भगवंत मान सरकार का एक वर्ष

 

मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने अपने कार्यकाल का एक वर्ष पूरा कर लिया है। 16 मार्च, 2022 को शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़ कलां में भगवंत मान ने मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की थी तथा पंजाब में एक बड़ा बदलाव लाने और अपनी पार्टी द्वारा चुनाव प्रचार के दौरान दी गई भिन्न-भिन्न गारंटियां पूरी करने का वायदा किया था।
अब यह देखने एवं जांच-पड़ताल का समय आ गया है कि अपनी एक वर्ष की कारगुज़ारी के दौरान यह सरकार अपने वायदों को पूरा करने तथा पंजाब को एक बेहतर भविष्य की ओर ले जाने की दिशा में कितनी सीमा तक आगे बढ़ी है। यह जानना इसलिए भी ज़रूरी है कि प्रदेश के लोगों ने आम आदमी पार्टी पर विश्वास करके इसे 92 विधायक जिता कर बहुत बड़ा ़फतवा दिया था तथा उन्होंने कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल तथा भाजपा जैसी पुरानी तथा स्थापित पार्टियों को हरा कर एक बहुत बड़े राजनीतिक बदलाव की नींव रखी थी।
यदि इस सरकार की उपलब्धियों की बात करें तो मुख्यमंत्री भगवंत मान इस प्रसंग में यह दावा करते हैं कि उन्होंने 27,797 युवाओं को नौकरियों के नियुक्ति-पत्र दिए हैं। 28 हज़ार से अधिक ठेके पर काम करते कर्मचारियों को स्थायी किया है। उनका यह भी दावा है कि 6000 से 7000 तक जो कर्मचारी भिन्न-भिन्न कम्पनियों के साथ ‘आऊटसोर्स’ प्रणाली के तहत काम कर रहे हैं, उन्हें पहले ठेके की प्रणाली में लाकर बाद में स्थायी किया जाएगा। मुख्यमंत्री का दूसरा बड़ा दावा है कि उन्होंने लोगों के साथ 300 यूनिट प्रति मास मुफ्त बिजली देने का जो वायदा किया था, उसे उन्होंने अपनी सरकार के प्रथम वर्ष के कार्यकाल में ही पूरा कर दिया है तथा इस समय लगभग 87 प्रतिशत लोगों के बिल ज़ीरो आ रहे हैं। मुख्यमंत्री का तीसरा दावा यह है कि उन्होंने 500 से अधिक मोहल्ला क्लीनिक स्थापित किए हैं तथा उनसे अब तक 50 लाख से अधिक लोग सेवाएं ले चुके हैं। सरकार का दावा है कि इन क्लीनिकों में 45 किस्म के टैस्ट नि:शुल्क किये जाते हैं तथा दवाइयां भी नि:शुल्क दी जाती हैं। इसी तरह सरकार का एक और बड़ा दावा यह है कि उसकी ओर से 117 स्कूल ऑफ ऐमीनैंस खोले गए हैं, जिनमें 9वीं से लेकर 12वीं तक के विद्यार्थियों को पढ़ाया जाएगा तथा उन्हें हर पक्ष से बेहतर शिक्षा दी जाएगी। यदि मुख्यमंत्री के उपरोक्त दावों का विश्लेषण करें तो सिर्फ उनकी इसी उपलब्धि को अहम् माना जा सकता है कि उन्होंने अपने एक वर्ष के समय में 27 हज़ार से अधिक युवाओं को रोज़गार दिया है तथा 28 हज़ार ठेके पर काम करते कर्मचारियों की सेवाएं स्थायी की हैं। चाहे कि पंजाब, जहां 40 लाख से अधिक युवा बेरोज़गार हैं तथा नई पीढ़ी को जहां आज भी कोई भविष्य दिखाई नहीं दे रहा, वहां युवाओं को रोज़गार उपलब्ध करना या ठेके पर काम करते कर्मचारियों को स्थायी करने की उपरोक्त उपलब्धियां भी न्यून प्रतीत होती हैं। जब तक युवा पीढ़ी पंजाब में सरकारी तथा ़गैर-सरकारी क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर नौकरियां हासिल करने में सफल नहीं होती, अथवा उसका ऐसा होने के लिए विश्वास नहीं बंधता, तब तक +2 के बाद विदेशों को जाने वाले युवाओं का रुझान थमने की सम्भावना नहीं है। जब तक युवाओं को अपने भविष्य संबंधी यहां पर विश्वास नहीं होता तथा उनके लिए शिक्षा के बेहतर प्रबन्ध नहीं होते, तब तक प्रदेश में गैंगवार, नशाखोरी तथा भिन्न-भिन्न तरह के अपराधों का रुकना भी बेहद कठिन है, क्योंकि बड़ी संख्या में वे युवा जिनके पास अच्छी शिक्षा नहीं है तथा न ही उनके पास रोज़गार के अवसर हैं, उनमें एक बड़ा वर्ग नशे का सेवन करने, नशा बेचने तथा अपराध की दुनिया में प्रवेश करने की ओर चल पड़ता है। इस कारण आज प्रदेश में अमन-कानून की स्थिति बेहद गम्भीर बनी हुई है। बेरोज़गार युवाओं को देशी-विदेशी शक्तियां गुमराह करके अपने हितों के अनुसार  इस्तेमाल करने में सफल हो जाती हैं। प्रदेश में बढ़ते गैंगवार, धार्मिक कट्टरता तथा हुल्लड़बाज़ी को भी इस सन्दर्भ में ही देखा एवं समझा जा सकता है।
जहां तक सरकार द्वारा 500 से अधिक मोहल्ला क्लीनिक खोलने का प्रश्न है, इस संबंध में सरकार के दावे आधे-अधूरे हैं क्योंकि ये मोहल्ला क्लीनिक आवश्यक मूलभूत ढांचा स्थापित करने तथा आवश्यक स्वास्थ्य कर्मचारी भर्ती करने के बिना ही जल्दबाज़ी में खोले गए हैं तथा इनमें अन्य  प्राइमरी स्वास्थ्य केन्द्रों से ला कर डाक्टर, नर्से तथा फार्मासिस्ट तैनात किए गए हैं, जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत-से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का काम-काज प्रभावित हुआ है। डाक्टरों को मोहल्ला क्लीनिकों में नियुक्त करने से शहरी अस्पतालों में भी डाक्टरों तथा अन्य स्टाफ की कमी पैदा हुई है। इसी तरह स्कूल ऑफ ऐमीनैंस के अधीन जो 9वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों के लिए बेहतर तथा आधुनिक स्कूल खोलने का दावा किया जा रहा है, वह भी ‘अग्गा दौड़, पिच्छा चौड़’ की कहावत की भांति ही है। नए अध्यापक अभी भर्ती नहीं किये गये। प्रदेश के स्कूलों में हज़ारों अध्यापकों की कमी है। ज़रूरत यह है कि प्रत्येक स्कूल में आवश्यक अध्यापक दिए जाएं तथा इमारतों में सुधार किया जाये तथा विद्यार्थियों को पढ़ने-लिखने के लिए समय पर किताबें तथा अन्य सामग्री उपलब्ध करवाई जाये, परन्तु अध्यापकों तथा अन्य स्टाफ की नई भर्ती के बिना ही 117 स्कूल ऑफ ऐमीनैंस खोलना तथा इन स्कूलों में छठी से नये विद्यार्थियों का दाखिला बंद करना किसी भी तरह उचित नहीं है। जो विद्यार्थी पांचवीं के बाद अपने क्षेत्र के ऐसे स्कूलों में दाखिला लेते रहे हैं, वे अब कौन-से स्कूलों में जाकर दाखिल होंगे तथा कहां पर अपनी पढ़ाई जारी रखेंगे, इस संबंध में विद्यार्थियों के अभिभावकों में चिन्ता पाई जा रही है। इस संबंधी सरकार को अंधाधुध दिल्ली मॉडल लागू करने के स्थान पर पंजाब की स्थितियों को ध्यान में रख कर प्रदेश के शिक्षा विशेषज्ञों के साथ बातचीत करके ही फैसले लेने चाहिएं।
पंजाब एक कृषि प्रधान प्रदेश है। यहां आज भी कृषि प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष ढंग से व्यापक स्तर पर रोज़गार के अवसर उपलब्ध करवाती है। प्रदेश की अर्थ-व्यवस्था में अभी भी इसका 28 प्रतिशत हिस्सा है, परन्तु विगत लम्बी अवधि से कृषि किसानों को फसलों के लाभदायक मूल्य न मिलने के कारण घाटे का व्यापार बनी हुई है। पीढ़ी-दर-पीढ़ी किसान परिवारों में ज़मीनों के विभाजन के कारण भी कृषि इकाइयां छोटी हो गई हैं, जिस कारण किसानों की आर्थिक स्थिति बहुत ़खराब हो चुकी है तथा