इतनी आसान नहीं है माफिया के खिलाफ  जंग 

उत्तर प्रदेश में कई दशकों से कानून व्यवस्था को ताक पर रख कर अपनी मनमानी कर रहे साठ से अधिक विभिन्न माफिया को चिन्हित कर उनके खिलाफ  बड़ी कारवाई शुरू हो चुकी है। माफिया को मिट्टी में मिलाने का ऐलान प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विधानसभा में कर चुके हैं। गैंगस्टर से राजनीतिज्ञ तक का लम्बा सफर तय करने वाले अतीक अहमद और उस के भाई अशरफ  की पुलिस हिरासत में हत्या के बाद माफिया में खौफ  पैदा हो गया है कि अब वे जेल या पुलिस हिरासत में भी सुरक्षित नहीं हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक अभी उत्तर प्रदेश में 60 से ज्यादा सूचीबद्ध माफिया व बड़े अपराधी हैं जिनकी हिस्ट्रीशीट तैयार है। इनमें कई जेल में हैं। लेकिन योगी सरकार की माफिया के खिलाफ  यह जंग इतनी आसान नहीं है। सरकार को अपनी पार्टी, पुलिस व प्रशासनिक लाबी को भी साधना होगा, क्योंकि पार्टी में जहां जातीय सद्भाव का भरोसा बनाए रखना है, वहीं माफिया के सहयोगी रहे पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों पर भी नज़र रखनी होगी। उत्तर प्रदेश की माफिया व बड़े अपराधियों की सूची में पेशेवर अपराधी, बालू खनन व शराब के ठेकों, सरकारी व निजी ज़मीन पर कब्जा, हत्या, लूट, रंगदारी का धंधा करने वाले शामिल हैं। 
प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश पुलिस ने पशु तस्करी, अवैध बालू खनन, शराब माफिया और दूसरे संगठित अपराध समूहों पर कार्रवाई हेतु 60 से अधिक अपराधियों की एक सूची तैयार की है। इस सूची में कई बड़े नाम भी शामिल हैं।  बताया गया है कि वाराणसी के आईडी-23 गिरोह का सरगना अभिषेक सिंह हनी को ज़हर के नाम से भी जाना जाता है। इस माफिया के खिलाफ  वाराणसी में हत्या, लूट और जबरन वसूली की कम से कम 20 शिकायतें दर्ज हैं। वहीं पूर्वांचल के बाहुबली बृजेश कुमार सिंह की दुश्मनी मुख्तार के साथ रही है। फिलहाल वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद का निर्दलीय सदस्य है और ज़मानत पर बाहर है।  
बांदा जेल में बंद बाहुबली पूर्व विधायक और माफिया  मुख्तार अंसारी के गैंग का एक-दो नहीं बल्कि आठ राज्यों में बड़ा नेटवर्क बताया जाता है। मुख्तार का नेटवर्क मुम्बई, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, बिहार, दिल्ली और मध्य प्रदेश तक में फैला हुआ है। मुख्तार के खिलाफ  देशभर में 61 मामले दर्ज हैं, जिनमें 24 मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं। इसी तरह अखंड प्रताप सिंह पर वाराणसी के एक प्रसिद्ध ट्रांसपोर्टर की हत्या का मामला दर्ज है। इस मामले में साल 2019 में अखंड प्रताप सिंह ने आज़मगढ़ की अदालत में आत्मसमर्पण किया था। एक लाख के इनामी रह चुके अखंड प्रताप पर 36 से ज्यादा हत्या, हत्या के प्रयास, लूट, रंगदारी जैसे संगीन मुकद्दमे दर्ज हैं। साथ ही वह 2017 में आज़मगढ़ के अतरौलिया विधानसभा से बसपा का प्रत्याशी रह चुका है। त्रिभुवन सिंह उर्फ  पवन सिंह, विजय मिश्रा, ध्रुव सिंह उर्फ  कुंटू सिंह, रमेश सिंह उर्फ  काका जैसे अपराधी भी वाराणसी में सूचीबद्ध  है। टॉप टेन माफिया खान मुबारक भी सूची में शामिल है। खान मुबारक के तार मुम्बई के चर्चित गैंगेस्टर जफर सुपारी से जुड़े बताए जाते हैं। 
