सज़ा पर रोक के बाद राहुल गांधी का राजनीतिक कद बढ़ा

कर्नाटक की जीत तथा ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की सफलता के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का राजनीतिक कद अवश्य बढ़ा है और वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ विपक्ष के चेहरे के रूप में उभरे हैं। ‘भारत जोडो यात्रा’ का प्यार और भाइचारे का संदेश राजनीतिक विकल्प के रूप में उभरा है, जिससे भाजपा को हराया जा सकता है। राहुल गांधी के ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दूसरे सीज़न की शुरुआत से पहले राहुल ने खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के दृष्टिगत एशिया के सबसे सब्ज़ी बड़े थोक बाज़ारों में एक आज़ादपुर मंडी का दौरा किया था। उन्होंने बाज़ार में सब्ज़ी विक्रेताओं से बातचीत की। उनका आज़ादपुर दौरा सब्ज़ियों की बढ़ती कीमतों के संदर्भ में बड़ा महत्वपूर्ण रहा है। सब्ज़ियों की कई किस्में 100 रुपये प्रति किलो से अधिक कीमत पर बिक रही हैं। यहां तक कि राष्ट्रीय राजधानी के कई क्षेत्रों में टमाटर 200 रुपये प्रति किलो से भी अधिक कीमत पर बिक रहा है। 
पिछले महीने उनका हरियाणा के सोनीपत में खेतों का दौरा, जहां उन्होंने धान लगाया था और दोपहर के खाने के लिए महिला किसानों ने अपने घर बुलाया था, को लेकर हर तरफ प्रशंसा हुई। ट्रक चालकों की समस्याओं को समझने के लिए उन्होंने मई में हरियाणा के मुरथल से अम्बाला तक ट्रक की सवारी की थी। राहुल ने कर्नाटक के बेंगलुरु में निजी नौकरी करने वाले लोगों के साथ मुलाकात की और एक ‘डिलीवरी पार्टनर’ के साथ स्कूटी भी चलाई। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने मोदी उप-नाम संबंधी मानहानि के मामले में  सज़ा पर रोक लगा दी है तो लोकसभा सदस्य के रूप में उनकी अयोग्यता भी रद्द हो जाएगी, जिससे उन्हें लोकसभा में चुने गए सदस्य के रूप में अपना रुतबा वापस मिल गया है और इसके साथ ही उनका 2024 के लोकसभा चुनाव लड़ने का मार्ग भी प्रशस्त हो गया है।
आखिर किस ओर हैं शरद पवार 
एनसीपी संस्थापक शरद पवार द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ एक समारोह जहां उन्हें एक प्रतिष्ठित लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, में मंच साझा करने तथा उनसे हाथ मिलाने को लेकर हर तरफ से सवाल उठ रहे हैं। भाजपा के साथ समारोह में शामिल होने के उनके फैसले पर कांग्रेस, शिव सेना जैसी पार्टियों ने नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा कि इससे उनके खिलाफ लोगों में गलत संदेश गया है। ऐसे समय में जब बहुत-से विपक्षी दल राष्ट्रीय स्तर का महाविरोधी गठबंधन ‘इंडिया’, महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी जैसा विरोधी मोर्चा बना कर भाजपा के खिलाफ लड़ रहे हैं, पवार के कदम से हर कोई हैरान है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि शरद पवार अपने भतीजे अजित पवार, जो इस समय प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री हैं, को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने के लिए काम कर रहे हैं और ये दोनों लम्बे समय से इस खेल पर कार्य कर रहे हैं।  
अकेले चुनाव लड़ेगी बीआरएस 
तेलंगाना विधानसभा चुनाव से पहले मतदाताओं को आकर्षित करने की एक और कोशिश में बीआरएस सरकार ने कृषि ऋण माफी योजना को पूरा करने का फैसला किया है, जिसका वायदा उन्होंने पिछले चुनावों में किया था। मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राव ने अधिकारियों को 3 अगस्त से ऋण माफी योजना पुन: शुरू करने का निर्देश दिया है और इसे डेढ़ महीने में पूरा करने की समय सीमा भी तय की है। उन्होंने कहा कि पहले से ही माफ किये गये ऋण के बाद पैंडिंग (शेष) कृषि ऋण की माफी के लिए 19000 करोड़ रुपये की और ज़रूरत है। इस दौरान केसीआर ने यह भी स्पष्ट किया है कि उनकी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) या विपक्षी दलों के नए बने गठबंधन ‘इंडिया’ का समर्थन नहीं करेगी। 
नितीश का एकता मार्च
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले जनता दल (यू) ने सामाजिक एकता तथा साम्प्रदायिक सद्भावना के उद्देश्य से अल्पसंख्यक भाइचारे से संबंधित मतदाताओं से सम्पर्क स्थापित करने के लिए बिहार में एक यात्रा शुरू की है। यह यात्रा जिसे ‘कारवां-ए-इतेहाद तथा भाइचारा यात्रा’ (एकता और भाइचारे के लिए मार्च) कहा जाता है, एक अगस्त को पश्चिम चम्पारन के नर्कटियागंज से शुरू हुई है। लगभग एक महीने तक चलने वाली यह यात्रा बिहार के 38 ज़िलों में से 27 ज़िलों को कवर करेगी, जहां भारी संख्या में मुस्लिम आबादी है। जनता दल (यू) के एमएलसी खालिद अनवर के नेतृत्व में निकाली जा रही यह यात्रा 2024 के चुनावों के लिए सम्भावित प्रधानमंत्री पद के चेहरे पर ज़ोर देती दिखाई दे रही है। 
जे.डी. (एस.) में मतभेद 
जे.डी. (एस.) नेता तथा कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी राज्य के हित में विपक्ष के रूप में भाजपा से मिल कर कार्य करने के अपनी पार्टी के फैसले के बाद दुविधा में हैं क्योंकि पार्टी सुप्रीमो व पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा ने 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के साथ किसी भी तरह के गठबंधन को खारिज कर दिया है और कहा है कि जे.डी. (एस.) 2024 के लोकसभा चुनाव स्वतंत्र रूप में लड़ेगी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) या इंडियन नैशनल डिवेल्पमैंट इन्क्लूसिव अलायंस (इंडिया) में शामिल होने का प्रश्न ही नहीं है। 
पार्टी अपनी ताकत को बढ़ाने तथा राजनीति क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रभाव डालने पर ज़ोर दे रही है और अपना विकल्प अंतिम समय तक खुला रखने की कोशिश करती भी नज़र आ रही है। (आई.पी.ए.)