बिखरते कुनबे से कमज़ोर होता राजग

कहने को तो केंद्र में भाजपा नीत राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की सरकार चल रही है। मगर सरकार में शामिल दलों की सूची देखें तो राजग के नाम पर इक्का-दुक्का छोटे दलों को छोड़कर कोई भी बड़ी पार्टी केंद्र सरकार में शामिल नहीं है। कभी देश के अधिकांश बड़े दल राजग का हिस्सा थे। मगर आज स्थिति उसके विपरीत हो गई है।
1998 में कांग्रेस से मुकाबला करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस विरोधी राजनीतिक दलों को एक छतरी के नीचे लाने के लिए अटल बिहारी बाजपेयी की अध्यक्षता में राजग का गठन किया था। जॉर्ज फर्नांडिस को इसका संयोजक बनाया गया था। 1998 के लोकसभा चुनाव से पूर्व गठित राजग में शामिल 16 दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था और केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। जो मात्र एक साल बाद ही अन्नाद्रमुक के समर्थन वापस लेने से गिर गई थी। 1999 में फिर अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग की सरकार बनी जो 2004 तक चली थी। गठन के समय राजग में छोटे-बड़े कुल 16 राजनीतिक दल शामिल थे। 1999 के चुनाव में 21 दल, 2004 में 12 दल, 2009 में 8 दल, 2014 में 23 दल व 2019 में 20 राजनीतिक दल राजग में शामिल होकर एक साथ चुनाव लड़े थे।
मगर अब राजग कमज़ोर हो गया है। राजग में शामिल अधिकांश बड़े राजनीतिक दल भाजपा से गठबंधन तोड़ कर अलग हो गए हैं। वर्तमान में राजग में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 13 राजनीतिक दल शामिल हैं, जिसमें भी बहुत-से दल नाममात्र ही हैं। राजग के कुनबे की बात करें तो इसमें भाजपा के अलावा अपना दल (सोनेलाल), ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन, नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी, नेशनल पीपुल्स पार्टी, मिज़ो नेशनल फ्रंट, नागा पीपुल्स फ्रंट, लोक जनशक्ति पार्टी, शिवसेन (शिंदे), सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा, अखिल भारतीय एनआर कांग्रेस, अन्नाद्रमुक, पीएमके, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ  इंडिया (अठावले) जैसे दल शामिल हैं।
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद शिरोमणि अकाली दल, जनता दल (यूनाइटेड), शिवसेना, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी जैसे कई दलों ने भाजपा का साथ छोड़ दिया है। राजग छोड़ने वाले सभी दलों ने भाजपा नेतृत्व पर आरोप लगाया कि वह अपनी मनमानी करता है। राजग नाम का रह गया है। सारे फैसले भाजपा नेतृत्व ही करता है। 
2019 में शिवसेना ने राजग में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। मगर बाद में राज्य विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के पद को लेकर विवाद होने के बाद शिवसेना ने राजग छोड़कर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी व कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बना ली थी। हालांकि भाजपा ने शिवसेना में ही फूट डाल कर एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया। इसी तरह बिहार में मुकेश साहनी की वीआईपी पार्टी के तीनों विधायकों को तोड़कर भाजपा में विलय करा लिया। उत्तर प्रदेश में भी ओम प्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी राजग से बाहर निकल गई थी।
कभी तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की द्रुमक, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजू जनता दल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस, तेलुगू देशम पार्टी, पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की जनता दल (सेकुलर), तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की तेलंगाना राष्ट्र समिति, बिहार में उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी, हरियाणा जनहित कांग्रेस, तमिलनाडु की डीएमडीके, पीएमके, महाराष्ट्र का स्वाभिमानी पक्ष, बिहार में जीतन राम मांझी की हम पार्टी राजग का हिस्सा थी। आज ये सभी पार्टियां भाजपा से दूर जा चुकी हैं।
शिरोमणि अकाली दल और राजस्थान की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने तो किसान आंदोलन के दौरान केंद्र सरकार की नीतियों से खफा होकर राजग को छोड़ा दिया था। शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर ने केंद्रीय मंत्री का पद भी छोड़ दिया था। उसके बाद पंजाब में हुए विधानसभा चुनाव में भी भाजपा व शिरोमणि अकाली दल ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। 2019 में राजस्थान की नागौर सीट हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी को देकर भाजपा ने उससे समझौता किया था। मगर अब हनुमान बेनीवाल भी अपनी एकला चलो की नीति पर काम कर रहे हैं। वह राजस्थान में खुलकर भाजपा के खिलाफ बोल रहे हैं और भाजपा को उखाड़ने में लगे हुए हैं। वर्तमान में देश के दस प्रदेशों में भाजपा के मुख्यमंत्री हैं व 5 प्रदेशों में भाजपा नीत गठबंधन के मुख्यमंत्री शासन कर रहे हैं। वही देश के चार प्रदेशों में कांग्रेस व 3 प्रदेशों में कांग्रेस नीत संप्रग के मुख्यमंत्री शासन कर रहे हैं।
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को हरियाणा में बहुमत नहीं मिलने पर वहां जननायक जनता पार्टी के दुष्यंत चौटाला को उप-मुख्यमंत्री तथा कुछ निर्दलीय विधायकों को मंत्री बनाया गया था। उत्तर प्रदेश में अपना दल व निषाद पार्टी के विधायक भी मंत्रिमंडल में शामिल है। असम में असम गण परिषद व यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल सरकार में शामिल है। गोवा में भाजपा को पिछले विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। इस कारण वहां महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी व निर्दलीयों के सहारे भाजपा की सरकार चल रही है। त्रिपुरा में इंडिजिनियस पीपुल्स फ्रंट ऑफ  त्रिपुरा का एकमात्र विधायक शुक्ला चरण नोएतिया भी सरकार में शामिल है।
भाजपा जैसे-जैसे मज़बूत हो रही है, वैसे-वैसे ही राजग गठबंधन कमज़ोर होता जा रहा है। भाजपा अपने अधिकांश पुराने साथियों की राजग से विदाई कर चुकी हैं। मगर 2024 के लोकसभा चुनाव में संघर्ष कड़ा होता देख भाजपा को फिर से राजग के साथियों की याद आने लगी है। इसीलिये भाजपा फिर अपने पुराने साथियों को राजग में लाने का प्रयास कर रही है, लेकिन भाजपा की फितरत से वाफिक दल शायद ही फिर राजग में लौटे। फिलहाल तो ऐसा ही लग रहा है।

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