इसी कारण अक्सर हर दूसरे-तीसरे दिन किसानों तथा कृषि मज़दूरों द्वारा आत्महत्या किये जाने के समाचार मिलते हैं। विगत 15-20 वर्षों से ही यह स्थिति बनी हुई है। इसके अलावा प्रदेश की कृषि गेहूं-धान के दो फसली चक्र तक सीमित हो जाने के कारण प्रदेश में भूमिगत पानी का स्तर चिन्ताजनक सीमा तक नीचे जाने से भी एक बड़ा संकट पैदा होता दिखाई दे रहा है। प्रदेश की कृषि को प्रफुल्लित तथा प्रदेश में कृषि आधारित उद्योग स्थापित करके रोज़गार के अवसर बढ़ाने के लिए सरकार पिछले एक वर्ष में बहुत कुछ ठोस नहीं कर सकी। इस समय चाहे मोहाली में देश-विदेश के उद्योगपतियों को बुला कर पूंजी निवेश करवाने हेतु एक समारोह का आयोजन किया गया है परन्तु इसे कोई ज्यादा सफलता नहीं मिली तथा न ही इस सम्मेलन में प्रदेश में पूंजी निवेश संबंधी कम्पनियों के साथ कोई बड़े समझौते हुए हैं, अपितु प्रदेश की बिगड़ चुकी अमन-कानून की स्थिति के कारण यहां पर स्थापित पहले उद्योग भी जम्मू, उत्तर प्रदेश जैसे प्रदेशों की ओर पलायन करते दिखाई दे रहे हैं। पंजाब के कुछ उद्योग कई वर्ष पहले भी हिमाचल तथा अन्य पहाड़ी प्रदेशों में पलायन कर गये थे क्योंकि केन्द्र सरकार ने पहाड़ी प्रदेशों के औद्योगिक विकास के लिए उद्योगों को विशेष रियायतें दी थीं। कृषि में विभिन्नता लाकर तथा नई बुआई की जाने वाली फसलों को केन्द्र के सहयोग करके कृषि संकट को हल करने की ज़रूरत है तथा इसके साथ ही प्रदेश में कृषि आधारित उद्योग व्यापक स्तर पर लगाने हेतु माहौल बनाने की ज़रूरत है। इस सरकार की आने आगामी वर्षों में सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि यह कृषि को कितना लाभकारी बनाती है तथा किस सीमा तक कृषि आधारित उद्योगों का प्रदेश में विस्तार करवाने में सफल होती है। इसके साथ ही भूमिगत पानी के गहरे होते जा रहे स्तर को रोकने तथा भूमिगत पानी के स्रोतों की भरपाई करने के लिए भी ठोस योजनाबंदी की ज़रूरत है।  जिस प्रकार हमने ऊपर कहा है कि यदि प्रदेश में अमन-कानून की स्थिति सरकार के नियंत्रण में नहीं रहती और लोग सुरक्षित महसूस नहीं करते तो किसी भी क्षेत्र में प्रदेश का विकास संभव नहीं है। यह देखा गया है कि पंजाब सरकार के सभी दावों के बावजूद गैंगवार पर अभी तक नियन्त्रण नहीं किया जा सका है। चर्चित गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या गैंगस्टरों के मज़बूत अस्तित्व को सामने लेकर आई है। मोहाली में पुलिस इंटैलीजैंस के मुख्यालय  पर हुए हमले तथा सरहाली के पुलिस थाने पर हुए रॉकेट हमलों ने सुरक्षा के पक्ष से प्रदेश के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। सीमा पार से हथियारों तथा नशीले पदार्थों की ड्रोन के माध्यम से तस्करी अभी भी व्यापक स्तर पर हो रही है। चाहे केन्द्र सरकार द्वारा कुछ माह पहले बी.एस.एफ. का कार्यक्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय सीमा से 50 किलोमीटर तक बढ़ा दिया गया था और पंजाब पुलिस बी.एस.