उप-कप्तान बन कर अजिंक्य रहाणे की धमाकेदार वापसी

क्रिकेट में उप-कप्तान की भूमिका को अक्सर कोई खास महत्व नहीं दिया जाता है; क्योंकि सारा फोकस कप्तान पर होता है। इसलिए उप-कप्तान नियुक्त करते समय अधिक विचार-विमर्श भी नहीं किया जाता है। लेकिन कप्तान व उप-कप्तान की जोड़ी की अहमियत को भारतीय कोच राहुल द्रविड़ से बेहतर शायद ही कोई दूसरा क्रिकेटर समझता हो। वह जिस तरह से सौरव गांगुली की अनुपस्थिति में नेतृत्व करते हुए बेहतरीन नतीजे देते थे, वह सब रिकॉर्ड बुक्स का हिस्सा है। इसी तरह अजिंके रहाणे भी विराट कोहली के लिए शानदार उप-कप्तान थे। जब उन्हें खराब फॉर्म के कारण उप-कप्तानी से हटाया गया तो भारतीय टीम को बहुत नुकसान हुआ। इस संदर्भ में दो प्रमुख उदहारण दिए जा सकते हैं।
दक्षिण अफ्रीका के 2021-22 के दौरे पर जब वांडरर्स में खेले गये दूसरे टेस्ट में कोहली उपलब्ध नहीं थे तो भारत को अच्छे उप-कप्तान की कमी महसूस हुई। रहाणे टीम में थे, लेकिन उप-कप्तान नहीं थे और महत्वपूर्ण पलों में के.एल. राहुल उचित निर्णय न ले सके। भारत टेस्ट और सीरीज दोनों हार गया। इसी प्रकार इंग्लैंड के विरुद्ध पांचवें स्थगित टेस्ट (जुलाई 2022) में भारत को स्मार्ट कप्तान की कमी महसूस हुई। जब रोहित शर्मा बीमार हो गये तो नेतृत्व की ज़िम्मेदारी जसप्रीत बुमराह को दी गई। भारत यह टेस्ट हार गया और 2-1 की बढ़त लेने के बावजूद यह सीरीज 2-2 से बराबर छूटी। लोग यह सोचने के लिए मजबूर हो गये कि अगर नौसिखिया कप्तान की जगह रहाणे कप्तानी कर रहे होते तो नतीजा क्या होता?
अगर ये दोनों नतीजे भारत के पक्ष में चले जाते तो द्रविड़ जानते हैं कि बतौर कोच उनके कार्यकाल का नैरेटिव कुछ अधिक बेहतर दिखायी देता। इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि रहाणे में कप्तानी के प्रभावी गुण हैं। बतौर कप्तान उनकी सफलता का रिकॉर्ड उनके स्वाभाविक निर्णयों को प्रतिविम्बित करता है। कोहली की ़गैर-मौजूदगी में रहाणे ने छह टेस्ट्स में कप्तानी की है, जिनमें से चार में जीत हासिल की है और दो टेस्ट ड्रा रहे हैं, यानी वह कोई टेस्ट हारे नहीं हैं। बहरहाल, रहाणे को श्रीलंका के विरुद्ध 2022 की घरेलू सीरीज से ड्राप कर दिया गया था और अधिकतर खेल पंडितों ने उनके टेस्ट करियर पर विराम लगने की घोषणा कर दी थी, लेकिन रहाणे ने सभी अटकलों पर ही विराम लगाते हुए शानदार वापसी की और अब वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में उनके अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें वेस्टइंडीज दौरे (12 से 24 जुलाई) के दो टेस्टों के लिए उप-कप्तान बनाया गया है। अनुमान शुभमन गिल को उप-कप्तान बनाये जाने का था, लेकिन लगता यह है कि रहाणे को निकट भविष्य में रोहित शर्मा की जगह टेस्ट कप्तान बनाने की योजना है, इसलिए उन्हें फिलहाल उप-कप्तान बनाया गया है। गौरतलब है कि श्रेयस अय्यर के चोटिल होने के कारण ही रहाणे को वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में खेलने का अवसर मिला था।
अपनी विनम्रता और चरित्र के कारण रहाणे को पूरी टीम से सम्मान मिलता है। ऑस्ट्रेलिया (2020-21) में ही उन्होंने दिखा दिया था कि वह उप-कप्तान के लिए उचित चयन क्यों हैं? यह बात कौन भूल सकता है कि मुख्य खिलाड़ियों के चोटिल होने के कारण उन्होंने नेट गेंदबाज़ों के सहारे कैसे सीरीज जीती थी। वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए भारत ने उप-कप्तान घोषित नहीं किया था। अगर रहाणे उप-कप्तान होते तो रोहित शर्मा को उस समय कोई बेहतर सुझाव अवश्य देते जब स्टीव स्मिथ व ट्रेविस हेड की जोड़ी मैच को भारत की पकड़ से दूर कर रही थी। ऑस्ट्रेलिया की टीम में पांच खब्बू बैटर्स थे। ऐसे में ऑ़फ-स्पिनर आर अश्विन को न खिलाना भारत के लिए घातक सिद्ध हुआ। टूर पर आमतौर से उप-कप्तान टीम प्रबंधन का हिस्सा होता है और अंतिम 11 चुनने में उसकी भी भूमिका होती है। अगर रहाणे उप-कप्तान होते तो वह निश्चित रूप से अश्विन के चयन पर बल देते। ध्यान रहे कि 2020-21 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रहाणे ने अश्विन व वाशिंगटन सुंदर की ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ी का शानदार इस्तेमाल किया था, जिससे भारत सीरीज जीतने में सफल रहा। ऑ़फ स्पिन के सामने ऑस्ट्रेलिया बैटर्स की कमजोरी ऐतिहासिक है,जिसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध ई प्रसन्ना के 13 टेस्ट में 57 विकेट हैं, शिवलाल यादव के 13 टेस्ट में 55 विकेट हैं, हरभजन सिंह के 18 टेस्ट में 95 विकेट हैं और अश्विन के 22 टेस्ट में 114 विकेट हैं। 2020-21 के दौरे पर अश्विन ने तीन टेस्ट में 13 विकेट लिए थे, जिसमें उल्लेखनीय यह था कि 5 पारियों में उन्होंने स्मिथ को 3 बार आउट किया था। अश्विन के चोटिल होने के बाद रहाणे ने वाशिंगटन सुंदर का अच्छा उपयोग किया, जिन्होंने गाबा की ऐतिहासिक जीत में 4 विकेट लिए थे। अश्विन की अनुपस्थिति में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल में दोनों स्मिथ व हेड ने शतक जड़े। 2020-21 की सीरीज में अश्विन ने जब हेड को आउट किया तो हेड को दो टेस्ट बाद टीम से ही ड्राप कर दिया गया था।
शांत स्वभाव के रहाणे खिलाड़ी के रूप में अपने गेम पर फोकस करते हैं, लेकिन नेतृत्व की ज़िम्मेदारी मिलते ही वह मैदान में स्पष्ट विचारों के साथ लाइव वायर बन जाते हैं। उनका यह गुण सबसे पहले 2017 में ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध धर्मशाला के निर्णायक टेस्ट में देखने को मिला था। वह ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार में से तीन टेस्ट जीत चुके हैं,चौथा टेस्ट ड्रा रहा था। वेस्टइंडीज सीरीज के साथ वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का नया चक्र आरंभ हो गया है,जिसका फाइनल 2025 में खेला जायेगा, तब शायद रहाणे ही भारत के कप्तान होंगे।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर