कांग्रेस की जीत से बंधी विपक्षी एकता की उम्मीद

जैसी की भविष्यवाणियां की गयी थीं कि कर्नाटक कांग्रेस के पास वापस चला गया और सत्तारूढ़ भाजपा पर इसका शानदार अंतर न केवल मज़बूत सत्ता-विरोधी कारक को दर्शाता है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सभी गंभीर प्रयासों की विफलता को भी दर्शाता है, जिसमें विशाल रोड शो शामिल हैं। राज्य में तीसरी ताकत एच.डी. देवेगौड़ा की जद (एस) ने भी ज़मीन खो दी है। अतीत में जद (एस) ने अस्थिर कांग्रेस सरकारों के गठन और हार में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। यह देखा जाना बाकी है कि कर्नाटक के मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व वाली कांग्रेस कितनी समझदारी से एक स्थिर भ्रष्टाचार मुक्त सरकार प्रदान करेगी। आज के समय में जब 2024 के लोक सभा चुनाव में एक साल से भी कम समय शेष रह गया है, भाजपा के लिए कर्नाटक के नुकसान के उसके राष्ट्रीय चुनाव के लिए गंभीर निहितार्थ हैं, जो वर्तमान में सर्वोच्च राष्ट्रीय सत्ताधारी पार्टी है। इसने दक्षिण में अपनी शक्ति और प्रभाव के क्रमिक विस्तार के लिए कर्नाटक में अपना पांव जमाने की कोशिश की थी ताकि वह अन्य दक्षिणी राज्यों में प्रवेश पा सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में तमिलनाडु और केरल जैसे राज्यों में अधिक प्रभावी उपस्थिति के साथ भाजपा की भूमिका को बेहतर करने के लिए समय बिताया था ताकि पार्टी लोकसभा चुनावों में अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने के लिए खुद को दो-तिहाई बहुमत दे सके और हिन्दू राष्ट्र के लिए अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को लागू कर सके।  कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक के लोगों को भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को विशाल जनादेश देने के लिए धन्यवाद दिया। खड़गे ने जिस तरह लड़ाई जीतने की चुनौती को स्वीकार किया और जिस तरह की कार्यशैली अपनायी उसकी लोगों ने प्रशंसा की। चुनाव परिणाम के अनुसार कांग्रेस को 135 सीटें मिलीं जो पिछले चुनाव के मुकाबले 55 अधिक थे जबकि सत्तारूढ़ भाजपा ने 66 सीटें जीतीं और इस प्रकार वह अपनी 38 सीटें हार गयी।  पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि लोग ऐसी सरकार चाहते हैं जो अपने वायदों को पूरा करे। उन्होंने कहा कि कर्नाटक का जनादेश प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और भाजपा अध्यक्ष के खिलाफ  था। कांग्रेस को 60 प्रतिशत से अधिक मत मिले। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कर्नाटक के लोगों को पार्टी को शासन करने हेतु विशाल जनादेश देने के लिए धन्यवाद दिया। दूसरी ओर पार्टी के नेताओं ने उनकी भी प्रशंसा की तथा कांग्रेस के नेताओं और अन्य लोगों ने उनके दृष्टिकोण को गंभीरता से लिया।श्री खड़गे ने कर्नाटक मतदान से कुछ दिन पहले कहा था कि लोग ‘40 प्रतिशत कमीशन सरकार’ को दंडित करने के अवसर की तलाश कर रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि कर्नाटक में कांग्रेस ने शुरू से ही एक एकीकृत अभियान चलाया था। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार भाजपा की चाहे जो भी विफलता रही हो, कांग्रेस सरकार दो प्रतिस्पर्धी नेताओं में से एक संभवत: सिद्धारमैया के नेतृत्व में कीमतों और बेरोज़गार युवाओं के मुद्दों को उच्च प्राथमिकता देगी।
अब क्या कर्नाटक चुनाव के नतीजे विपक्षी नेताओं को एक प्रभावी भाजपा विरोधी गठबंधन बनाने की रणनीति बनाने के लिए संकेत देते हैं? बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार देश भर में सभी विपक्षी दलों के नेताओं से मिल रहे हैं और कर्नाटक चुनाव खत्म होने के बाद अब पटना में मिलने की योजना बना रहे हैं। श्री कुमार पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, तमिलनाडु और तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों से भी मिल चुके हैं। भाजपा विरोधी खेमे में अपना सही मोर्चा सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस अब अन्य विपक्षी दलों के साथ सौदेबाजी करने के मामले में पहले से कहीं अधिक मज़बूत स्थिति में है। विपक्षी गठबंधन की रणनीति से संबंधित भावी घटनाक्रम चाहे जो हो, भाजपा के अप्रत्याशित पतन के साथ कर्नाटक के चुनाव भारत की संवैधानिक लोकतंत्र और धर्म-निरपेक्षता के पालन के लिए नए सिरे से राजनीतिक प्रतिबद्धता में एक गति प्रदान करेगा।
(संवाद)