दोस्ती की मिसाल

नागपुर से सत्रह किलोमीटर दूर स्थित पावनधाम में एक उन्नत मोहल्ला विकसित किया जा रहा है। बड़ी संख्या में लोग यहां अपनी आखिरी सांसें को विराम देने के लिए इस रमणीय स्थल को चुनने में व्यस्त हैं। इसी रमणीय स्थल पर सत्तर परिवारों को एक सहकारी समिति के द्वारा भूखंड आवंटित किए गए जहां रिटायर्ड लोगों के द्वारा आशियाने बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
वहां रामनिवास बाबू को भी सत्रह सौ गज भूमि आवंटित की गई है। रामनिवास बाबू अभी हाल में ही भारतीय स्टेट बैंक से रिटायर्ड होकर अपना आशियाना बनाने की सोच रहे हैं।
यह मोहल्ला बस चुका है। कुछ लोगों के ही मकान बनने बाकी है। सब लोग वहां मिलजुल कर रहते थे।
रामनिवास बाबू ने भी मकान तैयार होते ही वहां शिफ्ट होकर परिवार के साथ रहने लगे। रामनिवास बाबू के छोटे से अहाते में एक छोटा नेवला अक्सर देखा जाता था। रामनिवास बाबू के चौदह साल के एकलौते पुत्र रणबीर उस नेवला को देखते हुए काफी खुश रहता था। प्यार और स्नेह बस देखकर ही एक दूसरे में था परन्तु कभी भी किसी ने किसी तरह के अन्य खेल नहीं खेलते थे।
अपनी दादी जी से रणबीर ने नेवला और सांप की कहानी अक्सर सुनने के बाद यह जान चुका था कि नेवला बड़ा ही बहादुर जंतू होता है। यह सब सुनकर रणबीर नेवला को देखते ही पुचकारने लगता था। लेकिन नेवला कभी भी रणबीर के हाथ नहीं लगा।
यह सब कुछ नेवला को भी पसंद था और रणबीर को देखते ही वह उछल-कूद कर अपने को नन्ही सी दुनिया का बादशाह समझने लगा था।
तरह-तरह के खेलकूद करके वह रणबीर को खुशियां देकर अपने बिल में बनाए गए घर में घुस जाता था। घर में सब लोग रणबीर के इस नन्हे जीव नेवला का नामकरण भी कर दिए थे। सब लोग नेवला को देखते ही सैंडी सैंडी कहकर पुकारते हुए रणबीर को आने की सूचना देते थे।
आज फिर सैंडी नेवला और रणबीर की खूबसूरत दौड़ धूप चलीं थीं। एकाएक घर में रणबीर ने एक विषैले सांप को अपने मकान में घुसते हुए देखा। घर में रणबीर जोर जोर से चिल्लाने लगा। काले रंग के सांप की जाति को समझना तो रणबीर के लिए मुश्किल था परन्तु रंग रूप से वह सांप काफी विषैला लग रहा था।
यह खबर पूरे मोहल्ले में फैल गई। कोई सपेरा को बुलाने की बात कर रहा था तो कोई वन विभाग को सूचित करने का सुझाव दे रहे थे। परन्तु एक बात में सभी लोग सहमत थे कि किसी भी कीमत पर घर में आज कोई नहीं सोएगा।
मोहल्ला विकसित नहीं हुई थी परन्तु लोगों में मिल्लत थी। सब लोग कहते थे कि यह एक अपने परिवार का मोहल्ला है। सब लोग रामनिवास बाबू और उनके परिवार को अपने अपने घरों में रहने के लिए अनुरोध कर रहे थे। यह पति पत्नी को बहुत अच्छा लग रहा था परन्तु घर को यूं ही छोड़कर चले जाना वो लोग ठीक नहीं समझ रहे थे। इधर रणबीर को अपनी दादी अम्मा के द्वारा सुनाई हुए कहानियों की याद आने लगी। वह नेवला और सांप की कहानी सुन रखा था। कहानी में हर बार नेवला की जीत की कहानी उसके दिलों दिमाग में बैठा हुआ था।
फिर आज अपने सैंडी की हरकतों से वह अनजान था वह सोच रहा था कि आज जबकि सैंडी की मुझे सुबह ज्यादा जरूरत है तो आज वह नज़र ही नहीं आ रहा है। घर में रामनिवास बाबू और रणबीर की मम्मी भी सैंडी नेवला को अहाते में नहीं देखकर आश्चर्यचकित थीं। तरह-तरह की बातें लोगों के द्वारा कही और सुनी जा रही थी। तभी वहां मोहल्ले वाले मिस्टर मल्होत्रा के चालक ने वन विभाग के एक पदाधिकारी को लेकर आ गया। वह बोला कि सांप आखिर किस ओर गया है बताएं ताकि वन विभाग के रेंजर साहब कुछ सुरक्षा की व्यवस्था करते हुए सांप को खोजने में मदद करेंगे। रामनिवास बाबू ने रेंजर साहब को सारी कहानी बता दी। तभी कुछ योजना बनाई जाती कि सैंडी नेवला को घर के एक कमरे में खटपट की आवाज सुनाई दी। घर में आ रही आवाज से यह लग रहा था कि हों ने हों सैंडी नेवला और सांप में युद्ध हो रही है। रेंजर साहब ने अपनी सुरक्षा के लिए आवश्यक ड्रेस पहनकर कमरे में प्रवेश कर गए। वहां सैंडी नेवला और सांप को आपस में लड़ते देखें। लड़ाई अंतिम अवस्था में थीं। सांप को खत्म करने के बाद तुरंत सैंडी नेवला अपने बिल की ओर भागा। यह सबकुछ देखकर रेंजर साहब ने कहा कि रामनिवास बाबू आपके अहाते के सैंडी नेवला ने मेरा भी काम कर दिया है। अब आप अपने घर में रहें। वह तुरंत अपने ड्राइवर से कहकर मरे हुए सांप को बाहर फेंकवा दिए।
सब लोग आज रणबीर के मित्र सैंडी नेवला की तारीफ करते हुए उसे रणबीर का सबसे सच्चा मित्र बता रहे थे। सैंडी नेवला के द्वारा दिखाई गई दोस्ती की मिसाल आज पूरे मोहल्ले में फैल चुकी है। (सुमन सागर)