उधर प्रयागराज क्षेत्र का सुधाकर सिंह बड़ा अवैध शराब तस्कर के तौर पर जाना जाता है। वह अभी जेल में है। वह एक लाख का इनामी रह चुका है। साथ ही डब्बू सिंह उर्फ  प्रदीप सिंह, गुड्डू सिंह, अनूप सिंह के नाम भी लिस्ट में शामिल बताए जाते हैं। आगरा ज़ोन के अलीगढ़ में शराब माफिया अनिल चौधरी की करीब 5 करोड़ 30 लाख की चल-अचल जायदाद को पिछले साल जब्त कर लिया था। आगरा से ऋषि कुमार, बरेली में माफिया एजाज और कानपुर से अनुपम दुबे व सईद अख्तर का नाम इस सूची में बताया गया है। 
लखनऊ का लल्लू यादव अपराध की दुनिया का बड़ा नाम है। उस पर हत्या, हत्या का प्रयास, गैर-कानूनी कब्जे के केस दर्ज हैं। वह जेल में है। यहीं के बच्चू यादव के खिलाफ  जबरन वसूली और लूट सहित 25 मामले दर्ज हैं। फिलहाल वह फरार है। लखनऊ का जुगनू वालिया गैंगस्टर मुख्तार अंसारी का करीबी है। उसके खिलाफ  12 मामले दर्ज हैं। वह पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। प्रयागराज के धूमनगंज निवासी निहाल कुमार उर्फ  बच्चा पासी पर दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज हैं। फिलहाल वह फरार है।   गोरखपुर का राजन तिवारी 90 के दशक का कुख्यात माफिया प्रकाश शुक्ला का दायां हाथ रह चुका है। बिहार विधानमंडल का दो बार सदस्य रहा राजन 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुआ था तो हंगामा हुआ था। वहीं बलरामपुर से पूर्व सांसद और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता रिजवान ज़हीर के खिलाफ  हत्या और दंगा जैसे गंभीर आरोपों सहित 14 मामले दर्ज हैं। गोरखपुर के अपराधी विनोद उपाध्याय के खिलाफ  कई थानों में जबरन वसूली, हत्या का प्रयास और ब्लैकमेल करने समेत 25 शिकायतें दर्ज हैं। वह फतेहगढ़ जेल में है। 
बसपा के नेता  सुधीर सिंह का बड़ा आपराधिक रिकार्ड है। वहीं संजीव द्विवेदी उर्फ  रामू द्विवेदी, राकेश यादव, विनोद कुमार उपाध्याय, देवेन्द्र सिंह जैसे अपराधी इस क्षेत्र से सूची में शामिल हैं। मेरठ मंडल के उधम सिंह पर वेस्ट उत्तर प्रदेश के इलाकों में जबरन वसूली, डकैती, लूटपाट और हत्या के आरोप हैं। उधम सिंह अब सलाखों के पीछे है। मेरठ का योगेश भदौरा गुनाह की दुनिया जाना माना नाम है। योगेश उधम सिंह का मुख्य विरोधी है। वह एक गिरोह का सरगना है। उसके खिलाफ  गैंगस्टर, हत्या, अपहरण और डकैती जैसे  40 गंभीर मामले दर्ज  हैं।  इन दिनों सिद्धार्थ नगर जेल में बंद है। कुख्यात बदन सिंह उर्फ  बद्दो के खिलाफ  हत्या, रंगदारी, चोरी और डकैती के 40 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। राज्य के शीर्ष 25 माफिया में बद्दो का नाम भी शामिल है। उस पर 2.5 लाख का इनाम घोषित है। हाजी याकूब कुरैशी पशु कटान के अवैध कारोबार से जुड़ा एक बड़ा नाम है। 
कई बड़े माफिया राजनीतिक संरक्षण के कराण योगी सरकार की माफिया विरोधी मुहिम से कितना प्रभावित होंगे, यह कह पाना मुश्किल है। लेकिन इन सभी पर योगी सरकार मानसिक दबाव बनाने में कामयाब रही है। यह कार्य अंगारों पर चलने सरीखा है। देखना है कि योगी सरकार की यह माफिया विरोधी मुहिम कितनी सफल होती है। 

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