विपक्षी दलों के खिलाफ  कार्रवाई में तेज़ी 

जैसे-जैसे लोकसभा के चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे विपक्षी पार्टियों के खिलाफ  केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई तेज़ होती जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी ने पिछले एक सप्ताह में विपक्ष शासित तीन राज्यों—पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और झारखंड में छापेमारी की। पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे की कम्पनी पर छापेमारी हुई तो छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार और ओएसडी के यहां छापा मारा गया। झारखंड में कारोबारियों के साथ-साथ कांग्रेस के एक मंत्री के बेटे के यहां छापमारी हुई। झारखंड में ईडी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लगातार पूछताछ के लिए बुला रही है। खनन, ज़मीन और शराब से संबंधित कथित घोटालों में सरकार से जुड़े कई लोगों पर शिकंजा कस रहा है। उधर बिहार में राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की सेहत थोड़ी सुधरी और वह सक्रिय हुए तो सीबीआई ने तुरंत सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर लालू प्रसाद की ज़मानत रद्द करने की अपील कर दी। तमिलनाडु में ईडी ने स्टालिन सरकार के मंत्री सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार किया है। केंद्रीय एजेंसियों की ऐसी कार्रवाइयों से विपक्ष को जितनी सहानुभूति मिल रही है, उसी अनुपात में विपक्षी नेताओं को भ्रष्ट और बेईमान साबित करने का संगठित अभियान भी तेज़ हो रहा है। सोशल मीडिया में सभी विपक्षी पार्टियों को भ्रष्ट बताया जा रहा है। इस अभियान का मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को साफ-सुथरा दिखाना और यह बताना है कि कार्रवाई से बचने के लिए ही सब मोदी को हराना चाहते हैं और एकजुट हो रहे हैं।


महाराष्ट्र में कौन कैसे मंत्री बना?

राजनीति में जितनी तरह के तमाशे हो सकते हैं, वे सब महाराष्ट्र में हो रहे हैं। शिव सेना के तमाशे के बाद एनसीपी का तमाशा अभी चल ही रहा है। इसी बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी के एक नेता ने एक कार्यक्रम में बहुत दिलचस्प बातें बताईं। विधानसभा में शिंदे की पार्टी के मुख्य सचेतक भरत गोगावले खुद मंत्री पद के दावेदार हैं। उन्हें पहली बार में मौका नहीं मिला। इस बारे में वह जनता को किस्से सुना रहे थे कि उन्हें मौका क्यों नहीं मिला। इसी सिलसिले में उन्होंने बताया कि क्या-क्या कारण बता कर लोग शिंदे सरकार में मंत्री बन गए। गोगावले ने बताया कि एक विधायक ने मुख्यमंत्री से कहा कि अगर वह मंत्री नहीं बनते हैं तो उनकी पत्नी खुदकुशी कर लेगी। 
सो, उनकी पत्नी की जान बचाने के लिए उन्हें मंत्री बना दिया गया। एक विधायक ने कहा कि अगर वह मंत्री नहीं बने तो उनके इलाके के बड़े भाजपा नेता नारायण राणे उनको खत्म कर देंगे। सो, खत्म किए जाने का डर दिखा कर उन्होंने दबाव बनाया और मंत्री बन गए। इसी तरह एक विधायक ने कहा कि अगर उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया तो वह विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे। सो, एक-एक सीट के लिए मारामारी के समय में कौन एक विधायक का इस्तीफा होने देता, इसलिए वे मंत्री बन गए। भरत गोगावले ने बताया कि ऐसे ही लोगों की वजह से वह खुद मंत्री नहीं बन पाए, लेकिन अगला विस्तार जब भी होगा तो वह मंत्री ज़रूर बनेंगे।

मुफ्त का अनाज लोकसभा चुनाव तक 

देश के करीब 80 करोड़ लोगों को मिलने वाला मुफ्त अनाज अगले साल के लोकसभा चुनाव तक मिलता रहेगा। मुफ्त में पांच किलो अनाज देने की योजना 31 दिसम्बर तक है, लेकिन इस अवधि को समाप्त होने से पहले ही बढ़ाया जा सकता है। गौरतलब है कि कुछ समय पहले इस योजना में बदलाव किया गया था। पहले प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत पांच किलो अनाज बिल्कुल मुफ्त में मिलता था जबकि पीडीएस योजना के तहत पांच किलो अनाज रियायती दर पर मिलता था। 
कुछ दिन पहले दोनों योजनाओं को मिला दिया गया और 10 की जगह सिर्फ  पांच किलो अनाज पूरी तरह से मुफ्त में देने का फैसला हुआ। योजना में बदलाव के बाद इसकी अवधि 31 दिसम्बर, 2023 तक तय की गई थी, लेकिन उसी समय कहा गया था कि इसे आगे बढ़ाया जाएगा। अभी पांच राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और उन राज्यों में भाजपा इस योजना का लाभ उठाने की कोशिश करेगी। लेकिन उसके बाद ऐसा नहीं हो सकता कि सरकार 31 दिसम्बर को योजना समाप्त हो जाने दे, क्योंकि अप्रैल-मई में लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं। इसलिए इस योजना को छह महीने के लिए बढ़ाया जाएगा। लेकिन 30 जून के बाद इस योजना का क्या होगा, कहा नहीं जा सकता है। 

कर्नाटक में ‘ऑपरेशन हस्त’

भाजपा के ‘ऑपरेशन लोटस’ से सर्वाधिक पीड़ित कांग्रेस अब खुद भी उसी तरह का ऑपरेशन चलाने जा रही है। बताया जा रहा है कि कर्नाटक में पार्टी ‘ऑपरेशन हस्त’ चलाएगी, जिसमें भाजपा और जेडीएस के कुछ विधायकों को तोड़ कर उन्हें कांग्रेस में शामिल कराया जाएगा। गौरतलब है कि भाजपा के ऑपरेशन लोटस की शुरुआत कर्नाटक से ही हुई थी। कर्नाटक पहला राज्य था, जहां यह प्रयोग हुआ था। राज्य में बी.एस. येदियुरप्पा की अल्पमत की सरकार 2008 में बनी थी। उसके बाद उन्होंने ऑपरेशन लोटस चलाया और कांग्रेस व जेडीएस के कुछ विधायकों से इस्तीफा करा कर उन्हें भाजपा की टिकट से लड़ाया और अपनी सरकार का बहुमत बनाया। उसके बाद भाजपा ने कई राज्यों में यह प्रयोग आजमाया। अब उसी कर्नाटक में कांग्रेस अपना ऑपरेशन हस्त चलाने जा रही है। ऑपरेशन लोटस की तर्ज पर ऑपरेशन हस्त में भाजपा और जेडीएस के कुछ विधायकों से इस्तीफा कराया जाएगा। हालांकि कांग्रेस के पास बहुमत की कमी नहीं है। इसके बावजूद कांग्रेस विधानसभा में अपनी स्थिति और मज़बूत कर लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा के कमज़ोर होने की धारणा बनवाना चाहती है। अगर अभी विधायकों के इस्तीफे होते हैं और उप-चुनाव में वे कांग्रेस की टिकट पर जीतते हैं तो उसका असर भाजपा की लोकसभा चुनाव की तैयारियों पर पड़ेगा। कहा जा रहा है कि बेंगलुरू इलाके के कई विधायक उप-मुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के सम्पर्क में हैं और पाला बदल सकते हैं।

शिकायत करना हुआ जोखिम भरा 

भाजपा नेताओं के खिलाफ  किसी तरह की शिकायत करना बहुत जोखिम भरा हो गया है। पिछले दिनों नागपुर के रहने वाले एक वकील सतीश उके के खिलाफ  संगठित अपराध से लड़ने के लिए बनाए गए बेहद सख्त कानून मकोका के तहत मुकद्दमा दर्ज किया गया है। सतीश उके ने महाराष्ट्र के उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ  चुनाव आयोग में शिकायत की थी। यह शिकायत पिछले चुनाव के समय हुई थी, जब जीत कर फडणवीस राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। सतीश उके ने शिकायत में कहा था कि फडणवीस ने अपने चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ  चल रहे आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं दी थी। इस शिकायत पर फडणवीस के खिलाफ  तो कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन अब जाकर सतीश उके के खिलाफ  मकोका के तहत मुकद्दमा दर्ज हो गया है। 
इसी तरह भाजपा की हरियाणा सरकार के मंत्री संदीप सिंह के खिलाफ  एक जूनियर एथलीट महिला कोच ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। आरोप लगने के नौ महीने बाद भी संदीप सिंह खट्टर सरकार में मंत्री हैं और पिछले दिनों आरोप लगाने वाली एथलीट कोच को निलम्बित कर दिया गया। महिला पहलवानों के यौन शोषण के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर भी कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है। उन पर मुकद्दमा चल रहा है लेकिन उसमें नियमित ज़मानत मिल गई है।