पाकिस्तान की कमर तोड़ने से ही निस्तेज होगा आतंकवाद

भारत में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन की शानदार एवं ऐतिहासिक सफलता से बौखलाया पाकिस्तान फिर औछी, अमानवीय एवं घटिया हरकतों पर उतर आया है और कश्मीर  में अशांति व दहशत फैलने के लिए आतंकवादियों की घुसपैठ में मदद कर रहा है। अनंतनाग में आतंकवादियों से मुठभेड़ में हमारी सेना के दो बड़े अधिकारी और जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक उपाधीक्षक शहीद हो गए। यह घटना पड़ोसी धर्म पर एक बदनुमा दाग ही नहीं, बल्कि हिंसा एवं उन्माद की चरम पराकाष्ठा है। आज पाकिस्तान जिस आर्थिक दुर्दशा एवं बदहाली का शिकार है, उसमें ऐसी अराजक कार्रवाइयों को प्रश्रय देना उसके लिये घोर अंधेरे का सबब ही बनेगा। शायद पाकिस्तान अब भी यह नहीं समझ पाया है कि पड़ोसियों से अच्छे संबंध कितने ज़रूरी है, इन्हें सुदृढ़ बनाकर ही विश्व राजनीति में अपनी राजनीतिक और आर्थिक स्थिति मज़बूत की जा सकती है। भारत की दुनिया में बढ़ती साख एवं उसकी मज़बूत होती आर्थिक स्थितिं में कोई भी समझदार देश उससे दुश्मनी की नहीं सोच सकता। दुनिया के सभी देश, भले ही वे महाशक्तियां ही क्यों न हो, भारत के साथ रहने में ही अपना भला देख रहे हैं, फिर पाकिस्तान क्यों नादानी पर उतर आया है। पाकिस्तान की जनता भी यह बात भली भांति समझ रही लेकिन उसके नीति निर्धारकों एवं शासकों को यह बात समझ नहीं आ रही। अब समय आ गया है कि पाकिस्तान को सबक सिखाने के लिए कुछ और कठोर कदम उठाए जाएं।
निश्चित ही अनंतनाग में आतंकियों से लड़ते हुए सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह, मेजर आशीष ढौंचक और जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी हुमायूं बट्ट का बलिदान देश के लिए एक बड़ी एवं अपूरणीय क्षति है। ये तीनों ही अफसर अपनी दिलेरी के लिए जाने जाते थे और उन्होंने अतीत में कई आतंकवाद विरोधी अभियानों को सफलतापूर्वक संचालित किया। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए और आतंकियों का चुन-चुनकर सफाया करने के साथ ही पाकिस्तान को नए सिरे से सबक सिखाया जाना चाहिए, क्योंकि जिस आतंकी गुट के आतंकियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में हमारे बहादुर अफसर वीरगति को प्राप्त हुए, वह भले ही स्वयं को स्थानीय बताता हो, लेकिन उसे पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन लश्कर का हर तरह का सहयोग एवं समर्थन हासिल है। पाकिस्तान की कमर तोड़ कर ही आतंकवाद के समाप्त किया जा सकता है, जिसमें मोदी सरकार ने काफी हद तक सफलता हासिल भी की है।
एक ऐसे समय जब कश्मीर में आतंकवाद अंतिम सांसें लेता दिख रहा है, वहां जनता शांति एवं अमन को महसूस कर रही है, विकास की गंगा वहां प्रवहमान हो रही है, जी-20 का आयोजन भी वहां शांति एवं सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ, तब अनंतनाग की घटना सतर्क एवं सावधान करने वाली है। जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद आतंकी घटनाओं पर जिस तरह काबू पाया गया है और क्षेत्र में सक्रिय आतंकियों का सफाय हो रहा है। इसी बौखलाहट के कारण पाकिस्तान समर्थित आतंकी किसी भी तरह कश्मीर को अशांत रखने के लिए हाथ-पांव मार रहे हैं। वे उन नये इलाकों में सक्रिय हो रहे हैं, जो लम्बे समय से उनकी गतिविधियों से मुक्त थे। वे दक्षिण कश्मीर के साथ जम्मू संभाग में भी अपनी गतिविधियां बढ़ा रहे हैं। इसका पता इससे चलता है कि इस वर्ष अभी तक राजौरी और पुंछ के सीमावर्ती जिलों में लगभग 30 आतंकी मारे जा चुके हैं। आतंकी सीमा पार से घुसपैठ के लिए भी नए रास्ते चुन रहे हैं। स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर के साथ पंजाब से लगती पाकिस्तान सीमा पर और चौकसी बढ़ाने की आवश्यकता है, आतंक-मुक्ति के अभियान को और अधिक सशक्त किये जाने एवं सख्ती बरतने की अवश्यकता है। इसी तरह जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के दबे-छिपे समर्थकों के खिलाफ  अभियान भी और तेज़ किया जाना चाहिए। इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि आतंकियों के सफाए हेतु  किसी अभियान में सुरक्षा बलों को क्षति न उठानी पड़े। नि:संदेह ऐसे अभियान जोखिम भरे होते हैं, लेकिन इस पर और सावधानी बरतनी होगी कि अपने वीर जवानों को खतरों से कैसे बचाया जाए? अतीत में आतंक विरोधी कुछ अभियान ऐसे रहे हैं, जिनमें आतंकियों का शीघ्र सफाया करने के प्रयत्न में हमारे जवानों को क्षति उठानी पड़ी। हमें आतंकियों का खात्मा भी करना है और अपने जवानों की जीवन-सुरक्षा भी करनी है, ऐसा करते हुए ऐसा सुरक्षा चक्र बनाया जाना चाहिए, जिससे आतंकी भविष्य में इस तरह का दुस्साहस न कर सकें। खुफिया रिपोर्ट से मिल रही जानकारी के अनुसार पाकिस्तानी सेना की बेचैनी को गंभीरता से समझना होगा। 
आतंकियों के घटते मनोबल को वापस लाने के लिए पाकिस्तानी सेना लगातार बड़े षड्यंत्र एवं हमले करने का दबाव बना रही है और इसके लिए आतंकियों को विशेष कमांडो ग्रुप समेत हर तरह से मदद दे रही है। पाकिस्तानी सेना ने चीन से प्राप्त हथियार और अन्य सैन्य साधन भी आतंकियों को उपलब्ध कराए हैं, जिनमें नाइट विजन कैमरे भी शामिल हैं। इन उपकरणों की मदद से ही उन्हें रात के अंधेरे में भी हमला करने और भागने में आसानी होती है।भले ही भारत शांति, सह-जीवन एवं अहिंसा में विश्वास करता है, लेकिन उस पर आघात करने वालों की जब अति हो जाती है तो वह हथियार उठाकर, भीतर घुस कर वार करना एवं बदला लेना भी जानता है। जब कश्मीर में समग्र विकास की धारा चल पड़ी है, तब जो तत्व अमन-चैन एवं विकास को चुनौती दे रहे हैं, उन्हें तो करारा जबाव देना ही चाहिए। 


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