भारत में विश्व के वाहन एक प्रतिशत किन्तु हादसे 11 फीसदी

 

भारत में होने वाले सड़क हादसों में हर साल लाखों की संख्या में लोग अपनी जान गवां देते हैं। विश्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार भारत में दुनिया के केवल एक प्रतिशत वाहन हैं जबकि सड़क हादसे 11 फीसदी होते हैं। हमारे सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी गाहे बगाहे  देश की सड़कों की तुलना अमरीका की सड़कों से करते रहते हैं। तुलनात्मक अध्ययन के दौरान गडकरी यह नहीं बताते है की सड़कों पर होने वाले हादसों में हम कहां खड़े है। 
पूरी दुनिया में हर साल लगभग 13.5 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मरते हैं। यह बहुत बड़ी संख्या है। विश्व में हर दिन लगभग 3,000 लोग सड़कों पर दम तोड़ते हैं। दुनिया भर में सड़क पर होने वाली 100 मौतों में 11 भारत में होती हैं। इनमें लगभग 60 प्रतिशत युवा होते हैं। यह बहुत चिन्ता की बात है। 
 विश्व के नेताओं और प्रतिनिधियों ने 2020 में एक लक्ष्य निर्धारित किया था कि 2030 तक सड़क हादसे में मौतों की संख्या को 50 प्रतिशत तक कम किया जाए। इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में भारत भी शामिल था। दुर्भाग्य से ऐसा हो नहीं पाया। आंकड़ों की बात करे तो 2017 और 2018 में सड़क दुर्घटनाओं में हुई मौतों की संख्या में गिरावट आई। साल 2020 में भी कोविड महामारी के कारण संख्या में गिरावट आई थी, लेकिन 2021 में यह संख्या फिर से बढ़कर 1.53 लाख हो गई, वहीं 4.5 लाख लोग घायल हुए थे। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली कुल मौतों में नशीली दवाओं एवं शराब के नशे में ड्राइविंग से होने वाली मौतों का हिस्सा 1.9 प्रतिशत है। सड़क पर लगभग 90 प्रतिशत मौतें तेज़ गति, गलत ओवरटेकिंग और खतरनाक ड्राइविंग के कारण हुईं।
भारत ही नहीं विश्व भर में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या बहुत ज्यादा है। भारत में सड़कों और हाईवे की संख्या बहुत तेज़ी से बड़ी है। सड़क दुर्घटनाओं के ग्राफ  में भी तेज़ी से वृद्धि हो रही है। भारत में कोई दिन नहीं ऐसा नहीं जाता जब देश के किसी भाग में कोई सड़क हादसा न होता हो। ऐसा लगता है जैसे सड़कें आतंकी हो गयी है और हादसे थमने के नाम नहीं ले रहे है। देश में मोटर वाहन कानून 2019 लागू होने के बाद भले ही सरकार के राजस्व में वृद्धि हुई हो मगर दुर्घटनाओं में जान गंवाने वालों की संख्या में कमी नहीं आयी। सख्त कानून का उन पर कोई असर नहीं हुआ है। 
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के सड़क हादसों के आंकड़ों पर गौर करें तो पाएंगे देश में लोग जान हथेली पर लेकर चलते हैं।  अब तो सड़कों पर पैदल चलने वाले लोग भी सुरक्षित नहीं हैं। इन सभी दुर्घटनाओं के पीछे मुख्य कारण शराब एवं मादक पदार्थों का इस्तेमाल, वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, वाहनों में क्षमता से अधिक लोगों का सवार होना, निर्धारित गति से अधिक रफ्तार से गाड़ी चलाना और थकान आदि होना हैं। महानगरों और नगरों में किसी चौराहे पर लाल बत्ती को धत्ता बता कर सड़क पार कर जाना, गलत तरीके से ओवरटेकिंग, बेवजह हार्न बजाना, निर्धारित लेन में न चलना और तेज़ गति से गाड़ी चला कर यातायात नियमों की अवहेलना करना आज के युवकों का शौक बन गया है। 
सड़क सुरक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है। आम जनता में खास तौर पर युवा वर्ग में अधिक जागरुकता लाने के लिये इसे शिक्षा, सामाजिक जागरुकता आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों से जोड़ा गया है। सड़क दुर्घटना, चोट और मृत्यु आज के दिनों में बहुत आम हो चला है। सड़क हादसों को कम करने के लिये  सरकार ने विभिन्न प्रकार के यातायात नियम बनाये हैं। लोगों को इन नियमों का पालन कर स्वयं को और दूसरों को सुरक्षित रखना चाहिए।      

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