने हेतु आमादा है। बेकार और बेरोज़गार हाथों वाला युवा नशे की ओर अग्रसर होता है अथवा आत्महत्या करने को उतारू हो जाता है। 
यह स्थिति इस प्रदेश और देश, दोनों के हित में नहीं है। पंजाब के युवाओं को रोज़गार चाहिए, नौकरी चाहिए। हम समझते हैं कि पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि पर आधारित लघु अथवा मझोले उद्योगों और अन्य व्यवसायों को शुरू किये जाने की बड़ी आवश्यकता है। निश्चित रूप से पंजाब के युवाओं के हाथों को रोज़गार मिलेगा तो वे नशे के सेवन और इसके कारोबार में संलिप्त होने से बचेंगे। इस कारण प्रदेश में अपराध और गैंगस्टरवाद की स्थिति पर भी अंकुश लगेगा। ग्रामीण क्षेत्र में कृषि व्यवसाय लाभकर बनेगा, तो गांव का युवा शहर की ओर भागने अथवा विदेशी धरती की ओर पलायन करने से भी संकोच करेगा। इस हेतु सरकारों की प्राथमिकता लघु एवं ग्रामीण उद्योगों को अधिक विकसित करने की होनी चाहिए। इससे एक ओर युवाओं को स्व-रोज़गार उपलब्ध होगा, वहीं वे अन्य युवा हाथों को रोज़गार देने में भी सक्षम हो सकेंगे। देश और पंजाब प्रदेश की सरकारें जितना शीघ्र इस अहम स्थिति को समझेंगी, उतना ही इस प्रदेश और यहां के युवा वर्ग के हित में होगा। इसके लिए राजनीतिक मसलहतों और निजी संकीर्णताओं से ऊपर उठ कर, प्रदेश के समग्र हित का चिन्तन करते हुए आगे बढ़ने की बड़ी ज़रूरत है।