सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग घातक

हाल में ही हुए एक शोध के अनुसार, सोशल मीडिया की बढ़ती लत हमारे शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालती है। सोशल मीडिया के अधिक इस्तेमाल से व्यक्ति में चिंताए तनाव व डिप्रेशन जैसी अनेक समस्याएं बढ़ रही है। सोशल मीडिया का उपयोग चिंता और तनाव के साथ जुड़ा हुआ है। जब कोई व्यक्ति सोशल नेटवर्किंग साइटों पर किसी व्यक्ति द्वारा टेक्स्ट मैसेज या टिप्पणी प्राप्त करते हैं, तो इससे असहजता महसूस होती है, परिणामस्वरूप धीरे-धीरे व्यक्ति तनावग्रस्त होने लगता है। सोशल मीडिया की बढती लत छोड़ना या इसका इस्तेमाल कम करना बहुत मुश्किल होता जा रहा है। विज्ञान कहता है कि हमारे दिमाग में एक डोपामाइन नामक रसायन होता है, जो हमें सोशल मीडिया के उपयोग करने से सुखद अनुभूति का अहसास करवाता है जिसके कारण व्यक्ति चाहकर भी सोशल मीडिया को छोड़ नहीं पाता है।
सोशल मीडिया का बढ़ता अत्यधिक उपयोग हानिकारक होने के साथ चिंता का विषय भी है। सोशल मीडिया के सकारात्मक प्रभाव को हम किसी भी रूप में नकार नहीं सकते है, लेकिन इसके बढते दुष्परिणाम भी सामने आ रहे है, जो चिंताजनक है। सोशल मीडिया ने समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपनी बात बेबाकी रखने एवं विचारों को अभिव्यक्त करने का अवसर प्रदान किया है। लेकिन सोशल मीडिया पर बढ़ता विचारों का असंतुलन देश, समाज एवं व्यक्ति में विद्वेष की भावना भी पैदा कर सकता है। एक अनुमान के अनुसार हमारे देश में करीब 400 मिलियन से अधिक लोग सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। यह संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है। सोशल मीडिया सदैव अपनी नकारात्मकता के कारण भी चर्चा में रहता है। सोशल मीडिया के माध्यम से सामाजिक समरसता को दूषित करने और सकारात्मक सोच की जगह समाज को विभिन्न नकारात्मक विचारधाराओं से भी प्रभावित करता है। वर्तमान में सोशल मीडिया के दुरुपयोग को नियंत्रित करना हमारे देश के सामने भी किसी चुनौती से कम नहीं है।
आज प्राय: प्रत्येक व्यक्ति सोशल मीडिया का उपयोग कर रहा है, जिनको लत लग चुकी है वे सोशल मीडिया के उपयोग करने से कुछ समय भी दूर नहीं रह सकते हैं, या यूं कहे कि सोशल मीडिया से दूर होना उनके लिए मुश्किल सा हो गया है, यही बात चिंतनीय है। सोशल मीडिया के लत से पीड़ित व्यक्ति ही इसका अत्यधिक उपयोग कर इसकी लत का शिकार बनकर अपने मानसिक स्वास्थ्य के साथ शारीरिक स्वास्थ्य को भी लिए नुकसान पहुंचा रहे है। सोशल मीडिया के माध्यम से अनेक तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने एवं घटनाओं आदि को अलग रूप में प्रस्तुत करने से एक यूजर के सामने भ्रम की स्थिति पैदा हो जाती है, जिससे कारण वो व्यक्ति मानसिक उलझन का शिकार होकर डिप्रेशन में चला जाता है। कई शोध में सामने आ चुका है कि सोशल मीडिया का अधिक उपयोग मस्तिष्क को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता रहता है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर दिन भर चलनी वाली फेक न्यूज और नकारात्मक भाषण भी व्यक्ति के मानस को प्रभावित करता है। सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बड़े पैमाने पर प्रभावित कर सकता है। इससे बचना बहुत ज़रूरी है।
  इसी प्रकार द लैंसेट नामक मैगजीन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार अधिक समय तक मोबाइल का इस्तेमाल करने से व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार हो रहा हैं। इस शोध में कहा गया है कि लड़कियों को लड़कों की तुलना में अधिक दुष्प्रभाव होने की संभावना होती है। इसका मतलब यह है कि अगर आप लड़की हैं और फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर आदि जैसी सोशल मीडिया साइटों का अत्यधिक उपयोग करती हैं, तो आप लड़कों की तुलना में जल्दी डिप्रेशन का शिकार हो सकती हैं। शोधकर्ताओं ने पाया कि अध्ययन में भाग लेने वाली 60 प्रतिशत लड़कियों की नींद में खलल और सोशल मीडिया की लत के कारण मानसिक समस्याएं सामने आयी थी। जबकि 12 प्रतिशत लड़के इन समस्याओं के कारण मानसिक अशांति से गुजर रहे थे।
अब ज़रूरत है कि सोशल मीडिया के बढते दुष्परिणामों से कैसे बचें, इसके लिए व्यक्ति को किसी अन्य कार्यों में व्यस्त होना होगा। सोशल मीडिया के चलते व्यक्ति ने किताबे पढना, खेल खेलना या घरेलू कार्यों में सहभागिता करना आदि कार्यों को प्राय: छोड़ सा दिया है ज़रूरत है कि व्यक्ति इन कामों में स्वयं को व्यस्त कर सोशल मीडिया की लत से छुटकारा पा सकता है। ऑनलाइन के दौर में व्यक्ति रूबरू करना भूल सा गया है, ऑफ लाइन बातचीत को अधिक से अधिक बढ़ाने से ही इस लत से छुटकारा पा सकते है। जिस जानकारी व सूचना से हमारा मानसिक तनाव बढता है, उससे दूर हो जाना ही बेहतर है। सोशल मीडिया पर हंसी मजाक के वीडियो आदि देखने से हम खुशी के रसायन बड़ा सकते है, जिससे हमें मानसिक शांति का अहसास होगा। 

(युवराज)