शिक्षण संस्थाओं के निकट न खुलें शराब की दुकानें

 

प्राचीन काल से शिक्षा को ही सबसे मज़बूत हथियार माना जाता है। शिक्षा ही जगत के सृजन या उन्नति का वो शस्त्र है जिसके बलबूते पर बहुत से शोध या आविष्कार सम्भव हो सके और आज पूरा संसार विकास की ओर अग्रसर है। चिकित्सा, विज्ञान, कृषि या अन्य क्षेत्रों के विकास की मूल बुनियाद शिक्षा ही है। शिक्षण संस्थानों का शिक्षा के विस्तार में विशेष योगदान रहता है। शिक्षण संस्थान ही वो पेड़ हैं जो शिक्षा के माध्यम से अपने विद्यार्थियों को सींच कर उनमें नए गुणों का सृजन करते हैं और वही विद्यार्थी आगे चलकर देश के विकास में अपना योगदान देते हैं। 
यह सब तभी सम्भव हो पाता है जब शिक्षा की बुनियाद मजबूत हो, परिवेश साफ और ग्रहणशील हो लेकिन यह वातावरण सभी जगह सामान्य नहीं है। शिक्षण संस्थानों एवं छात्रों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं चुनौतियों में से एक सबसे बड़ी चुनौती है, शराब की दुकानों का शिक्षण संस्थानों के नज़दीक खोला जाना। इसका सीधा दुष्प्रभाव वहां शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों पर पड़ता है। यह उनके मन में अविश्वास पैदा करता है और बहुत-से छात्र नशे की लत का शिकार हो जाते हैं। इतना ही नहीं, शिक्षण संस्थानों से निकलने वाले छात्र-छात्राओं को शराब की दुकानों के पास से गुज़रने पर सुरक्षा का एक अनजान सा ़खतरा भी बना रहता है। ऐसे संस्थानों में अभिभावक अपने बच्चों को प्रवेश केवल इलाके में संस्थानों की अनुपलब्धता के कारण ही दिलाते हैं। ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए  सरकारों को चाहिए कि शिक्षण संस्थानों के नज़दीक शराब की दुकानें खोलने पर रोक लगाए। सरकार द्वारा इस संबंध में समय-समय पर दिशा-निर्देश अवश्य जारी किये जाते हैं, परन्तु इन्हें कठोरता से लागू करने में स्थानीय प्रशासन नाकाम रहते हैं इसलिए समाज की भलाई एवं छात्रों को नशे के गर्त्त में जाने से रोकने के लिए सरकारों को इस संदर्भ में कड़े कदम उठाने चाहिएं।


-के.आर. मंगलम विश्वविद्यालय
गुरुग्राम (हरियाणा)