एक प्रेम कहानी—नीता-मुकेश अम्बानी लाल बत्ती पर शादी का वायदा

 

अरे गाड़ी स्टार्ट करो’। 
‘नहीं, बिल्कुल नहीं, जब तक तुम ‘हां’ नहीं कहोगी, गाड़ी स्टार्ट नहीं होगी’। 
‘पों पों पाें...’।
‘अरे देखों पीछे लोग हॉर्न बजा रहे हैं’।
‘बजाने दो’।
‘ये क्या पागलपन है’।
‘इस पागलपन को तुम एक ‘हां’ कहकर सही कर सकती हो’।
‘हे भगवान... (कहकर लड़की लंबी सी सांस लेती है) 
‘चलो ठीक है, डन... वायदा किया’।
(लड़का यह सुनकर उछल पड़ता है और गाड़ी स्टार्ट करके कुछ ही पलों में फर्राटे भरने लगता है, क्योंकि उसके आगे की कई गाड़ियां आगे जा चुकी होती हैं)
मुंबई की पैडर रोड पर चार दशक पहले हुई यह वह ब्लैकमेलिंग थी, जिसके चलते देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी की शादी नीता अंबानी से हुई। दरअसल रणनीतियां सिर्फ कारपोरेट जंग जीतने के लिए ही नहीं बनायी जातीं, कई बार मुहब्बत की जंग के लिए भी इस तरह की रणनीतियों की ज़रूरत पड़ती है। मुहब्बत के लिए तो कहा ही गया है कि इसमें सब कुछ जायज है। 
...तो पूरी कहानी यह है कि मुकेश अंबानी नीता के साथ पिछले कुछ दिनों से डेटिंग कर रहे थे और मुकेश चाहते थे कि जल्दी से जल्दी उनकी नीता के साथ शादी हो जाए। जबकि नीता मुकेश के साथ शादी करने को तो तैयार थीं, लेकिन वह पहले अपनी पढ़ाई पूरी करना चाहती थीं, इसलिए अभी वह शादी को लेकर कोई निश्चित हां या न के चक्रव्यूह में नहीं फंसना चाहती थी। लेकिन आज मुकेश अंबानी ने तय कर लिया था कि मुंबई के सबसे भीड़ भरे इलाके पैडर रोड में वह रेड सिग्नल में अपनी गाड़ी तभी आगे बढ़ाएंगे, जब नीता उनसे शादी करने के लिए हां कहेंगी और अंतत: इस साइकलोजिकल हमले के आगे नीता अंबानी को हथियार डालने पड़े। 
एक नवम्बर 1963 को नीता का जन्म मुंबई के सांताक्रूज इलाके में हुआ। उनके पिता बिरला समूह में सीनियर एक्जीक्यूटिव के पद पर कार्यरत थे। परिवार की आर्थिक स्थिति सामान्य थी। नीता की मां चाहती थीं कि वह कुछ ऐसा करे, जिससे उसका भविष्य पूरी तरह सुरक्षित हो जाए। इसलिए वह चाहती थीं कि नीता चार्टर्ड अकाउंटेंट बनें। लेकिन नीता का मन तो जुनून की हद तक क्लासिकल डांस में लगता था। फिर भी वह मां के दबाव में मुंबई के नर्सीमोंजे कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में दाखिला ले लिया और साथ ही चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने की तैयारी भी करने लगीं। लेकिन वह पार्ट टाइम अपनी हॉबी के तौर पर क्लासिकल डांस भी सीखती थीं और मां ने भी इतनी छूट दे दी। उन्हीं दिनों नीता अपने कॉलेज के कल्चरल प्रोग्राम में हिस्सा भी लेने लगी थीं। जाहिर है वह अकसर ऐसे कार्यक्रमों में डांस ही किया करती थीं। हालांकि वह शौकिया तौर पर ही सीख रही थीं, लेकिन उनके डांस में बिल्कुल प्रोफेशनल टच था। जो भी उनके डांस को देखता तारीफ किये बिना नहीं रहता।  
एक दिन उनके कॉलेज के एक सांस्कृतिक प्रोग्राम में मशहूर उद्योगपति धीरूभाई अंबानी अपने बड़े बेटे मुकेश अंबानी के साथ आये थे। वह उस कार्यक्रम के चीफ गेस्ट थे। धीरूभाई अंबानी और उनके बेटे मुकेश दोनों को नीता का क्लासिकल डांस बहुत पसंद आया। दोनों ने उसको खूब सराहा। मुकेश तो नीता के डांस से इतने प्रभावित हुए कि मन ही मन उसे दिल दे बैठे। जबकि नीता इस सबसे बेखबर थीं। उन्हीं दिनों की बात है एक दिन नीता घर पर मां के साथ रसोई में हाथ बंटा रही थीं कि तभी घर के लैंडलाइन फोन की घंटी बजी। फोन नीता ने ही उठाया। फोन में सामने वाला अपना परिचय धीरूभाई अंबानी के रूप में दिया और नीता से बात करने की इच्छा जाहिर की। नीता को लगा कि कोई उससे मजाक कर रहा है और उसने रॉग नंबर कहकर फोन काट दिया। वह मां से इस फोन कॉल के बारे में बात कर ही रही थी कि तभी फोन की घंटी एक बार फिर से बज उठी। नीता ने सोच लिया था कि अगर यह फोन उसी आदमी का होगा, तो वह उसे सबक सिखाएगी। यह सोचते हुए नीता ने फोन उठाया और एक बार फिर से सामने वाले ने अपना परिचय धीरूभाई अंबानी के रूप में दिया। अब तो नीता को बुरी तरह गुस्सा आ गया, उसने कहा, ‘अच्छा तो आप धीरूभाई अंबानी बोल रहे हैं। अगर आप धीरूभाई अंबानी हैं तो मैं एलिजाबेथ टेलर बोल रही हूं, बताइए क्या काम है?’ फोन पर मौजूद व्यक्ति जब हंसा तो नीता ने गुस्से में फोन काट दिया। 
लेकिन फोन पर वाकई धीरूभाई अंबानी ही थे। उन्होंने नीता की डांस परफॉर्मेंस पर उसे बधाई देने के लिए फोन किया था। लेकिन नीता की मासूमियत भरी बातों से वह उससे और भी प्रभावित हो गए। उधर धीरूभाई अंबानी के बड़े बेटे मुकेश अंबानी के तो सपनों में नीता ने अपना कब्जा कर लिया था। एक दिन मुकेश ने हिम्मत करके नीता से मिलने की ठानी और उसके कॉलेज की ओर चल पड़े। लेकिन मुकेश मन ही मन डर रहे थे। बहरहाल उन्हाेंने अपनी सारी हिम्मत बटोरी और नीता का कॉलेज के बाहर ही इंतजार करने लगे। क्लास खत्म होने पर जैसे ही नीता अपनी सहेलियों के साथ कॉलेज से बाहर निकलीं, मुकेश ने सामने आकर, हैलो कहा। नीता की सहेलियां, मुकेश अंबानी को पहचान गईं थीं। वह सब नीता को मुकेश के साथ छोड़कर आगे बढ़ गईं। नीता पहले तो डर गई कि मुकेश अंबानी उससे मिलने क्यों आया है, लेकिन फिर खुद को संभालते हुए उसने मुकेश के हैलो का जवाब दिया। धीरे-धीरे बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा और मुकेश ने नीता को उस दिन के डांस परफार्मेंस की बधाई दी। नीता को यह सुनकर अच्छा लगा। अब तो बातों और मुलाकातों का सिलसिला चल पड़ा था। इसी सिलसिले की वह आखिरी कड़ी थी, जिसे आपने इस कहानी में सबसे पहले पढ़ा। 
हालांकि नीता ने उस दिन मुकेश से शादी के लिए हां तो कर दी थी, लेकिन वह अपने घर वालों को इसके बारे में क्या बताएगी, यह उलझन उसे काफी सता रही थी? मुकेश से नीता ने अपनी परेशानी बताई तो दोनों ने मिलकर एक रास्ता निकाला। मुकेश यह अच्छी तरह जानते थे कि उनके पिता नीता को पसंद करते हैं। मुकेश कई बार नीता के बारे में पिता से बात भी कर चुके थे। मुकेश और नीता ने यह तय किया कि नीता अपने घर में कोई बात नहीं करेगी बल्कि मुकेश के पिता यानी धीरूभाई अंबानी खुद नीता के माता-पिता से बात करेंगे। नीता को यह सुनकर काफी संतुष्टि हुई। ऐसा ही हुआ। एक दिन शाम के समय नीता के घर पर फोन की घंटी बजी तो नीता के पिता ने फोन उठाया और सामने वाले व्यक्ति का परिचय सुनकर चौंक गए। नीता के पिता धीरूभाई अंबानी से बात कर रहे थे। धीरूभाई अंबानी ने फोन पर नीता के डांस एक्ट की प्रशंसा की नीता का हाथ अपने बड़े बेटे मुकेश अंबानी के लिए मांगा। नीता के पिता को यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी बेटी के लिए इतने बड़े घर से रिश्ता आया है। जब उन्होंने नीता की मां को यह सब बताया तो वह भी खुशी से झूम उठीं। नीता माता-पिता की यह खुशी देखकर शर्माते हुए अपने कमरे में चली गईं। 
मुकेश और नीता का विवाह पूरे विधि विधान से सम्पन्न हुआ। एक सामान्य मध्यवर्गीय परिवार की नीता अब अंबानी परिवार की बहू बन गई थीं। थोड़े ही समय में नीता ने अंबानी परिवार को एक बड़ी खुशी दी। नीता मां बनी और मुकेश पिता। समय तेजी से बीत रहा था, नीता और मुकेश की शादीशुदा जिंदगी सुखमय व्यतीत हो रही थी। नीता ने मुकेश को दो और बच्चों को तोहफा दिया। बेटी ईशा और दो बेटों अनंत और आकाश के रूप में नीता ने अंबानी परिवार में खुशियां ही खुशियां दे दीं। नीता के कुशल व्यवहार और सबसे प्रेम करने की खूबी ने उसे जल्द ही सबका चहेता बना दिया था। सभी नीता से बेहद खुश रहते थे। लेकिन नीता के मन में कहीं न कहीं यह कसक थी कि वह खुद तो कुछ भी नहीं कर पाईं। परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियों में उसका अस्तित्व खत्म हो गया। मुकेश नीता की इन भावनाओं को अच्छी तरह समझते थे। जैसे ही तीनों बच्चे थोड़े बड़े हुए, मुकेश ने पिता से सलाह करके नीता को धीरूभाई अंबानी फाउंडेशन का चेयरमैन बनाने की पेशकश की। पिता मुकेश की इस बात पर बेहद खुश हुए, उन्होंने नीता की कार्यकुशलता को अच्छी तरह भांप लिया था। उन्होंने मुकेश से बिना देर किए नीता को फाउडेशन का चेयरमैन बनाने की मंजूरी दे दी। नीता को जब यह मालूम पड़ा तो उन्हें बेहद खुशी हुई। समाज सेवा से जुड़ी इस फाउंडेशन का हिस्सा बनकर नीता को अपनी शिक्षा और योग्यता के बेकार होते जाने का मलाल दूर हो गया। वह पूरे मन से इस फाउंडेशन के क्रियाकलापों में हिस्सा लेने लगीं और जल्द ही उन्होंने अपनी सूझबूझ से इसे कामयाबी के नये शिखर तक पहुंचा दिया। बाद में जब आईपीएल शुरु हुआ तो नीता अंबानी ने अपनी खेल में रूचि के कारण ही मुंबई इंडियंस टीम खरीदी। आज नीता अंबानी महज अंबानी परिवार की बड़ी बहू भर नहीं हैं बल्कि उनकी एक स्वतंत्र शख्सियत है और पूरी दुनिया में वह बहुत सारे इनोवेटिव विचारों के लिए जानी जाती हैं, जिनमें खेल क्षेत्र में उनका महत्वपूर्ण योगदान भी है।

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