विनाश के कगार पर पाकिस्तान

पाकिस्तान एक बार फिर गहन संकट में फंस गया है। इससे पहले भी यह राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक टकराव के कारण भंवर में फंसा रहा है। अब इमरान खान की गिरफ्तारी ने आग में घी डालने का काम किया है। नि:सन्देह वह देश के एक लोकप्रिय नेता हैं। गत लम्बी अवधि से उन्होंने बड़े राजनीतिक दंगल भी लड़े हैं। उनके द्वारा अपनी बनाई गई पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इन्स़ाफ ने एक बार तो ज्यादातर पाकिस्तानी लोगों को अपनी ओर कर लिया था परन्तु उनमें परिपक्वता तथा गम्भीरता की कमी होने के कारण अक्सर उन्हें राजनीतिक क्षेत्र में नमोशी झेलनी पड़ी है। यदि वह अपनी पार्टी तथा कुछ अन्य पार्टियों को साथ मिला कर देश की सत्ता पर काबिज़ हो भी गये थे, तो भी वह देश में स्थिरता नहीं ला सके। उनकी अपनी पार्टी के सदस्यों तथा उनकी सहयोगी पार्टियों ने ही उनके विरुद्ध बग़ावत कर दी थी। उन्होंने विपक्षी दलों के नेताओं को इस सीमा तक हाशिये पर धकेल दिया था कि उनमें से ज्यादातर उनके दुश्मन बन गये।
अंतत: वहां देश की बहुसंख्य पार्टियों ने एकजुट होकर तथा उनकी अपनी पार्टी के सदस्यों द्वारा की गई ब़गावत के कारण, उन्हें सत्ता से बाहर होना पड़ा। इसके बाद भी उन्होंने लगातार ब़गावत का ध्वज उठाये रखा। गठबंधन वाली नई सरकार बनने के बाद उन्होंने एकाएक चुनाव करवाने के लिए दबाव डालना शुरू कर दिया। अपनी सरकार का तख़्ता पलटने के लिए सेना के साथ-साथ अमरीका तथा अन्य देशों को भी उन्होंने ज़िम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया। नई सरकार द्वारा उनके विरुद्ध दर्ज किये गये ज्यादातर मुकद्दमों का कानूनी ढंग से सामना करने के स्थान पर उन्होंने ब़गावती स्वर अलापना जारी रखा। पंजाब तथा बलोचिस्तान सूबों में उनकी पार्टी की ही सरकार बनी हुई थी। उन्होंने स्वयं ही पहले अपने असैम्बली सदस्यों से त्याग-पत्र दिला कर सब कुछ उलट-पुलट कर दिया। फिर पुन: इन दोनों प्रांतों में नये चुनाव करवाने के लिए संघीय सरकार पर दबाव डालना शुरू कर दिया। संघीय सरकार का तख़्ता पलटने के लिए उन्होंने बार-बार अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं तथा लोगों को सम्बोधित होकर भड़काऊ बयान दिये, जिससे पहले ही देश में फैली अशांति में और वृद्धि हो गई। देश में भुखमरी की स्थिति पैदा होने के कारण भी ज्यादातर लोग शाहबाज़ शऱीफ की केन्द्र सरकार से नाराज़ हो गये। इस विरोध की भावना को इमरान खान ने अपने बयानों तथा कार्रवाइयों के साथ और भी भड़का दिया। कुछ दर्ज किये गये मामलों के आधार पर एक सुनियोजित योजना के तहत जिस तरह सरकार द्वारा उन्हें गिरफ्तार किया गया, वह भी बड़ी भड़काहट पैदा करने वाली कार्रवाई ही सिद्ध हुई। इस सब कुछ के परिणाम-स्वरूप इस देश के हालात और भी बिगड़ते दिखाई देने लगे हैं।
पाकिस्तान परमाणु हथियारों से लैस भारत का पड़ोसी देश है। आज वह विश्व भर के आतंकवादियों का भी शरण स्थल बन चुका है। उसकी आर्थिकता बुरी तरह डावांडोल हो गई है। यहां तक कि उसे और ऋण देने से उसके निकटवर्ती मित्र चीन तथा सऊदी अरब भी पीछे हटने लगे हैं। विश्व भर की आर्थिक सहायता देने वाली संस्थाओं ने भी उससे मुंह मोड़ लिया है। उनका यह मानना है कि आर्थिक मुहाज़ पर कोई भी और नई शुरुआत करने से पूर्व पाकिस्तान को अपने देश के अति बिगड़े हालात को ठीक करना होगा। आतंकवादियों के अड्डों को खत्म करना होगा। सेना को दूसरे देशों के प्रति अपनी नीतियों में सुधार करना होगा, परन्तु इस तरह प्रतीत होता है कि पैदा हुई इन बड़ी उलझनों से इस देश का बाहर निकलना बेहद कठिन है, क्योंकि इमरान खान जैसे बड़बोले राजनीतिज्ञ इस अत्यधिक बिगड़ी स्थिति को और भी खराब करने के भागीदार बन रहे हैं। इस देश के अस्तित्व में आने से लेकर अब तक ज्यादातर समय इस पर किसी न किसी रूप में सेना का शासन ही रहा है। अब एक बार फिर हालात उसी ओर जाते दिखाई दे रहे हैं। नि:सन्देह जहां आज यह देश विनाश के कगार पर खड़ा दिखाई दे रहा है, वहीं इसके करोड़ों लोग भाग्यहीन बने दिखाई देते हैं, जिनका कोई भी कसूर न होने के बावजूद उन्हें आज अपने ही देश में नर्क भोगने के लिए विवश होना पड़ रहा है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द