एफ. के साथ सहयोग भी कर रही है परन्तु नशीले पदार्थों तथा हथियारों की तस्करी अभी भी रुकने का नाम नहीं ले रही। चिन्ता की बात यह है कि सीमा पार से आने वाले अवैध हथियार गैंगस्टरों तथा अन्य समाज विरोधी तत्वों तक पहुंच रहे हैं। लारैंस बिश्नोई तथा गोल्डी बराड़ के गुट से संबंधित गैंगस्टरों द्वारा गोइंदवाल की जेल में जिस तरह जग्गू भगवानपुरिया के गैंग से संबंधित दो गैंगस्टरों की जेल में हत्या की गई, और उसके बाद जश्न मनाने की जिस प्रकार वीडियो वायरल करवाई गई तथा जिस तरह ब़ेखौफ होकर सिद्धू मूसेवाला की हत्या तथा अपने विरोधी गैंग के गैंगस्टरों की हत्या के दावे किये गये, उससे एक प्रकार से यह संकेत मिलता है कि पंजाब की जेलों में भी कोई सुरक्षित नहीं है। अमृतपाल सिंह तथा उसके साथियों द्वारा अजनाला थाने के भीतर दाखिल होकर जिस प्रकार पुलिस से मारपीट की गई, उससे भी सुरक्षा स्थिति की पोल खुली है। हाल ही में लारैंस बिश्नोई की एक टी.वी. चैनल से दो भागों में सामने आई एक लम्बी इंटरव्यू ने भी लोगों की चिन्ता में और वृद्धि की है। 
भ्रष्टाचार को समाप्त करने के दावों के तहत सरकार ने बहुत-से कांग्रसियों तथा अन्य पार्टियों से संबंधित पूर्व राजनीतिज्ञों के खिलाफ कार्रवाई की है। नि:संदेह भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई सही बात है, परन्तु ऐसी कार्रवाई प्रदेश में एक शक्तिशाली लोकायुक्त नियुक्त करके पारदर्शी ढंग से होनी चाहिए। जिस प्रकार इस समय यह सरकार विजीलैंस के माध्यम से ज़्यादातर विपक्षी पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है (अपने एक मंत्री तथा कुछ विधायकों के खिलाफ अनेक मामले सामने आने के कारण ही उसे यह कार्रवाई करनी पड़ी है), उससे प्रभाव यह बन रहा है कि केन्द्र की भाजपा सरकार की तरह ही यह सरकार विजीलैंस का बदले की भावना से दुरुपयोग कर रही है। बेहतर यही होगा कि लोकायुक्त नियुक्त करके भ्रष्टाचार के सभी मामले उसके हवाले किये जाएं। 
इस सरकार पर एक गम्भीर आरोप यह लग रहा है कि यह जल्दबाज़ी में कुछ न कुछ करके दिखाने का प्रयास कर रही है ताकि आम आदमी पार्टी की दूसरे प्रदेशों में या 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने की जो इच्छाएं हैं, उनकी पूर्ति के लिए पंजाब में जो थोड़ी-बहुत उपलब्धियां प्राप्त की हैं, राष्ट्रीय स्तर पर उनका प्रचार करके यह आम आदमी पार्टी को लाभ दिला सके। इस उद्देश्य के लिए प्रदेश के वित्तीय स्रोतों का दुरुपयोग करके समाचार पत्रों तथा टैलीविज़न चैलनों पर विज्ञापनबाज़ी कर रही है। इस उद्देश्य के लिए उसकी ओर से 750 करोड़ का बजट रख गया है। इस प्रकार इसने प्रदेश में गोदी मीडिया का एक नया माडल स्थापित कर दिया है, परन्तु जो मीडिया संस्थान सरकार का पक्ष-पोषण नहीं करते, उनके विज्ञापन बंद करके उन्हें सज़ा दी जा रही है। इस कारण प्रदेश में लोकतंत्र तथा प्रैस की स्वतंत्रता भी ़खतरे में पड़ गई प्रतीत होती है। इस सरकार की नीतियों संबंधी प्रदेश के अर्थ शास्त्री अलग तौर पर चिन्तित हैं। उनका विचार है कि यह सरकार भी पहली सरकारों की भांति ऋण लेकर लोगों को मुफ्त सुविधाएं देने के मार्ग पर चल रही है। अब तक 45 हज़ार करोड़ से अधिक का ऋण यह सरकार ले चुकी है। यही सिलसिला जारी रहा तो तीन लाख करोड़ से अधिक का ऋणी पंजाब और भी भारी ऋण में डूब जाएगा। इस पहलू को भी सरकार को देखना पड़ेगा। 
यदि सरकार ने अपने किये हुए वायदों के अनुसार प्रदेश को बेहतर प्रबंध देना है तथा यहां खुशहाली लानी है, तो इसे विज्ञापनबाज़ी से सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने वाले मार्ग पर चलने के स्थान पर ठोस उपलब्धि वाले मार्ग पर चलना पड़ेगा।